फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी की रिलीज को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी मिल गई है. अब शुक्रवार को फिल्म पहले से निर्धारित समय पर रिलीज होगी. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने दो दिन तक सभी पक्षकारों की दलीलें सुनने के बाद अपना निर्णय सुना दिया. बहस के दौरान फिल्म के निर्माता ने कहा कि अंतिम समय पर नाम बदलना संभव नहीं है. केस दायर करने वाले के पास गंगूबाई का गोद लिया हुआ बेटा होने का सिर्फ दावा है, कोई सबूत नहीं.
फिल्म में नहीं है गंगूबाई के चरित्र का अपमान
निर्माता की ओर से वरिष्ठ वकील अर्यमा सुंदरम ने कहा कि 2011 में छपी किताब को इतने साल से कोई चुनौती नहीं दी. फिल्म में गंगूबाई का अपमान नहीं किया गया है. भंसाली प्रोडक्शन के वकील अर्यमा सुंदरम ने दलील दी कि याचिकाकर्ता ने अभी तक फ़िल्म भी नहीं देखी है. इसमे गंगूबाई की छवि और चरित्र का कोई अपमान या हनन नहीं किया गया है. बल्कि यह फ़िल्म तो एक महिला के उत्थान की कहानी है. ऐसा कोई तथ्य याचिकाकर्ता के पास नहीं है, जिससे यह कहा जा सके कि फ़िल्म गंगूबाई के चरित्र का अपमान करती है. यह याचिका खारिज की जानी चाहिए.
याचिकाकर्ता के पास नहीं थे सबूत
भंसाली प्रोडक्शन की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने भी याचिकाकर्ता पर सवाल उठाया कि उनके पास गंगूबाई के दत्तक पुत्र होने का सिर्फ दावा है लेकिन कोई सबूत नहीं. जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने कहा कि इस गहराई में जाने की फिलहाल जरूरत नहीं है क्योंकि याचिकाकर्ता उनकी विरासत या संपदा पर दावा नहीं कर रहा है.
रिलीज रोकने से होगा लाखों का नुकसान
मुकुल रोहतगी ने कहा कि शुक्रवार को ये फिल्म पूरी दुनिया में रिलीज होनी है. कई ऐसे थर्ड पार्टी के अधिकार इससे जुड़े हैं. उनके अधिकार दस करोड़ रुपए से ज्यादा के हैं जिनमें प्रोड्यूसर, एंकर, प्रदर्शक यानी थिएटर वाले शामिल हैं. ये चेन रिएक्शन की तरह एकदूसरे से संबंधित हैं. जाहिर है कि ऐसे में कोई भी प्रतिकूल आदेश इन पर सीधा असर डालेगा. देश विदेश के हजारों थिएटर में ये फिल्म एक साथ रिलीज होगी. अदालत ये भी ध्यान रखें कि रिलीज रोकने से प्रोड्यूसर, डायरेक्टर, लेखक, डिस्ट्रीब्यूटर, थिएटर, दर्शक सहित कितनों पर कितना असर पड़ेगा.
कोर्ट ने मांगा गंगूबाई के दत्तक पुत्र से सबूत
सुनवाई के दौरान जस्टिस जेके माहेश्वरी ने कहा कि आपकी दलील का मुख्य आधार ये दावा है कि आप गंगूबाई काठियावाड़ी के दत्तक पुत्र हैं. इस पर जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने कहा कि आपको बताना होगा कि किस विधि से आपको उन्होंने पुत्र के तौर पर दत्तक बनाते हुए गोद लिया था? आपने अब तक कहीं पर भी इसकी कोई जानकारी नहीं दी है कि आपको ये अधिकार कैसे मिला? दो दिन चली बहस के बाद जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी की रिलीज को हरी झंडी दी. पीठ ने खुद को गंगूबाई का दत्तक पुत्र बताने वाले याचिकाकर्ता बाबूजी राव जी शाह की याचिका खारिज कर दी. पीठ ने कहा कि शाह खुद को गंगूबाई का दत्तक पुत्र साबित करने में विफल हैं.