हिन्दी फिल्मों के महान डायरेक्टर ऋषिकेश मुखर्जी का जन्म कोलकाता में 30 सितंबर 1922 को हुआ था. ऋषि दा को यदि सिनेमा का स्कूल कहा जाए तो गलत नहीं होगा. सिनेमा जगत को उन्होंने बेहद करीब से देखा, समझा और अपनी फिल्मों को नया आकार देने की कोशिश की. उनका व्यक्तित्व और फिल्में इस दुनिया में कदम रखने वालों के लिए एक ऐसा स्कूल है, जहां वे फिल्मों और उससे जुड़ी बारीकियों को समझ सकते हैं. ऋषि दा के जन्मदिन पर उनकी जिंदगी के दिलचस्प किस्से के बारे में जानते हैं.
बेहद अनुशासन प्रिय व्यक्ति थे ऋषि दा
ऋषिकेश मुखर्जी का जन्म एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उन्होंने केमिस्ट्री में ग्रेजुएशन किया था. उन्होंने कुछ समय के लिए गणित और साइंस पढ़ाई भी थी. मुखर्जी को हल्के-फुल्के हास्य नाटकों आज भी याद किया जाता है, लेकिन असल जिंदगी में वह बेहद अनुशासन प्रिय व्यक्ति थे. ऋषिकेश डॉयरेक्शन में आने से पहले प्रधानाध्यापक थे. कैसे बोलना है, क्या कहना है, क्या नहीं कहना है. इस बात का उन्हें भली भांति पता होता था. वह दूसरे एक्टर को भी समझाते थे कि कैसे बात करना है क्या करना है.
सिनेमा की तरफ रुझान ले आया मुंबई
ऋषि दा का सिनेमा की तरफ झुकाव था इसलिए उन्होंने इस क्षेत्र में जाने का मन बनाया. सबसे पहले ऋषि दा ने कैमरा वर्क से अपने काम की शुरआत की. इसक बाद वे एडिटिंग के काम में शामिल हुए. उन्होंने सुबोध मित्तर से एडिटिंग की कला सीखी. ऋषि दा को जब सिनेमा की समझ होने लगी तो उन्होंने मुंबई आने का फैसला किया. 1951 में वे मुंबई आए और बिमल रॉय के सहायक के तौर पर काम करने लगे.
बिमल रॉय के सहायक के तौर पर किया काम
बिमल रॉय जैसे फिल्मकार के साथ जुड़ना उनके जीवन का सबसे बेहतरीन निर्णय साबित हुआ. बिमल रॉय से उन्होंने सिनेमा की बारीकियां सीखना शुरू किया. दो बीघा जमीन और देवदास जैसी फिल्मों के दौरान ऋषि दा ने बिमल रॉय के सहायक तौर पर काम किया. यहां से उन्होंने सिनेमा का काफी ज्ञान लिया.
अनाड़ी फिल्म से मिली थी सफलता
साल 1957 में ऋषिकेश मुखर्जी ने डायरेक्शन की दुनिया में कदम रखा. उनकी पहली डायरेक्शन डेब्यू मूवी मुसाफिर थी, जो सफल नहीं रही. इसके बाद 1959 में दूसरी मूवी अनाड़ी के लिए उन्हें खूब तारीफें मिलीं. फिल्म, क्रू और कास्ट ने पांच फिल्मफेयर अवॉर्ड जीते थे, जिसमें ऋषिकेश बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड चूक गए थे, वो भी अपने मेंटॉर बिमल रॉय से.
राजेश खन्ना, अमिताभ, धर्मेंद्र संग बनाईं बेहतरीन फिल्में
ऋषिकेश मुखर्जी ने कई फिल्में बनाईं, जो 60 के दशक से लेकर 80 के दशक तक रिलीज हुईं. इनमें अनुराधा, छाया, असली नकली, अनुपमा, आशीर्वाद, गुड्डी, बावर्ची, नमक हराम, चुपके चुपके, गोलमाल और आनंद जैसी शानदार फिल्में शामिल हैं. उन्होंने ही पहली बार धर्मेंद्र को चुपके चुपके फिल्म में कॉमेडी रोल में इंट्रोड्यूस किया था.
उन्होंने अमिताभ बच्चन को 1970 में आनंद फिल्म से बड़ा ब्रेक दिया था. इसमें राजेश खन्ना भी थे. उन्होंने जया भादुड़ी को फिल्म गुड्डी से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में मौका दिया था. अपनी फिल्मों से बॉलीवुड में अलग पहचान बनाने वाले ऋषिकेश से अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र जैसे सुपरस्टार भी डरते थे और उनके बताए हुए डॉयरेक्शन को चुपचाप फॉलो करते थे.
ऐसे व्यक्तित्व के थे ऋषिकेश दा
ऋषिकेश मुखर्जी को लेकर फिल्म रंग बिरंगी के दौरान हुई एक घटना आज भी काफी फेमस है. कहा जाता है कि फिल्म रंग बिरंगी की शूटिंग के दौरान एक बड़ा स्टार फिल्म सेट पर पहुंचने में लेट हो गए और लेट- लतीफ ऋषिकेश को पसंद नहीं थी, जब स्टार सेट पर आया तब कुछ नहीं बोले लेकिन जब वह स्टार मेकअप करने के बाद शॉट के लिए तैयार हुआ तो ऋषिकेश दा ने कह दिया आज शूटिंग नहीं होगी. ऐसे व्यक्तित्व के थे ऋषिकेश दा. ऋषिकेश मुखर्जी की आखिरी फिल्म झूठ बोले कौवा काटे थी.
27 अगस्त 2006 को दुनिया को कह दिया था अलविदा
ऋषिकेश मुखर्जी की पर्सनल लाइफ के बारे में बात करें तो उनकी तीन बेटियां और दो बेटे हैं. उनकी बीवी की मौत उनके निधन से तीन दशक पहले हो गई थी. उनके छोटे भाई द्वारकानाथ मुखर्जी ने उनकी कई मूवीज में स्क्रिप्ट लिखने में मदद की. अपने जीवन के आखिरी पलों में उनके साथ घरेलू सहायक और पालतू जानवर ही थे. उन्हें जानवरों से बहुत लगाव था. लम्बी बीमारी के बाद 27 अगस्त 2006 को ऋषिकेश मुखर्जी ने दुनिया को अलविदा कह दिया था. 1999 में उन्हें दादा साहब फाल्के और 2001 में उन्हें पद्म विभूषण दिया गया था. इसके अलावा उन्होंने कई फिल्म फेयर अवॉर्ड भी जीते थे.
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