जब-जब बात बॉलीवुड फिल्मों की आती है. तो लोग एक बार 1913 में आई पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र का जिक्र जरूर ही करते हैं. ये भारत में बनी पहली फूल-लेंथ फीचर फिल्म है. इसका प्रीमियर 3 मई, 1913 को मुंबई (तब बॉम्बे) के कोरोनेशन सिनेमा में हुआ था. ये एक साइलेंट फिल्म है, जिसका निर्देशन और निर्माण दादा साहेब फाल्के ने किया था. इस फिल्म की कहानी प्राचीन भारत के एक प्रसिद्ध शासक राजा हरिश्चंद्र की कहानी बताती है, जो अपनी ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के लिए जाने जाते थे यह फिल्म कठिन विकल्पों और व्यक्तिगत कठिनाइयों का सामना करने पर भी, अपने मूल्यों को बनाए रखने के लिए उनके संघर्षों और बलिदानों को चित्रित करती है.
कैसे फिल्म ने भारतीय सिनेमा को बदल दिया
वैसे तो इस फिल्म को बने अब 110 साल हो चुके हैं. लेकिन फिल्म भारतीय सिनेमा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी और इसने लोगों के मनोरंजन के माध्यम को देखने के तरीके को बदल दिया. तो चलिए आपको बताते हैं कि फिल्म राजा हरिश्चंद्र ने भारतीय सिनेमा को बदल दिया:
1. भारतीय सिनेमा पर आया लोगों का भरोसा: इस फिल्म ने लोगों का भरोसा भारतीय सिनेमा पर जताया. राजा हरिश्चंद्र एक व्यावसायिक सफलता थी और इसने भारतीय फिल्म उद्योग की क्षमता को स्थापित किया. साथ ही लोगों के बीच इस बात को प्रूफ कर दिया कि दुनिया को भारतीय फिल्मों की जरूरत है, और लोग इन्हें देखने के लिए पैसे खर्च कर सकते हैं.
2. इसने नई तकनीकों और टेक्नोलॉजी की शुरुआत की: इस फिल्म से दादा साहेब फाल्के ने नई तकनीकों और टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया, जैसे कि डबल एक्सपोजर और स्पेशल इफेक्ट. उन्होंने ही इस फिल्म से म्यूजिक के कॉन्सेप्ट को भी पहली बार पेश किया, जो बाद में भारतीय सिनेमा की पहचान बन गया.
3. इसने भारतीय मिथकों और किंवदंतियों को लोकप्रिय बनाया: राजा हरिश्चंद्र एक लोकप्रिय भारतीय मिथक पर आधारित फिल्म थी और इसने ही दर्शकों को भारतीय कहानियों और संस्कृति से परिचित कराने में मदद की.
4. भारत के लोगों को मिला नया पेशा: राजा हरिश्चंद्र की सफलता ने कई अन्य लोगों को फिल्म उद्योग में प्रवेश करने के लिए प्रेरित किया. धीरे-धीरे अभिनेताओं, तकनीशियनों और फिल्म निर्माताओं के लिए फिल्म इंडस्ट्री एक नया पेशा बन गई.
कुल मिलाकर कहें को राजा हरिश्चंद्र फिल्म ने यह साबित कर दिया कि सिनेमा में नई-नई तकनीकों और टेक्नोलॉजी को लाकर हाई-क्वालिटी और इंगेजिंग कॉन्टेंट बनाया जा सकता है. साथ ही नए फिल्म निर्माताओं को प्रेरित करके भारत में अच्छी क्वालिटी वाली आकर्षक फिल्में बनाना संभव है.