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पाइरेसी से हुआ फिल्म इंडस्ट्री को 22,400 करोड़ का नुकसान, सबसे ज्यादा थियेटर से चोरी होती हैं फिल्में, कौन सी साइट है पायरेसी के लिए 'बदनाम'

कंसल्टेंसी फर्म ईवाई (EY) और इंटरनेट एवं मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) ने ‘द रॉब रिपोर्ट’ में बताया है कि 2023 में इंडियन एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री को पाइरेसी की वजह से 22,400 करोड़ का नुकसान हुआ है.

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हाइलाइट्स
  • पाइरेसी से इंडस्ट्री को 22,400 करोड़ का नुकसान

  • पायरेटेड कंटेंट देखने को लेकर कोई नियम नहीं

कंसल्टेंसी फर्म ईवाई (EY) और इंटरनेट एवं मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) ने ‘द रॉब रिपोर्ट’ में बताया है कि 2023 में इंडियन एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री को पाइरेसी की वजह से 22,400 करोड़ का नुकसान हुआ है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि इंडिया के करीब 50 फीसदी यूजर्स पायरेटेड सोर्सेस से फिल्में और सीरीज देखते हैं. जबकि पायरेटेड कंटेंट में से सबसे ज्यादा 63 प्रतिशत कंटेंट ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के जरिए देखा जा रहा है.

19 से 34 साल के लोग पायरेटेड कंटेंट देखते हैं
पाइरेसी में हुए लॉस में से 13,700 करोड़ रुपए का लॉस थिएटर्स में अवैध तरीके से रिकॉर्ड किए गए कंटेंट से हुआ है. जबकि 8,700 करोड़ रुपए का नुकसान ओटीटी प्लेटफॉर्म्स से कंटेंट की चोरी के चलते हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक 19 से 34 आयु के युवा ज्यादातर पायरेटेड कंटेंट ही देखते हैं, जिसमें फीमेल ओटीटी शोज देखना पसंद करती हैं, तो वहीं मेल क्लासिक फिल्में. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म के सब्सक्रिप्शन की ज्यादा फीस, मनपसंद कॉन्टेंट न मिलने और मल्टीपल सब्सक्रिप्शन लेने से बचने के लिए लोग पायरेसी की तरफ रुख करते हैं.

क्या होती है पाइरेसी
पाइरेसी एक प्रकार की चोरी होती है. किसी भी कंटेंट को अवैध तरीके से कॉपी करना या उसका प्रसारण करना पाइरेसी कहलाता है. भारत में पाइरेसी गैरकानूनी है. मान लीजिए आप किसी थियेटर में फिल्म देखने जाते हैं और पूरी फिल्म अपने फोन में रिकॉर्ड कर बाद में कहीं अपलोड कर देते हैं तो ये भी पाइरेसी की कैटेगरी में ही आता है. कई बड़ी बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्में पाइरेसी का शिकार हो चुकी हैं.

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पाइरेसी के चलते होने वाले नुकसान में भारत तीसरे नंबर (22,400 करोड़) पर है. इससे सबसे ज्यादा नुकसान अमेरिका (92000 करोड़) और चीन (78000 करोड़) की एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री को होता है.

पाइरेसी की अपनी कीमत भी होती है
अगर आप भी सिनेमाघर, ओटीटी पर रिलीज हुई फिल्म को देखने के लिए पायरेसी का सहारा लेते हैं तो ये आपके लिए खतरा साबित हो सकती है. टेलीग्राम पर अलग-अलग चैनल नए कंटेंट रिलीज करते हैं. कई बार लोग इन टेलिग्राम चैनल पर मौजूद लिंक्स पर क्लिक करते हैं तो उन्हें किसी दूसरी साइट पर डायरेक्ट कर दिया जाता है. इनमें से कई साइट्स न सिर्फ आपके डेटा को चुरा लेती हैं बल्कि आपके डिवाइस में मालवेयर भी इंस्टॉल करवा देती हैं. जिसकी कीमत आपको साइबर फ्रॉ के रूप में चुकानी पड़ती है. आपको अहसास भी नहीं होता और आपका अकाउंट खाली कर दिया जाता है.

पाइरेसी के खिलाफ क्या है कानून
इंटरनेट और सोशल मीडिया के दौर में पाइरेसी कैंसर की तरह फैल रही है. न ही फिल्म निर्माता को समझ आ रहा है कि क्या करें, और ना ही कानून पालन करवाने वाली एजेंसियों को. इसे रोकने के लिए बनाए गए कानून भी सख्त कदम नहीं उठा पा रहे हैं. ऐसा नहीं है कि पाइरेसी को रोकने के लिए कोई कानून नहीं बनाया गया है.

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पायरेटेड कंटेंट देखने को लेकर कोई नियम नहीं
सिनेमैटोग्राफ एक्ट, 1952 के संशोधित विधेयक के तहत, सरकार ने फिल्मों की चोरी करने वालों के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए हैं. इसके तहत फिल्मों या वेब सीरीज की चोरी करने वालों को तीन साल तक की सजा और फिल्म की लागत का 5% तक जुर्माना भरना पड़ सकता है. यानी अगर किसी फिल्म का बजट 100 करोड़ रुपए है तो उस फिल्म की पाइरेसी करते पकड़े जाने पर 5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा. लेकिन पायरेटेड कंटेंट देखने को लेकर कोई नियम नहीं बनाए गए हैं. 2016 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि अगर कोई व्यक्ति पायरेटेड कंटेंट शेयर करता है तो वो अपराध है.

कौन सी साइट है पायरेसी के लिए 'बदनाम'
इस समय टेलीग्राम पाइरेसी का सबसे बड़ा सोर्स है. ग्रुप एडमिन फिल्म लीक करके अपने चैनल पर लिंक डालते हैं, जिन्हें फिल्म का नाम लिखकर आसानी से सर्च किया जा सकता है. टोरेंटो, तमिल टीवी, तमिलरॉकर्स, पॉपकॉर्न टाइम, तमिलब्लास्टर, फिल्मी जिला, और पीकाशो के जरिए भी लोग पायरेटेड कंटेंट देखते हैं. इनकी कमाई का जरिया विज्ञापन है.