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Filmy Friday Nawazuddin Siddiqui: वॉचमैन की नौकरी की...बॉलीवुड में जगह बनाने के लिए किया 15 साल तक संघर्ष और फिर इस फिल्म से चमकी किस्मत

नवाजुद्दीन ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1999 में आई फिल्म 'सरफरोश' से की. शुरुआत में नवाज को फिल्मों में तो काम मिलता था लेकिन उससे खर्च नहीं निकल पाता था. 

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हाइलाइट्स
  • नवाज ने 'सरफरोश' से की थी शुरुआत

  • शक्ल की वजह से ताने देते थे लोग

फिल्मी फ्राइडे (Filmy Friday) में आज हम जिस एक्टर की बात कर रहे हैं उन्हें हिंदी सिनेमा में जगह बनाने के लिए 5-7 साल नहीं बल्कि 15 साल स्ट्रगल करना पड़ा. चेहरा ऐसा था कि जहां जाते रिजेक्ट कर दिए जाते. मुंबई में पेट पालने के लिए कभी फैक्टरी में जॉब की तो कभी वॉचमैन की नौकरी की. आज इनका नाम सिनेमा के सबसे टैलेंडेट एक्टर्स में लिया जाता है. जीहां हम बात कर रहे हैं नवाजुद्दीन सिद्दीकी की.

किसी भी किरदार में ऐसी जान फूंक देना कि सामने वाला कह उठे कि इससे बेहतर इस रोल को कोई और नहीं निभा सकता, ये खासियत है नवाजुद्दीन सिद्दीकी की. 19 मई 1974 को उत्तर प्रदेश के एक छोटे-से कस्बे बुढ़ाना में जन्में नवाज के सात भाई और दो बहनें हैं.

नवाज की शुरुआती पढ़ाई बुढ़ाना से ही पूरी हुई. बाद में उन्होंने हरिद्वार की गुरुकुल कांगड़ी यूनिवर्सिटी से साइंस में ग्रेजुएशन किया. नवाज के माता-पिता चाहते थे कि उनका बेटा पढ़ लिख कर अच्छी नौकरी करे. घर में फिल्मों का नाम लेना भी बुरा माना जाता था. ऐसे में वे कभी अपने घर पर बता ही नहीं पाए कि उन्हें फिल्मी दुनिया पसंद है.

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वॉचमैन की नौकरी भी की
ग्रेजुएशन के बाद नवाज को करीब दो साल तक जॉब नहीं मिली. बाद में बड़ौदा की एक पेट्रोकेमिकल कंपनी में उन्होंने करीब डेढ़ साल तक काम किया, लेकिन ये काम उन्हें कुछ खास जमा नहीं और वो जॉब छोड़कर दिल्ली चले आए. धीरे-धीरे उनका झुकाव थियेटर की तरफ बढ़ा. लेकिन पेट भरने के लिए तो पैसों की ही जरूरत पड़ती है, इसलिए दिल्ली के शहादरा में उन्होंने वॉचमैन की नौकरी भी की.

'सरफरोश' से की थी शुरुआत
दिल्ली के बाद नवाजुद्दीन का अगला ठिकाना मुंबई रहा. हालांकि वो मुंबई कभी हीरो बनने नहीं आए थे. बल्कि वो तो सिर्फ टीवी में काम करना चाहते थे. कई ऑडिशन देने के बाद भी जब बात नहीं बनी तो उन्होंने खर्च चलाने के लिए सी ग्रेड फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया. नवाजुद्दीन ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1999 में आई फिल्म 'सरफरोश' से की. शुरुआत में नवाज को फिल्मों में तो काम मिलता था लेकिन उससे खर्च नहीं निकल पाता था. इसलिए उन्होंने मुंबई में भी कई पार्ट टाइम जॉब किए.

शक्ल की वजह से ताने देते थे लोग
नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने एक इंटरव्यू में बताया था, लोग मुझे कहते थे- न शक्ल है न सूरत है न हाइट है, चले आए हीरो बनने. फिल्मों में आने के बाद भी नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने सिर्फ छोटे रोल ही किए. कभी वो वेटर के रोल में दिखते तो कभी चोर या मुखबिर के रोल में. शूल, मुन्ना भाई एमबीबीएस जैसी सफल फिल्मों में भी उन्हें बेहद छोटे रोल में देखा गया.

 

'गैंग्स ऑफ वासेपुर' से चखा सफलता का स्वाद
और फिर आया वो वक्त जिसका हर किसी को इंतजार रहता है. अनुराग कश्यप की फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' ने नवाजुद्दीन की किस्मत पलट दी. इस फिल्म में उन्होंने फैजल खान का किरदार निभाया. इसके बाद लंचबॉक्स, तलाश, किक, बजरंगी भाईजान, मंटो, मांझी द माउंटेन मैन, तलाश और बदलापुर जैसी फिल्मों ने उनके करियर में चार चांद लगाए. नवाज को हाल ही में जी5 की वेब सीरीज Rautu Ka Raaz में देखा गया था. वो इस सीरीज में पुलिस वाले की भूमिका में थे.

वर्सोवा स्थित बंगले में रहते हैं नवाजुद्दीन
नवाज बताते हैं जब उनकी फिल्म कहानी रिलीज हुई तब उनके माता पिता 40 किलोमीटर बस से यात्रा कर अपने बेटे को बिग स्क्रीन पर देखने आए थे. नवाजुद्दीन वर्सोवा स्थित बंगले में रहते हैं. नवाजुद्दीन सिद्दीकी की नेट वर्थ की बात करें तो वह 96 करोड़ रुपये है. नवाजुद्दीन सिद्दीकी एक फिल्म के लिए लगभग 5 से 6 करोड़ रुपए चार्ज करते हैं.