scorecardresearch

India’s first comedy king: बचपन में स्कूल बंक करके नाटक देखने जाते थे नूर मोहम्मद, हीरो से ज्यादा फीस लेकर बने भारत के पहले कॉमेडी किंग

नूर मोहम्मद चार्ली चैपलिन के बहुत बड़े फैन थे. वो चार्ली चैपलिन को इस हद तक कॉपी कर लेते थे कि उन्हें नूर मोहम्मद चार्ली के नाम से जाना जाने लगा था.

noor mohammad charlie noor mohammad charlie
हाइलाइट्स
  • भारत के पहले सुपरस्‍टार कॉमेडियन थे नूर मोहम्मद चार्ली

  • एक जमाने में छाता ठीक करने का करते थे काम

हिंदी सिनेमा में कॉमेडियन्स की खास जगह रही है. बात चाहे 50 के दशक की हो या आज के जमाने की. फिल्मों में कॉमेडी दर्शकों को अपनी ओर खींचती ही है. भारत में कई कॉमेडियन्स ऐसे रहे जिन्हें स्टार का दर्जा दिया गया. इनमें से एक थे भारत के पहले कॉमेडी किंग नूर मोहम्मद मेनन.

नूर मोहम्मद मेमन हिंदी फिल्मों के पहले कॉमेडी स्टार थे. उन्होंने चार्ली चैपलिन स्टाइल को भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में इंट्रोड्यूस किया. वो पहले ऐसे कॉमेडियन थे जिनपर गाने भी फिल्माए गए और उन्होंने लीड रोल में भी काम किया. मशहूर कॉमेडियन जॉनी वॉकर और महमूद भी नूर मोहम्मद चार्ली के मुरीद थे और उन्हीं की नकल उतारकर मशहूर हुए थे.

स्कूल बंक करके थियेटर जाते थे नूर
नूर मोहम्मद का जन्म 1911 में पोरबंदर के राणावाव गांव में हुआ था. नूर मोहम्मद का पढ़ाई लिखाई में मन नहीं लगता था. उन्हें स्कूल जाना भी पसंद नहीं था. स्कूल बंक करके वो थियेटर चले जाया करते थे. कम उम्र में ही उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और मुंबई आकर छाता बनाने वाली दुकान में काम करने लग गए.

noor mohammad charlie
noor mohammad charlie

छाते की दुकान पर काम करते थे नूर
1925 के एक दिन वो सीधे बॉम्बे की मशहूर इंपीरियल फिल्म कंपनी पहुंच गए. जब उन्होंने फिल्म स्टूडियो में काम मांगा, तो उनसे पूछा गया क्या-क्या कर लेते हो तो उन्होंने अपने टैलेंट के बारे में बताया. उन्हें 40 रुपये वेतन पर काम पर रख लिया गया. इस तरह 14 साल के नूर मोहम्मद का फिल्मी सफर शुरू हुआ. उन्होंने अपना करियर 1925 में शुरू किया और 1931 तक उन्होंने नौ साइलेंट फिल्मों में काम किया.

चार्ली के नाम से हुए मशहूर
नूर मोहम्मद चार्ली चैपलिन के बहुत बड़े फैन थे. वो चार्ली चैपलिन को इस हद तक कॉपी कर लेते थे कि उन्हें नूर मोहम्मद चार्ली के नाम से जाना जाने लगा था. उनकी लोकप्रियता और स्टारडम का आलम ये था कि एक समय में उन्होंने उस दौर के बड़े स्टार पृथ्वीराज कपूर से भी ज्यादा फीस ली.

फिल्म इतिहासकार हरीश रघुवंशी कहते हैं, ''नूर मोहम्मद ने कॉमेडी की अपनी एक शैली विकसित की, जिसने आगे चलकर जॉनी वॉकर और महमूद जैसे महान कॉमेडियन्स को प्रभावित किया.''

हर रोल में परफेक्शन के साथ काम करते थे नूर
1932 में 'पाकदामन रकासा फिल्म में नूर के किरदार को चार्ली की तरह पेश किया गया. इस फिल्म ने धमाल मचा दिया. 1933 में आई फिल्म इंडियन चार्ली से नूर मोहम्मद दर्शकों के दिलों दिमाग पर छा गए. उनका एक किस्सा बेहद लोकप्रिय है. कहा जाता है, नूर को एक फिल्म में नाई को रोल करना था. इसलिए वो रोजाना सैलून जाने लगे, वहां जाकर वो कैंची पकड़ने और बाल काटने की प्रैक्टिस करते थे. ताकि उनके किरदार में वही परफेक्शन आ सके.
 

noor mohammad charlie
noor mohammad charlie

फिल्मों में गाने भी गाए
विभाजन के बाद वह पाकिस्तान चले गए. इस वक्त तक वो 30 फिल्मों में काम कर चुके थे. तूफान मेल, कॉलेज गर्ल, रात की रानी, सेकेट्री, गोहर, चांद तारा, बैरिस्टर्स वाइफ, पगली, संजोग, तकदीर, मुसाफिर उनकी कुछ मशहूर फिल्में थीं. उन्होंने प्रमुख निर्देशकों के साथ काम किया और अमीरबाई कर्नाटकी जैसी उस समय की प्रसिद्ध गायिकाओं के साथ गाना भी गाया. 

पाकिस्तान जाकर करियर ढलान पर आया
1980 के दशक में तेज़ाब का गाना 'एक दो तीन...' लिखने वाले जावेद अख्तर पहले गीतकार नहीं थे. नूर मोहम्मद ने अपनी फिल्म 'धंधौरा' में 'एक दो तीन...' लिखा और गाया था. यह गाना हिट भी हुआ और विवादों में भी रहा. इस पर बैन लगाने की कोशिशें की गईं. पाकिस्तान जाने का उनका फैसला उनके करियर में गिरावट लेकर आया. वह वहां सफल नहीं हो सके और 1960 में वतन लौटने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हा पाए. मजबूरन उन्हें पाकिस्तान में ही रहना पड़ा. 1963 में 'अकेली मत जाइयो' उनकी आखिरी फिल्म थी. 1983 में उनका निधन हो गया.