scorecardresearch

Happy Birthday Jackie Shroff: मुंबई के लोकल गुंडे से बॉलीवुड का जग्गू दादा बनने तक का सफर, जानिए जैकी श्रॉफ की पूरी कहानी

जैकी बॉलीवुड के उन अभिनेताओं में से एक हैं जिन्होंने सिर्फ फिल्मों में काम ही नहीं किया है बल्कि इसे जिया है. यही वजह है ये फिल्मों में बिना ब्रेक लिए फिल्मों में लगातार सक्रिय हैं. आज उनके जन्मदिन पर हम आपको उनकी पूरी जर्नी के बारे में बताएंगे.

जैकी श्रॉफ जैकी श्रॉफ
हाइलाइट्स
  • बस स्टॉप पर ऑफर हुई थी मॉडलिंग

  • निर्देशकों की पहली पसंद बन गए जैकी

  • पिता ने बचपन में की थी बड़ा आदमी बनने की भविष्यवाणी

अगर किसी में कुछ करने का जज्बा और हुनर हो तो भला उसे कौन रोक सकता है. आज हम आपको जिस शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं वो कभी मुंबई कि गलियों में दादागिरी किया करता था. अपने जीवन की गाड़ी चलाने के लिए उसने ट्रक ड्राइविंग भी की, लेकिन जब मौका मिला तो उसे भुनाते हुए वो मायानगरी का चमकता सितारा बन गया. हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड के बीड़ू जैकी श्रॉफ की.

देव आनंद ने दिया था पहला रोल
एक बार की बात है जब देवानंद साहब साल 1982 में अपनी फिल्म स्वामी दादा की शूटिंग मुंबई की एक लोकल कॉलोनी में कर रहे थे. शूटिंग देखने के लिए काफी भीड़ जमा थी. इसी भीड़ में वहां एक लोकल गुड़ा भी खड़ा था. जिसका हुलिया बाकी लोगों से कुछ अलग था. जब देव आनंद साहब की नजर उसपर पड़ी तो देव साहब ने उसे बुलाया और छोटा सा रोल करने के लिए कहा. उसने वो रोल किया और इस कदर किया कि ना सिर्फ फिल्म स्वामी दादा बल्कि हिंदी सिनेमा में हमेशा के लिए अपनी जगह पक्की कर ली. ये लोकल गुंडा कोई और नहीं बल्कि सबके प्यारे जग्गू दादा थे. 

और ऐसे बने जग्गू दादा...
फिल्मी दुनिया में अपनी अलग पहचान रखने वाले जैकी श्रॉफ का जन्म 1 फरवरी, 1957 को महाराष्ट्र के लातूर जिले के एक गांव में हुआ था. इनका पूरा नाम है जय किशन काकूभाई श्रॉफ. जैकी का परिवार मुंबई के मालाबार के तीनपत्ती एरिया में रहता था. घर की आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के कारण जैकी ज्यादा पढ़ लिख नहीं पाए. जैकी के बड़े भाई चॉल के असली दादा थी, वो कभी भी किसी की भी मदद करने के लिए पीछे नहीं हटते थे. लेकिन समय का चक्र ऐसा पलटा की हमेशा गरीबों की मदद करने वाला ये भाई किसी को बचाने के लिए समुद्र में कूद गया जबकि उसे तैरना भी नहीं आता था. जिसके बाद उसने अपनी जान गवां दी. भाई की मौत के बाद जैकी ने अपने भाई की जगह ले ली और बस्ती में भलाई का काम करने लगे. इस तरह जैकी जग्गू दादा बन गए.

पिता ने बचपन में की थी बड़ा आदमी बनने की भविष्यवाणी
वैसे तो आज जैकी ने बहुत सी फिल्मों में बेहतरीन किरदार निभाए हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्हें कुकिंग का भी काफी शौक है. यहां तक की जैकी शेफ बनना चाहते थे. वो कहते हैं ना कि जो होता है अच्छे के लिए होता है ऐसा ही कुछ हुआ जैकी के साथ. डिग्री ना होने के कारण वो शेफ तो नहीं बन सके, और उसके जैकी ने एयर इंडिया में फ्लाइट अटेंडेंट का भी काम किया लेकिन उनकी कम शिक्षा इसमें भी बाधा बन गई, पर फिल्मी दुनिया से जो कामयाबी उन्हें मिली उसकी शायद कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी. जैकी के पिता ज्योतिष थे और जैकी के बचपन में ही उन्होंने जैकी के लिए ये भविष्यवाणी की थी कि वो एक दिन बहुत बड़े आदमी बनेंगे. 

