नवाबों के खानदान के मंसूर अली खान पटौदी और रबिंद्र नाथ टैगोर के परिवार से नाता रखने वाली शर्मिला टैगोर की प्रेम कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. 27 दिसंबर 1969 को नवाब पटौदी से शादी के लिए शर्मिला ने इस्लाम कबूल कर अपना नाम आयशा सुल्तान रख लिया था. प्यार से लेकर शादी और शादी के बाद कई उतार चढ़ाव से जूझती इस जोड़ी ने सालों अपने प्रेम को अमर बनाए रखा. साल 2011 में 70 वर्ष की आयु में पटौदी का निधन हो गया लेकिन शर्मिला और उनकी प्रेम कहानी का चर्चा आज भी कायम है.
पहली नजर में दिल हार बैठे थे पटौदी
शर्मिला टैगोर के साथ मंसूर अली खान पटौदी की मुलाकात 1965 में हुई थी. दोनों एक कॉमन फ्रेंड के जरिए मिले थे. नवाब पटौदी पहली नजर में ही शर्मिला पर अपना दिल हार बैठे थे. उन्हें इस एक मुलाकात में महसूस हो गया था कि शर्मिला ही वह लड़की हैं, जो उनके लिए बनी है लेकिन फिर भी उन्होंने अभिनेत्री को प्रपोज करने में चार साल लगा दिए थे. एक इंटरव्यू के दौरान सोहा अली खान ने बताया था कि शर्मिला को मनाने के लिए पहले तो नवाब पटौदी ने सात रेफ्रिजरेटर भेजे लेकिन जब इससे बात नहीं बनी तो करीब चार साल तक उन्होंने शर्मिला को गुलाब के फूल भेजे, तब जाकर बात बनी और वह शर्मिला के दिल में अपनी जगह बना पाए. वैसे शर्मिला को तो क्रिकेट बहुत पसंद था, लेकिन मंसूर अली खान पटौदी को बॉलीवुड के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. शर्मिला को पहली ही मुलाकात में नवाब पटौदी का सेंस ऑफ ह्यूमर बहुत पसंद आया था.
फिल्म में काम करने से कभी नहीं रोका
शर्मिला टैगोर और मंसूर अली खान पटौदी की शादी की सबसे बड़ी मुश्किल ये थी कि दोनों बहुत ही अलग बैकग्राउंड से थे. शर्मिला फिल्मी बैकग्राउंड से थीं और नवाब साहब क्रिकेट से. दोनों का धर्म भी अलग था. फिर भी दोनों ने शादी की. इस शाही शादी में राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन और इंदिरा गांधी जैसी हस्तियां भी शामिल हुई थीं.शर्मिला के बारे में ये भी कहा जाता था कि शादी के बाद उन्हें फिल्मों से दूर कर दिया जाएगा, लेकिन डेटिंग के वक्त बिकिनी पहनने से लेकर शादी के बाद भी कई ग्लैमरस रोल करने तक मंसूर अली खान पटौदी ने कभी शर्मिला को नहीं रोका.