गीता दत्त का असली नाम गीता घोष रॉय चौधरी था. गीता दत्त जानी मानी प्लेबैस सिंगर थीं, जिन्हें हिंदी और बंगाली शास्त्रीय संगीत दोनों में उनकी संगीत प्रस्तुतियों के लिए जाना जाता था. उनके गाने बाबू जी धीरे चलना, पिया ऐसो जिया में समाय गयो रे, और ये लो मैं हारी पिया जैसे गानों को लोग आज भी गुनगुनाते हैं. गीता दत्त ने अपने करियर में कुल 1417 गाने गाए.
उनका जीवन विभाजन-पूर्व भारत के एक अनोखे गांव से शुरू होकर बॉलीवुड की ग्लैमरस दुनिया तक का है. उनकी जिंदगी की कहानी प्रतिभा और त्रासदी की कहानी है. आज हम गीता दत्त के जीवन और करियर के बारे में जानेंगे, एक ऐसी गायिका जिनकी आवाज़ ने लाखों लोगों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी. गीता दत्त का जन्म 23 नवंबर 1930 को बांग्लादेश के फरीदाबाद जिले में हुआ था. गीता ब्रिटिश भारत के एक धनी जमींदार परिवार से थीं. उनके कुछ साल उनके ग्रामीण परिवेश की सुंदरता और शांति में बीते. हालांकि, उनके जीवन में बदलाव की बयार तब आई जब उनका परिवार 1940 में अपनी पैतृक भूमि और संपत्ति को पीछे छोड़कर कलकत्ता और फिर असम में शिफ्ट हो गया.
किस फिल्म में मिला पहला ब्रेक?
साल 1942 में, परिवार ने एक और बड़ा कदम उठाया और वो सपनों के शहर बॉम्बे आ गईं. गीता दत्त 12 वर्ष की थीं और उन्होंने बंगाली हाई स्कूल में अपनी शिक्षा जारी रखी. बंबई में ही उन्हें संगीत की दुनिया के प्रति अपना प्यार मिला. गीता की बेहतरीन सिंगिंग टैलेंट काफी समय तक छिपा नहीं रहा. उन्हें के. हनुमान प्रसाद मेंटर के तौर पर मिले, जिन्होंने उन्हें गायन की कला में मार्गदर्शन और ट्रेनिंग दी. साल 1946 उनके लिए बड़ा ब्रेक लेकर आया जब उन्हें प्रसाद के साथ संगीत निर्देशक के रूप में पौराणिक फिल्म "भक्त प्रह्लाद" में गाने का मौका दिया गया. 16 साल की उम्र में उन्होंने अपने मधुर गायन करियर की शुरुआत करते हुए दो गाने गाए थे. इसके बाद उन्होंने के. हनुमान की दो और फिल्में रसीली और नई मां के गानों को अपनी आवाज दी.
म्यूजिक डायरेक्ट और सिंगर सचिन देव बर्मन ने जब फिल्म प्रह्लाद में गीता का गाना सुना तो वो उनसे बहुत प्रभावित हुए. उन्होंने गीता को अपनी अपकमिंग फिल्म दो भाई में गाने का ऑफर दे दिया. गाने के बोल थे- मेरा सपना सुंदर बीत गया. ये वो फिल्म और गाना था, जिससे गीता को बड़ी पहचान मिली. साल 1948 से 1949 के बीच उन्होंने कई हिट गाने दिए. पॉपुलैरिटी इतनी बढ़ गई कि वो फेमस सिंगर शमशाद बेगम और राजकुमारी से भी आगे निकल गईं.
कैसे हुई मुलाकात
साल 1951 में फिल्म बाजी की रिकॉर्डिंग के दौरान गीता दत्त की अचानक एक मोड़ आया और उनकी मुलाकात गुरु दत्त से हुई. फिल्म बाजी में देव आनंद ने काम किया था. इस फिल्म के गाने को गीता ने अपनी आवाज दी थी. इसी फिल्म के जरिए गुरु दत्त ने डायरेक्टोरियल डेब्यू किया था. इस फिल्म की शूटिंग के दौरान गीता और गुरु दत्त को प्यार हुआ फिर उन्होंने 26 मई, 1953 में शादी कर ली. गुरु दत्त और गीता दत्त के तीन बच्चे हैं तरुण, अरुण और नीना. तरुण और अरुण दत्त की भी मौत हो चुकी है.
