Filmy Friday Shubha Khote: फिल्मी फ्राइडे में आज हम जिस एक्ट्रेस की बात कर रहे हैं वो कई फिल्मों में लीड हीरोइन रहीं फिर कॉमेडियन बन गई और जब उम्र आइस्ता आइस्ता बढ़ने लगी तो कैरेक्टर रोल्स करने लगीं. बात हो रही है एवरग्रीन एक्ट्रेस शुभा खोटे की. शुभा ने हिंदी फिल्मों में एक से बढ़कर एक किरदार निभाए हैं.
4 साल की उम्र में किया स्टेज डेब्यू
शुभा खोटे का जन्म 30 अगस्त 1937 को मुंबई में हुआ. उनके पिता नंदू खोटे थियेटर स्टार थे. गुजरे जमाने की मशहूर फिल्मी हस्ती दुर्गा खोटे उनकी चाची थीं. बंबई की चौपाटी पर बने शुभा के घर में हमेशा मेहमानों का आना जाना लगा रहता. ऐसे में मराठी-कोंकणी परिवार में जन्मीं शुभा खोटे बचपन में ही एक्टिंग की बारीकियां जानने समझने लगीं लेकिन फिल्मों में काम करने के बारे में उन्होंने कभी नहीं सोचा था. बावजूद इसके शुभा ने 4 साल की उम्र में ही स्टेज डेब्यू किया.
स्वीमिंग और साइकलिंग में नेशनल लेवल की चैंपियन रहीं
शुभा खोटे की पढ़ाई सेंट टेरेसा हाई स्कूल, चर्नी रोड और सेंट कोलंबा स्कूल (गामदेवी) से हुई. स्कूल के दिनों में उन्होंने साइकलिंग और स्वीमिंग की कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था, क्योंकि परिवार के बाकी सदस्यों की तरह वो फिल्मों में काम नहीं करना चाहती थीं. उन्होंने कई इंटर-स्टेट प्रतियोगिताएं भी जीतीं. शुभा खोटे लगातार तीन साल तक (1952 से 1955) स्वीमिंग और साइकलिंग में नेशनल लेवल की चैंपियन रहीं. ये वो दौर था जब खेल-कूद में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम थी. स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने विल्सन कॉलेज से इंग्लिश लिटरेचर में ग्रेजुएशन किया.
महमूद के साथ कीं सुपरहिट फिल्में
इसके बाद शुभा खोटे ने 1955 में फिल्म 'सीमा' से एक्टिंग डेब्यू किया. साइकलिंग की वजह से ही शुभा खोटे को इस फिल्म का ऑफर मिला था. उन्होंने ज्यादातर फिल्में महमूद के साथ की. दोनों ससुराल, भरोसा, जिद्दी, छोटी बहन, सांझ और सवेरा, लव इन टोक्यो, गृहस्थी, हमराही और बेटी-बेटे में नजर आए और ये फिल्में हिट रहीं. उन्होंने पेइंग गेस्ट और एक दूजे के लिए में निगेटिव रोल भी किए.
शादी के बाद एक्टिंग से लिया ब्रेक
शुभा की शादी डी. एम. बलसावर से हुई. वो नोसिल में वाइस प्रेसिडेंट थे. शुभा ने शादी के बाद फिल्मों से ब्रेक ले लिया. दो बच्चों की परवरिश में उन्होंने अपना सफल करियर कुछ समय के लिए छोड़ दिया. जब वो लौटीं तो निगेटिव रोल करने से भी परहेज नहीं किया. अपने करियर गैप पर शुभा ने कहा था, मैं बैकस्टेज बॉर्न गर्ल हूं. एक्टिंग मेरे खून में है, इसलिए मैं इसे कभी छोड़ नहीं सकती. हां कुछ समय के लिए दूर जरूर हो सकती हूं.
कैरेक्टर रोल से हुईं लोकप्रिय
शुभा ने अपनी शुरुआत रोमांटिक हीरोइन से की. फिर कई फिल्मों में वो कॉमेडी करती नजर आईं. करियन जब ढलान पर आया तो उन्होंने कैरेक्टर रोल्स तक किए. एक कैरेक्टर आर्टिस्ट के रूप में भी शुभा खोटे बॉलीवुड की जान बन गईं. साल 1958 में उन्होंने लगातार तीन हिट फिल्में दीं. ये फिल्में थीं- 'घराना', 'ससुराल' और 'अनाड़ी'. शुभा ने हेरा फेरी, हम दोनों, बैचलर वाइफ और लेट्स डू इट (2000) जैसे कॉमेडी शोज का निर्देशन भी किया है.