बस स्टॉप पर ऑफर हुई थी मॉडलिंग
भाग्य ने पलटा खाया और एक बार जब जैकी बस स्टॉप पर बस का इंतजार कर रहे थे, तब एक आदमी ने उन्हें मॉडलिंग का ऑफर दिया. परिवार की तंगी थी और इसमें पैसे भी अच्छे मिल रहे थे तो जैकी ने हामी भर दी, और इस तरह जैकी के सितारा बनने की शुरुआत हुई. जैकी का भाग्य जोरों पर था, वो भारी भीड़ में से देवानंद साहब को पसंद आ गए. इसके बाद जैकी फिल्मों में ही काम तलाशने लगे. अब इसे जैकी की किस्मत ही कहेंगे की उस वक्त स्टारमेकर डायरेक्टर सुभाष घई स्टार सन से परेशान होकर अपनी फिल्म हीरो के लिए किसी नए चेहरे की तलाश कर रहे थे. ये फिल्म जैकी को मिल गई और उनकी जोड़ी नई एक्ट्रेस मिनाक्षी सिसादरे के साथ बनाई गई. 

जब जयकिशन से बने जैकी...
सुभाष घई को जयकिशन नाम काफी पुराना और बड़ा लगा इसलिए उन्होंने इसे जैकी कर दिया. फिल्म हीरो 1983 की सुपर डुपर हिट रही. हीरो की सफलता के बाद बॉलीवुड में भी जैकी की दादागिरी चल निकली. इसके बाद जैकी ने अंदर बाहर, जुनून और युद्ध जैसी फिल्में की. उसके बाद साल 1986 में फिल्म कर्मा आई और वो फिल्म ना सिर्फ सुपर हिट रही बल्कि उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन गई. जैकी का सिक्का अब पूरी तरह चल चुका था.  आगे के सालों में फिल्म खलनायक, राम लखन, तेरी मेहरबानियां, गर्दिश जैसी फिल्मों से जैकी ने मायानगरी में धूम मचा दी. 

निर्देशकों की पहली पसंद बन गए जैकी
अब आलम ये था की निर्देशक स्टार कास्ट को छोड़ कर जैकी को साइन करने लगे. फिल्म किंग अंकल और अल्लाह रखां वो फिल्में थी, जिसमें निर्देशक की ओरिजनल पसंद अमिताभ बच्चन थे, लेकिन बाद में ये फिल्में जैकी श्रॉफ के खाते में आईं. कई सालों का समय बीतने के बाद अब समय था जैकी की प्रतिभा को सम्मान मिलने का. साल 1989 में आई फिल्म परिंदा ने जैकी के करियर में एक नई ऊंचाई दी. जैकी को इस फिल्म के लिए बेस्ट एक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड दिया गया. इसके बाद साल 1994 में आई फिल्म 1942 लव स्टोरी, और 1995 में आई राम गोपाल वर्मा की फिल्म रंगीला के लिए जैकी को बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया.

जैकी बॉलीवुड के उन अभिनेताओं में से एक हैं जिन्होंने सिर्फ फिल्मों में काम ही नहीं किया है बल्कि इसे जिया है. यही वजह है ये फिल्मों में बिना ब्रेक लिए फिल्मों में लगातार सक्रिय हैं. बीते कुछ सालों में जैकी ने हैप्पी न्यू इयर, धूम 3, ब्रदर्स, पलटन, रॉ और मायावान जैसी फिल्में भी की हैं. उसके बाद साल 2019 में उन्होंने हॉटस्टार पर क्रिमिनल जस्टिस वेब सीरीज में जबरदस्त रोल में नजर आए थे.