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थिएटर्स में बैन हुई ये फिल्में, ऑनलाइन अभी भी हैं मौजूद

2015 में आई ये  फिल्म गे कपल की जिंदगी को दिखाती है. दरअसल, सेंसर बोर्ड को इसपर आपत्ती थी और नेटफ्लिक्स पर इसे अभी देखा जा सकता है. इस फिल्म के ट्रेलर से लेकर इसके बैकड्राप तक काफी संजीदगी से दिखाने की कोशिश की गई है, लेकिन फिर भी इसे रिलीज करना सही नहीं समझा गया. 

थिएटर में बैन हैं ये फिल्में थिएटर में बैन हैं ये फिल्में

भारत में हर साल अलग-अलग भाषाओं में छोटी-बड़ी मिलाकर हज़ारों फिल्में बनती हैं, लेकिन उनमें से कुछ ही हैं जो थिएटर तक पहुंच पाती हैं. कई ऐसी भी होती हैं जिन्हें लेकर कोई ना कोई कॉन्ट्रोवर्सी हो ही जाती है और वो रिलीज होते-होते रह जाती है. लेकिन ये फिल्में आज भी ओटीटी प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन चैनल्स पर बड़ी आसानी से देखी जा सकती हैं. 

एंग्री इंडियन गॉडेस

बैन होने की वजह-  भगवान की तस्वीरों का अलग तरह से इस्तेमाल, गंदी भाषा और बहुत कुछ

इस फिल्म का ट्रेलर जब आया था तब बहुत सारे लोगों ने आपत्ति जताई थी इसको देखते हुए मेकर्स को कई सीन हटाने भी पड़े थे, और आखिर में  मेकर्स ने खुद ही इसे रिलीज नहीं किया. लेकिन इसे आप ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर देख सकते हैं.  इसपर जितने कट लगाए गए हैं उसका वीडियो भी आपको ऑनलाइन मिल जाएगा. 

अनफ्रीडम

बैन होने की वजह - समलैंगिकता और एडल्ट सीन्स 

जिस तरह दीपा मेहता की 'फायर' को बैन किया गया था उसी तरह से अनफ्रीडम को भी बैन किया गया. इसकी सबसे बड़ी वजह फिल्म में समलैंगिकता को आधार बनाना था,  और फिल्म के कुछ ऐसे सीन्स दिखाए गए थे जिन्हें पूरी तरह से काटने की सलाह भी दी गई थी. इसमें कई ऐसे एंगल हैं जिन्हें विवादित कहा जा सकता है.  इसे भी नेटफ्लिक्स में रिलीज किया गया है. 

फायर

बैन होने की वजह-  समय के हिसाब से ज्यादा बोल्ड और समलैंगिकता

इस फिल्म के साथ भी यही कहानी है और इसे समलैंगिकता पर बनाई गई कुछ सबसे पहली और सबसे बोल्ड फिल्मों में गिना जाता है. ये 1996 में बनाई गई थी और नंदिता दास और शबाना आज़मी के कुछ सीन्स इसमें उस समय के हिसाब से बहुत बोल्ड थे. इसी के साथ, धार्मिक एंगल भी दिया गया. ये फिल्म यूट्यूब और कुछ ऑनलाइन साइट्स पर उपलब्ध है. 

 LOEV

बैन होने की वजह- ये भी समलैंगिकता पर आधारित है

2015 में आई ये  फिल्म गे कपल की जिंदगी को दिखाती है. दरअसल, सेंसर बोर्ड को इसपर आपत्ती थी और नेटफ्लिक्स पर इसे अभी देखा जा सकता है. इस फिल्म के ट्रेलर से लेकर इसके बैकड्राप तक काफी संजीदगी से दिखाने की कोशिश की गई है, लेकिन फिर भी इसे रिलीज करना सही नहीं समझा गया. 

