ब्योमकेश बख्शी यानी रजित कपूर की गिनती इंडस्ट्री के सबसे मंझे हुए कलाकारों में होती है. इन्हें ब्योमकेश इसलिए बुलाया जाता है क्योंकि यही वह किरदार था, जिसने इन्हें लोकप्रिय बनाया. 90 के दशक में इस डिटेक्टिव शो ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं. आज रजित कपूर के 62वें जन्मदिन पर उनके निभाए सभी किरदार याद आ रहे हैं.
रजित कपूर ने रंगमंच से फिल्मों तक कई किरदार निभाए हैं. सर्वश्रेष्ठ हिंदी फीचर फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाली 'सूरज का सातवां घोड़ा' में किरदार निभाना रजित के लिए गौरव की बात थी. इसके बाद 1996 के इंडो-साउथ अफ्रीकन संयुक्त प्रोडक्शन 'द मेकिंग ऑफ द महात्माट में मुख्य भूमिका निभाकर रजित देश भर में मशहूर हो गए थे. उन्होंने 'दो आने की धूप चार आने की बारिश' में भी काफी जटिल किरदार बेहद ही सरलता से निभाया.
रजित ने एक इंटरव्यू में ब्योमकेश बख्शी से जुड़ा एक मजेदार किस्सा सुनाया था. उन्होंने कहा था, 'युगांतर सीरियल में काम करने के दौरान उन्हें ब्योमकेश बख्शी का ऑफर मिला था. इस शो की शूटिंग किसी सीरियल की तरह नहीं बल्कि फिल्म की तरह हुई. इसका अंदाजा कभी नहीं था कि यह शो इतना पॉपुलर होगा कि इसका एपिसोड देखने के लिए केमिस्ट भी अपनी दुकान बंद कर लेंगे.'
उरी और राजी जैसी सुपरहिट फिल्मों में भी किया काम
केवल बॉलीवुड ही नहीं रजित ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में भी खूब नाम कमाया है. उन्होंने 'अग्निसाक्षी' में उन्नी का प्रमुख किरदार निभाया था. रजित 3 दशकों से इंडस्ट्री में सक्रीय रूप से काम कर रहे हैं. हाल ही में वह हिंदी फिल्म जगत की बड़ी-बड़ी फिल्में उरी और राजी में भी नजर आए.
रंगमंच-बॉलीवुड के साथ OTT पर भी किया काम
रजित ने हर तरह की एक्टिंग करने पर भरोसा रखते हैं. कभी मजाकिया और तो कभी एकदम सीरीयस हर तरह से किरदार कर चुके हैं. ऐसे ही वह हर मंच पर भी अपनी पहचान बनाने में विश्वास रखते हैं. वह नेल पोलिश सीरीज में भी काम कर चुके हैं.
रजित को बचपन से ही एक्टिंग का शौक था
रजित कपूर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हैं. इनका जन्म अमृतसर में हुआ था, लेकिन डेढ़ साल की उम्र से ही वह मुंबई में रह रहे हैं. रजित ने छठी क्लास में ही एक्टिंग में डेब्यू कर लिया था. स्कूल के दिनों से ही वह एक्टिंग का शौक रखते थे और मंच पर खूब कलाकारी किया करते थे.
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