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Chiffon Saree से लेकर Switzerland Tourism तक.... यश चोपड़ा ने बदला 'रोमांस' का नजरिया... आज भी आइकॉनिक हैं उनकी फिल्मों के कॉस्टयूम और स्विट्‍जरलैंड

यश चोपड़ा ने हिंदी फिल्मों में जितने एक्सपेरिमेंट किए, शायद ही किसी फिल्म मेकर ने किए हों. यश चोपड़ा ही वो निर्देशक थे जिन्होंने हमें स्विट्ज़रलैंड की हंसी वादियों में रोमांस करना सिखाया.

Yash Chopra Yash Chopra
हाइलाइट्स
  • शिफॉन साड़ी को किया लोकप्रिय

  • स्विट्‍जरलैंड थी यश चोपड़ा की फेवरेट लोकेशन

बॉलीवुड के जाने माने निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा की आज बर्थ एनिवर्सिरी है. उन्हें हिंदी सिनेमा का 'किंग ऑफ रोमांस' कहा जाता है. यश चोपड़ा रोमांटिक फिल्में बनाने के लिए जाने जाते थे. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम हॉलीवुड फिल्मों के कितने बड़े फैन हैं, लेकिन जब रोमांस की बात आती है, तो यश चोपड़ा की फिल्में हम पहले देखते हैं.

शिफॉन साड़ी को किया लोकप्रिय
यश चोपड़ा ने हिंदी फिल्मों में जितने एक्सपेरिमेंट किए, शायद ही किसी फिल्म मेकर ने किए हों. यश चोपड़ा ही वो निर्देशक थे जिन्होंने हमें स्विट्ज़रलैंड की हंसी वादियों में रोमांस करना सिखाया. उनकी फिल्मों में शिफॉन साड़ी और स्लीवलेस ब्लाउज पहने हीरोइन का डांस ट्रेंड बन गया. फिल्मी फ्राइडे में आज बात करेंगे यश चोपड़ा की.

सिलसिला में रेखा की लाल शिफॉन साड़ी हो या चांदनी में श्रीदेवी की पीली साड़ी. यश चोपड़ा की फिल्मों में शिफॉन साड़ी की खास जगह रही है. इस पर बात करते हुए एक बार यश चोपड़ा ने कहा था, ''महिलाएं खूबसूरत होती हैं और उन्हें खूबसूरती से दिखाना मेरा कर्तव्य है.'' 

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पर्दे पर रोमांस और प्यार को नए मायने दिए
यश चोपड़ा सिर्फ एक निर्देशक नहीं थे, बल्कि एक दूरदृष्टि वाले शोमैन थे, जो छोटी से छोटी चीज को भी अपने फेवर में कर लेते थे. यश चोपड़ा ने अपनी फिल्मों में भारतीय परिधान का इस्तेमाल भावनाओं को व्यक्त करने के लिए किया. सिर्फ श्रीदेवी और रेखा ही नहीं ऐसी कई सक्सेसफुल एक्ट्रेस रही हैं, जिनकी सफलता का श्रेय यश चोपड़ा और उनकी जादुई नजर को जाता है. चांदनी जब सिनेमा हॉल में रिलीज हुई और दर्शकों ने स्क्रीन पर साड़ी का पल्ला लहराती श्रीदेवी को देखा, तो वो बस एकटक उन्हें देखते ही रह गए. 'चांदनी' के रिलीज होते ही मार्केट में इस साड़ी की डिमांड जबरदस्त तरीके से बढ़ी.

स्विट्‍जरलैंड थी यश चोपड़ा की फेवरेट लोकेशन
आपको जानकर हैरानी होगी कि यश चोपड़ा की आखिरी निर्देशित फिल्म 'जब तक है जान' का आखिरी शॉट कटरीना कैफ के साथ उनके फेवरेट लोकेशन स्विस आल्प्स पर शिफॉन साड़ी के साथ शूट किया गया था. फिल्मों की शूटिंग के लिए यश चोपड़ा को स्विट्‍जरलैंड सबसे ज्यादा पसंद था. अक्टूबर 2010 में स्विट्‍जरलैंड में उन्हें वहां एक अवॉर्ड से भी नवाजा गया था. स्विट्‍जरलैंड में उनके नाम पर एक सड़क भी है और एक ट्रेन भी चलाई गई है.

