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Jagjit Singh Birth Anniversary: बचपन से रम गए संगीत में, चित्रा के पहले पति से मांगा था उनका हाथ.... जानें गज़ल किंग की दास्तां

Jagjit Singh Birth Anniversary: जगजीत सिंह को भारत ही नहीं पूरी दुनिया में उनकी गज़लों के लिए जाना जाता है. आज उनकी जन्मतिथि के मौके पर जानिए उनके सफर के बारे में.

Jagjit Singh Jagjit Singh
हाइलाइट्स
  • बचपन से ही रम गए संगीत में 

  • बेटे की मौत से टूट गए जगजीत 

जगजीत सिंह एक भारतीय शास्त्रीय गायक, संगीतकार और संगीतकार थे, जिन्हें उनके जीवनकाल में "द ग़ज़ल किंग" के रूप में जाना जाता था. रविशंकर के बाद, उन्हें पोस्ट-कॉलोनियल भारत के सबसे महत्वपूर्ण और योग्य कलाकारों में से एक माना जाता है. उन्होंने अपने जीवनकाल में 60 से अधिक एल्बम रिकॉर्ड किए. वह न केवल अपनी ग़ज़लों और कई भाषाओं में गायन के लिए जाने जाते हैं, बल्कि ठुमरी और भजन सहित हल्के भारतीय शास्त्रीय संगीत के लिए भी जाने जाते हैं.

वह और उनकी पत्नी, ग़ज़ल गायिका चित्रा सिंह, 70 और 80 के दशक के दौरान काफी पॉपुलर हुए. उन्होंने पारंपरिक गायन की शैली को पुनर्जीवित किया, जो 50 के दशक तक लगभग समाप्त हो गई थी. उन्होंने गज़लों में शब्दों को प्रमुखता दी. 

बचपन से ही रम गए संगीत में 
जगजीत सिंह का जन्म राजस्थान में हुआ था. उन्हें बचपन से ही गायिकी का शौक था और यह शौक शायद गुरबानी गाते हुए और बढ़ा. उन्होंने खालसा कॉलेज सीनियर सेकेंडरी स्कूल में संगीत की पढ़ाई शुरू की और खालसा कॉलेज, श्रीगंगानगर में भी संगीत से जुड़े रहे. उन्होंने हरियाणा में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में कला की डिग्री प्राप्त की और पोस्टग्रेजुएट की. 

बात उनके संगीत गुरुओं की करें तो पंडित छगनलाल शर्मा और उस्ताद जमाल खान से उन्होंने शिक्षा ली. 1961 में जगजीत ने ऑल इंडिया रेडियो के लिए अपने पेशेवर गायन की शुरुआत की. साल 1965 में वह बॉलीवुड में अपनी किस्मत आजमाने मुंबई पहुंचे. लेकिन यहां बहुत संघर्ष था. इसलिए उन्होंने शुरुआत कमर्शियल्स के लिए जिंगल लिखने और गाने में से की.  

चित्रा के पति से मांगा था उनका हाथ 
जगजीत सिंह मुंबई में अभी संघर्ष हीकर रहे थे जब उनकी मुलाकात देबू प्रसाद से हुई जो रिकॉर्डिंग में दिलचस्पी रखते थे. उन्होंने घर में ही स्टूडियो बना रखा था. .ही देबू प्रसाद चित्रा के पहले पति थे. साल 1967 में जगजीत की देबू और चित्रा से मुलाकात हुई. बताते हैं कि पहली बार जगजीत को सुनने पर चित्रा को उनकी आवाज पसंद नहीं आई थी. 

हालांकि, जब एक-दूसरे को जानने लगे तो अच्छे दोस्त बन गए. कुछ समय बाद चित्रा और देबू का तलाक हुआ. उनका एक बेटी भी थी. इसके बाद चित्रा टूट गईं और जगजीत ने उनका बतौर दोस्त पूरा साथ दिया. जगजीत ने चित्रा को प्रपोज किया लेकिन चित्रा ने कहा कि अभी उनका तलाक नहीं हुआ है. जगजीत सिंह ने इंतजार किया और उनके तलाक के बाद, देबू से जाकर कहा कि वह चित्रा से शादी करना चाहते हैं. 

