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Birthday Special: जब ए आर रहमान परेशान होकर करने चले थे खुदकुशी, यूं एक फकीर ने बचाई थी जान

मशहूर संगीतकार ए आर रहमान का जन्म 6 जनवरी 1966 को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में हुआ था. एआर रहमान ने भारतीय सिनेमा में संगीत को नए आयाम तक पहुंचाया. दो ऑस्कर अवॉर्ड, दो ग्रामी अवॉर्ड्स और 15 फिल्मफेयर अवॉर्ड्स समेत कई अवॉर्ड्स रहमान अपने नाम कर चुके हैं.

AR Rahman (Photo Twitter) AR Rahman (Photo Twitter)
हाइलाइट्स
  • AR Rahman ने भारतीय सिनेमा में संगीत को नए आयाम तक पहुंचाया

  • चार साल की उम्र में पियानो बजाना शुरू कर दिया था

आज बॉलीवुड इंडस्ट्री के फेमस सिंगर AR Rahman अपना बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे है. रहमान का जन्म 6 जनवरी 1967 को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में हुआ था. एआर रहमान भारत के उन कलाकारों में से एक हैं, जिन्होंने अपने संगीत से पूरी दुनिया में नाम कमाया है. उनका संगीत हमेशा से अलग माना जाता रहा है. रहमान के पिता आरके शेखर को भी म्यूजिक से बेहद लगाव था. वह मलयालम फिल्मों में म्यूजिक अरेंजर का काम किया करते थे. साथ ही उनके पास जो भी म्यूजिक इक्विपमेंट होते थे, उसे वह किराए पर भी देते थे. ए आर रहमान के बर्थडे पर चलिए आपको उनसे जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं.

ऐसे अपना लिया इस्लाम धर्म 
एक बार रहमान की बहन काफी बीमार हो गई थी. उसकी हालत इतनी खराब हो गई थी कि सभी डॉक्टर्स ने जवाब दे दिया था. रहमान ने उसकी जिंदगी के लिए बहुत दुआएं मांगी थी. उस दौरान उनकी मुलाकात एक कादरी से हुई थी.उनकी सेवा करने के बाद रहमान की बहन पूरी तरह ठीक हो गई थी. इसके बाद से ही उन्होंने अपने परिवार के साथ इस्लाम धर्म अपना लिया था और अपना नाम दिलीप कुमार से बदलकर अल्लाह रक्खा रहमान उर्फ ए.आर. रहमान रख लिया था. एआर रहमान ने 23 साल की उम्र में 1989 में इस्लाम कबूल किया था.

पढ़ाई में बहुत कमजोर थे 
ए आर रहमान की पढ़ाई के बारें में बात करें तो बताया जाता है कि वो पढ़ाई में बेहद ही कमजोर थे. वो अपनी क्लास के ऐसे बच्चे थे. जिनके हमेशा कम नंबर आया करते थे. हमेशा कम नंबर आने की वजह से ए आर रहमान इतने परेशान हो गए कि उन्होंने सुसाइड करने का मन बना लिया. फकीर के संदेशों से रहमान को जीवन में ऊर्जा मिली और वे सफलता की सीढ़ीयों को चढ़ते गए।

जब दुखों का पहाड़ टूट पड़ा
ए आर रहमान ने महज 4 चाल की उम्र में ही अपने पिता के सेट पर जाना शुरू कर दिया था। ए आर रहमान पिता के पास जाते और वहां जाकर म्यूजिक इक्विपमेंट बजाना सीखते थे. धीरे-धीरे ए आर रहमान हारमोनियम को खूबसूरती से बजाने लगे, लेकिन इसी बीच उनके परिवार के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. रहमान के पिता का देहांत हो गया. जिसकी वजह से घर की सारी जिम्मेदारियां उन पर आ गईं. समय के साथ घर का खर्च चलाना बहुत मुश्किल हो रहा था. ए आर रहमान दरगाह पर जाते और वहां गाना बजाना करते थे. 

फिल्म रोजा से बॉलीवुड में आए
बॉलीवुड में मणिरत्नम ने रहमान को अपनी फिल्म रोजा में पहला ब्रेक दिया था. यही वजह है कि वह मणिरत्नम की बहुत इज्जत करते हैं. उनको जानने वाले लोग बताते हैं कि मणिरत्नम ही ऐसे अकेले शख्स हैं, जो रहमान से कभी भी अपनी मर्जी से मिल सकते हैं. ए आर रहमान ने रोजा गाने में म्यूजिक दिया. फिल्म म्यूजिकल हिट रही और इस पहली ही फिल्म ने ए आर रहमान को फिल्मफेयर अवॉर्ड दिला दिया. जिसके बाद से फिर कभी भी ए आर रहमान ने पीछे पलटकर नहीं देखा. एआर रहमान ने दिल से, रंगीला, ताल, पुकार, फिज़ा, लगान, स्वदेश, रंग दे बसंती, जोधा-अकबर, स्लमडॉग मिलियनेयर, गजनी जैसी फिल्मों में संगीत दिया है. उन्होंने देश की आजादी की 50वीं वर्षगाँठ पर 1997 में वंदे मातरम्‌ एलबम बनाया, जो काफी कामयाब रहा. एलबम जन गण मन, में उनका अच्छा काम था.

ऑस्कर सहित कई अवॉर्ड से हो चुके हैं सम्मानित
रहमान के काम की वजह से टाइम्स पत्रिका ने उन्हें मोजार्ट ऑफ मद्रास की उपाधि दी. रहमान को गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है और ये अवॉर्ड हासिल करने वाले वो पहले भारतीय हैं. इसके अलावा वो ऐसे पहले भारतीय भी हैं, जिन्हें भारतीय फिल्म ‘स्लम डॉग मिलेनियर’ में उनके संगीत के लिए तीन ऑस्कर नॉमिनेशन्स हासिल हुआ. साथ ही इसी फिल्म के गीत ‘जय हो’ के लिए सर्वश्रेष्ठ साउंडट्रैक कंपाइलेशन और सर्वश्रेष्ठ फिल्मी गीत की कैटेगरी में दो ग्रैमी पुरस्कार भी मिले. भारत सरकार ने भी उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार देकर सम्मानित किया है. रहमान चार राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड, दो एकेडमी अवॉर्ड, दो ग्रैमी अवॉर्ड, एक बाफ्टा अवॉर्ड और गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड हासिल कर चुके हैं.