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अनुष्का शर्मा को 'जब तक है जान' का हिस्सा होने के बावजूद यश चोपड़ा की फिल्म में शिफॉन साड़ी पहनने का मौका नहीं मिला. जिसके बाद अनुष्का ने ऐ दिल है मुश्किल में शिफॉन-साड़ी-इन-द-स्नो मोमेंट को फिर से क्रिएट किया. पीले रंग की शिफॉन साड़ी में उन्होंने तेरे मेरे होठों पे गाने पर डांस करते हुए श्रीदेवी की तरह पोज़ दिया था. 

ऐसे लिया खुद फिल्में बनाने का फैसला
यश चोपड़ा कभी इंजीनियर बनना चाहते थे. लेकिन ऐसा हो न सका. यश चोपड़ा के भाई बी आर चोपड़ा पहले ही मुंबई में कार करते थे. ऐसे में मुंबई आकर यश भी फिल्मों के निर्देशन में उन्हें असिस्ट करने लगे. एक्ट्रेस वैजयंती माला ने उन्हें फिल्म निर्देशन की सलाह दी थी. और फिर उन्होंने अपने भाई बी आर चोपड़ा का साथ छोड़कर खुद फिल्में बनाने का फैसला ले लिया. इसके लिए उन्होंने यशराज फिल्म्स की नींव रखी. इसमें उनका साथ दिया था राजेश खन्ना ने. YRF के बैनर तले पहली फिल्म बनी जिसका नाम था दाग. शुरुआत में इस फिल्म को खरीदने के लिए कोई डिस्ट्रीब्यूटर राजी नहीं था. ऐसे में सुपरस्टार राजेश खन्ना ने ये कहते हुए यश को राहत दी कि फिल्म जब तक लागत नहीं निकाल लेती वो फीस नहीं लेंगे. फिल्म की एक्ट्रेस राखी और साहिर लुधियानवी ने भी यही किया.

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बतौर निर्देशक यश चोपड़ा ने सिनेमा में अपने करियर की शुरुआत साल 1959 में अपने भाई के बैनर तले बनी फिल्म 'धूल का फूल' से की. फिर साल 1961 में यश चोपड़ा ने फिल्म 'धर्म पुत्र' का निर्देशन किया. यश राज बॉलीवुड के पहले निर्देशक हैं जिन्होंने मल्टीस्टारर फिल्में बनाने का चलन शुरू किया. बॉलीवुड की पहली मल्टीस्टारर कही जाने वाली फिल्म वक्त का निर्देशन भी यश चोपड़ा ने ही किया था. किंग ऑफ रोमांस के नाम से मशहूर फिल्ममेकर यश चोपड़ा ने पर्दे पर रोमांस और प्यार को नए मायने दिए. यश चोपड़ा को रोमांटिक फिल्मों का जादूगर कहा जाता था.

शाहरुख के साथ की आखिरी फिल्म
1975 में फिल्म 'दीवार' से उन्होंने महानायक अमिताभ बच्चन की 'एंग्री यंग मैन' की छवि बनाई. अमिताभ की लीड रोल वाली पांच फिल्में 'दीवार' (1975), 'कभी-कभी (1976), 'त्रिशूल' (1978), 'काला पत्थर' (1979), 'सिलसिला' (1981) यश चोपड़ा की बेहतरीन फिल्में हैं. वहीं, बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान के साथ बतौर निर्देशक यश चोपड़ा ने 'डर', 'दिल तो पागल है' और 'वीर जारा, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में बनाईं. शाहरुख के साथ यश चोपड़ा की आखिरी फिल्म 'जब तक है जान' रही.