इस एल्बम ने किया मशहूर 
जगजीत और चित्रा ने अपने बेटे विवेक के जन्म के बाद अपना पहला एल्बम, द अनफॉरगेटेबल्स बनाया जिसे एचएमवी ने 1977 में जारी किया गया था. जगजीत ने गज़लों के तरीके में कई बदलाव किए. उन्होंने शास्त्रीय ग़ज़ल रूप का मॉडर्न शैली के साथ संयोजन किया और यह हिट रहा. 

उन्होंने फिल्मों के लिए भी गज़लें लिखीं और गाईं. साल 1981 में फिल्म प्रेम गीत के लिए होठों से छू लो तुम, फिल्म अर्थ के झुकी-झुकी सी नजर.., फिल्म साथ-साथ में तुमको देखा तो ये ख्याल आया…, ये तेरा घर ये मेरा घर… इन सभी ने जगजीत सिंह को गजल सम्राट बनाया. वे एचएमवी के अब तक के सबसे अधिक बिकने वाले साउंडट्रैक रिकॉर्डिंग कलाकारों में सूचीबद्ध हैं. सिंह के अन्य फिल्म स्कोर में प्रेमगीत, तुम बिन, सरफरोश, दुश्मन और तरकीब शामिल थे.

बेटे की मौत से टूट गए जगजीत 
साल 1991 में अपने बेटे विवेट की एक कार दुर्घटना में मौत के बाद जगजीत और चित्रा टूट गए. उनका बेटा मात्र 21 साल का था. इसके बाद, चित्रा ने गायन से संन्यास ले लिया. कुछ समय तक जगजीत भी गायन से दूर रहे. हालांकि, उन्हें सुकून गायन में ही मिला. बाद में, उन्होंने 1991 के सजदा में लता मंगेशकर के साथ गाया और यह एचएमवी इंडिया के कैटलॉग में सबसे ज्यादा बिकने वाली गैर-साउंडट्रैक रिकॉर्डिंग में से एक बन गया. 

उन्होंने 90 के दशक के दौरान टेलीविजन में भी बड़े पैमाने पर काम करना शुरू किया. उन्होंने हीना, नीम का पेड़ और हैलो जिंदगी जैसे कुछ सीरियल्स के लिए गाने, धारावाहिक संगीत और स्कोर तैयार किए. उन्होंने अभिजीत भट्टाचार्य, अशोक खोसला, घनश्याम वासवानी, सिज़ा रॉय, तलत अज़ीज़ और विनोद सहगल सहित कई भारतीय लोकप्रिय गायकों को पढ़ाना और सलाह दी. उन्होंने ही विपुल भारतीय पार्श्व गायक कुमार शानू को तलाशा और उनका मार्गदर्शन किया. 

मिले कई सम्मान
1998 में, जगजीत को कवि मिर्जा ग़ालिब के काम को उनके स्कोर और इसी नाम की टेलीविजन श्रृंखला के लिए साउंडट्रैक के साथ लोकप्रिय बनाने के लिए एक साहित्यिक सम्मान, साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया. 2003 में, उन्हें भारत सरकार द्वारा उच्च स्तरीय नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण दिया गया था. उन्हें 2006 में टीचर्स लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला. 

साल 2011 में, गुलाम अली के साथ एक संगीत कार्यक्रम से पहले, सिंह को ब्रेन हेमरेज हुआ. 23 सितंबर को उनका निधन हो गया. उन्हें मरणोपरांत राजस्थान रत्न 2013 से सम्मानित किया गया, जो राजस्थान की राज्य सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है. उनकी रिकॉर्डिंग और संकलन पूरे यूरोप और एशिया में कई बार फिर से जारी किए गए हैं.