अफेयर के बारे में पता चला
जब गीता दत्त और गुरु दत्त की मुलाकात हुई, उस समय गीता दत्त इंडस्ट्री का जाना-माना चेहरा थीं. गुरु दत्त उस समय इंडस्ट्री में जगह बनाने के लिए मेहनत कर रहे थे. कई रिपोर्ट्स ने दावा किया था कि गुरु दत्त ने पैसों के लिए गीता से शादी की थी. एक वक्त तो ऐसा आ गया था कि गीता दत्त उनकी फिल्मों के अलावा किसी दूसरे डायरेक्टर की फिल्मों में गाती नहीं थीं. गुरु दत्त चेन स्मोकर और शराबी थे. शादीशुदा जिंदगी में उथल-पुथल तब आई जब गुरु दत्त ने 1965 की फिल्म C.I.D के लिए वहीदा रहमान को कास्ट कर लिया. शूटिंग के दौरान दोनों की अफेयर की खबरें चर्चा में आ गईं. इस बात को गीता दत्त बर्दाश्त नहीं कर पाईं उन्होंने रिहर्सल पर जाना और रिकॉर्डिंग करना भी छोड़ दिया. वो इतनी टूट गईं कि इस दुख को भुलाने के लिए वो खूब शराब पीने लगीं.
जासूसी भी करवाई
जब गीता को गुरु दत्त और वहीदा रहमान के अफेयर के बारे में पता चला तो उन्होंने गुरु दत्त की जासूसी भी करवाई. उन्होंने वहीदा रहमान की तरफ से गुरु दत्त को खत लिखा औ उनसे शूटिंग के बाद मिलने की बात की. गुरुदत्त को जब ये खत मिला तो उन्हें पता चल गया कि ये काम वहीदा का नहीं है. लेकिन वो फिर भी उस जगह पहुंच गए, जहां पर गीता ने उन्हें मिलने के लिए बुलाया था. उस जगह पर जब उन्होंने गीता को उनकी एक सहेली के साथ देखा तो वो गुस्सा हो गए. यहां तक उन्होंने गीता पर हाथ भी उठा दिया. इस घटना के बाद दोनों अलग रहने लगे थे.
रिश्ते को सुधारने के लिए गुरु दत्त ने फिल्म गौरी की शूटिंग शुरू की क्योंकि गीता हमेशा से सिंगिंग के साथ एक्टिंग भी करना चाहती थीं. हालांकि, शूटिंग सेट पर भी उनके झगड़े रुके नहीं. उनकी फिल्म कागज के फूल नाकामयाब रही और इससे उन्हें बहुत नुकसान हुआ. बेटी के जन्म के बाद आर्थिक तंगी आ गई इन्हीं सब बातों से तंग आकर 10 अक्टूबर 1964 को गुरु दत्त ने सुसाइड कर लिया. उनकी मौत के बाद तो गीता और शराब पीने लगीं. परिवार चलाने के लिए उन्होंने एक बंगाली फिल्म में साइड रोल भी प्ले किया था.
आखिरी समय में लोगों ने पहचाना भी नहीं
एक इवेंट में बहुत सारे सिंगर आए थे. इसमें लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी भी शामिल थे. लता मंगेशकर जब मंच पर आईं तो दर्शकों ने उनके गानों का भरपूर तालियों से स्वागत किया. वहीं जब गीता मंच पर आईं तो दर्शकों ने उन्हें पहचान तक नहीं पाए, क्योंकि गीता की लीगेसी उस भीड़ को पता नहीं थी. एक वक्त ऐसा भी आया जब गीता की याददाश्त पूरी तरह से चली गई थी और वह अपने बच्चों को भी नहीं पहचान पाती थीं. आखिरकार 41 साल की उम्र में उन्होंने 20 जुलाई 1972 को दुनिया को अलविदा कह दिया.