scorecardresearch

Filmy Friday Raj kiran: 80s के पॉपुलर एक्टर रहे, जब फिल्में मिलनी बंद हुईं तो डिप्रेशन के शिकार हो गए.. सालों से नहीं कोई खोज खबर

Filmy Friday on Raj kiran: कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें फिल्में मिलना बंद हो गई थीं, जिसका असर उनकी मेंटल हेल्थ पर पड़ा. जब मुश्किल घड़ी आई तो परिवार ने भी साथ नहीं दिया.

Raj kiran Raj kiran
हाइलाइट्स
  • 'कागज की नाव' से किया फिल्मों में डेब्यू

  • अचानक इंडस्ट्री से गायब हो गए

फिल्मी फ्राइडे (Filmy Friday) में आज हम जिस एक्टर की बात कर रहे हैं उन्होंने 100 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया. वो 80 के दशक के मशहूर एक्टर रहे. उन्होंने ज्यादातर फिल्मों में सपोर्टिंग रोल ही किए. अर्थ, कर्ज, घर हो तो ऐसा उनकी लोकप्रिय फिल्मों में एक है. उन्हें रोमांटिक हीरो के रूप में टाइपकास्ट किया गया.. बाद में उन्हें ऐसे बड़े भाई के रोल में देखा गया जोकि फैमिली को तोड़ने में भरोसा करता था.

'कागज की नाव' से किया फिल्मों में डेब्यू
जी हां, हम बात कर रहे हैं एक्टर राज किरण (Raj kiran) की. 5 फरवरी 1949 को उनका मुंबई में जन्म हुआ. उनका असली नाम राज किरण मेहतानी है और उन्होंने 1975 में फिल्म "कागज की नाव" (Kagaz ki Naav) से डेब्यू किया था. इस फिल्म में उनके अपोजिट सारिका थीं. साल 1980 राज किरण के करियर के लिए सुनहरा दौर लेकर आया. इस साल उनकी एक-दो नहीं, बल्कि पूरी 8 फिल्में रिलीज हुईं. इनमें से ज्यादातर बॉक्स ऑफिस पर अच्छी चलीं. स्टार, मजदूर, घर एक मंदिर, घर हो तो ऐसा जैसी कई फिल्मों में उन्होंने सपोर्टिंग रोल निभाया.

अचानक इंडस्ट्री से गायब हो गए
फिर एक दिन वो अचानक फिल्म इंडस्ट्री (Film industry) से गायब हो गए और किसी को उनके बारे में कोई खबर नही हैं. यहां तक ​​कि उनका परिवार भी नहीं जानता कि वो कहां हैं. राज किरण को आखिरी बार दूरदर्शन के सीरियल रिपोर्टर (1994) और हॉरर टीवी शो आहट (1998) में देखा गया था.

सम्बंधित ख़बरें

खबरें तो उनकी मौत की भी खूब उड़ीं लेकिन उनकी बेटी ने इसे गलत बताया. एक्टर ऋषि कपूर को उनके भाई ने बताया कि एक्टर अटलांटा में हैं. बाद में उनकी बेटी ने इन खबरों को भी झूठा बताया. राज का परिवार सालों से उन्हें ढूंढने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने न्यूयॉर्क पुलिस और कई डिटेक्टिव की भी मदद ली लेकिन कुछ पता नहीं चला. 

आखिरी बार पागलखाने में दिखे थे राज किरण
कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें फिल्में मिलना बंद हो गई थीं, जिसका असर उनकी मेंटल हेल्थ पर पड़ा. जब मुश्किल घड़ी आई तो परिवार ने भी साथ नहीं दिया. इससे वो डिप्रेशन में चले गए. बाद में उन्हें मुंबई के एक पागलखाने में भर्ती कराया गया और उसके बाद किसी ने उसे नहीं देखा. 2011 में दीप्ति नवल ने बताया था कि राज न्यूयॉर्क में कैब चला रहे हैं. बाद में उन्हें पता चला कि राज अटलांटा के पागलखाने में हैं.

राज किरण की जिंदगी में छा गया अंधेरा
कुछ ऐसी ही है फिल्मी दुनिया की स्याह हकीकत. एक पल में आप टॉप पर होते हैं अगले ही पल कहीं नजर नहीं आते. बॉलीवुड में एक एक्टर के लिए स्ट्रगल कभी खत्म नहीं होता. काम न मिलने की चिंता, स्टेटस मेंटन करने का प्रेशर एक्टर्स को डिप्रेशन की ओर धकेलता है. एक समय में सूरज की तरह चमकने वाले राज किरण की जिंदगी में कब अंधेरा छा गया ये किसी को नहीं पता चला.