ब्लैक फ्राइडे

बैन होने की वजह-  मुंबई बम धमाकों की कहानी 

देश में हुए कई टेरर अटैक में से सबसे खतरनाक माने जाने वाले मुंबई 1993 बम धमाकों पर आधारित ये फिल्म ऐसी कई विवादित बातें कह जाती है जिनके बारे में खुलकर बात नहीं होती. अनुराग कश्यप की ये फिल्म मेमन परिवार की कॉन्सपिरेसी को भी बताती है.  इस फिल्म को आप हॉटस्टार पर देख सकते हैं. 

परज़ानिया

बैन होने की वजह-  गुजरात दंगों का जिक्र

ये फिल्म फैक्ट्स पर आधारित है और भारत में धर्म के नाम पर होने वाले दंगों की वजह से बहुत परेशानियां  देखी गई हैं. इसी तरह से 'परज़ानिया' भी बनाई गई थी जिसमें दंगों के दौरान खोए एक लड़के की कहानी बताई गई है. इसे भी हॉटस्टार पर देखा जा सकता है. 

वाटर

बैन होने की वजह- हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाने का इल्जाम

इस फिल्म की कहानी में  महात्मा गांधी के दौर और बंटवारे को दिखाया गया है. साथ ही उस दौर में विधवाओं की जिंदगी को भी दिखाया गया था. इस फिल्म में बाल विधवा से लेकर एक खूबसूरत विधवा  की कहानी बी दिखाई गई है.  इस फिल्म की शूटिंग के दौरान ही इसका विरोध शुरू हो गया था और ये कभी भारत में रिलीज नहीं हुई. इसे भी आप यूट्यूब में देख सकते हैं. 

किस्सा कुर्सी का

बैन होने की वजह -  इंदिरा गांधी और संजय गांधी के जीवन पर बनी है ये फिल्म

इस फिल्म को इंदिरा गांधी और संजय गांधी की जिंदगी पर आधारित बताया गया है. 1978 में इस तरह की फिल्म का आना बहुत ज्यादा विवादित कहा गया.  जिस साल ये फिल्म रिलीज होनी थी उस साल इमरजेंसी भी लग गई थी.  ये फिल्म यूट्यूब पर देखी जा सकती है. 

गांडू

बैन होने की वजह-  नाम से लेकर  कंटेंट पर विवाद 

इस फिल्म के नाम से लेकर इसकी भाषा और कंटेंट को लेकर बहुत ज्यादा कट लगाए गए थे. ये कई फिल्म फेस्टिवल्स में रिलीज हुई, लेकिन इसे कभी रिलीज नहीं किया गया और इसे अब नेटफ्लिक्स पर देखा जा सकता है. 

द पिंक मिरर (2003)

श्रीधर रंगायन की द पिंक मिरर एक ऐसी फिल्म है जिसमें ट्रांस-सेक्सुअलिटी दिखाया गया है. इस फिल्म में एक सीधे -साधे आदमी को बहला फुसला कर दो ट्रांससेक्सुअल और एक समलैंगिक के साथ भेज दिया जाता है. इस फिल्म में काफी अश्लीलता दिखाई गई है. जिसकी वजह से इसे बैन कर दिया गया. 

इंशाअल्लाह, फुटबॉल (2010)
इंशाअल्लाह, फ़ुटबॉल एक कश्मीरी लड़के की डोक्यूमेंट्री है.  जो विदेश यात्रा करना चाहता है और किसी एक दिन फेमस फ़ुटबॉलर बनना चाहता है.  हालाँकि, लड़के को देश से बाहर यात्रा करने से मना किया जाता है क्योंकि उसके पिता पर उग्रवाद फैलाने का इल्जाम होता है.  इस फिल्म का मकसद कश्मीर घाटी में उग्रवाद और उग्रवाद की वजह से  वहां रहने वाले लोगों के सामने पैदा हो रही दुश्वारियों को दिखाया गया है.