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FilmyFriday Kader Khan: कभी भीख मांगकर गुजारा करने वाले कादर खान जिनके पास पहनने को नहीं थी चप्पलें...कब्रिस्तान जाकर लिखते थे फिल्मों के डायलॉग्स

कादर खान को उनकी कॉमेडी के लिए याद किया जाता है. उन्हें 9 बार बेस्ट कॉमेडियन अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट किया गया था. एक अभिनेता होन के साथ-साथ वो बेहतरीन स्क्रिप्ट राइटर भी थे. कादर खान कब्रों के बीच बैठकर डायलॉग्स लिखा करते थे.

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कादर खान जैसे महान कलाकार सहस्राब्दी में एक बार पैदा होते हैं. कादर खान, अफगानिस्तान में पैदा हुए लेकिन बाद में भारत आ गए. कादर खान हिंदी सिनेमा की एक महान शख्सियत थे. एक लेखक और अभिनेता के रूप में उन्होंने हिंदी सिनेमा में बड़ा योगदान दिया. उनकी सबसे मजबूत, सबसे प्यारी पार्टनरशिप गोविंदा के साथ थी. फिर चाहें कॉमेडी हो या विलेन का किरदार कादर खान ने अपनी दमदार अदाकारी से सभी को अपना कायल बना दिया.

जितनी मजेदार कादर खान की एक्टिंग होती थी, उतने ही दमदार उनके डायलॉग भी हैं. उन्होंने 300 से अधिक फिल्मों में काम किया और 250 से ज्यादा फिल्मों में डायलॉग्स लिखे. साल 2019 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार मिला. इसके अलावा वो 9 बार फिल्मफेयर के लिए भी नॉमिनेट हुए. 31 दिसंबर 2018 को लंबी बीमारी की वजह से उनका निधन हो गया. उन्हें प्रोग्रेसिव सुप्रा न्यूक्लियर पाल्सी डिसऑर्डर हो गया था. कादर खान को ये नाम और सोहरत इतनी आसानी से नहीं मिले. उनका बचपन बेहद गरीबी में बीता.

भीख मांगकर किया गुजारा
कादर खान का जन्म 22 अक्टूबर को काबुल में हुआ था. कादर से पहले उनके परिवार में 3 बेटे हुए थे लेकिन उन सभी का आठ साल की उम्र तक निधन हो गया. कादर के जन्म के बाद उनकी मां डर गईं कि कहीं उनके साथ भी ऐसा ही न हो. तब उन्होंने अफगानिस्तान से भारत आने का फैसला किया और वो मुंबई के धारावी में आकर बस गए. यहीं से उनका असली संघर्ष शुरू हुआ. कादर जब एक साल के थे तब उनके माता-पिता का तलाक हो गया. इसके एक मस्जिद पर जाकर वो भीख मांगने लगे. दिन-भर में जो दो रुपए मिलते उसी से उनका घर चलता था. एक इंटरव्यू में कादर ने खुलासा किया था कि हफ्ते में तीन दिन वे और उनकी मां खाली पेट ही सोते थे.

असल जिंदगी पर फिल्माया गया सीन
साल 1977 में कादर खान ने फिल्म मुकद्दर का सिकंदर लिखी थी. इस फिल्म में एक सीन फिल्माया गया है, जिसमें एक बच्चे को कब्रिस्तान में जाकर रोता है और वहां पर उसकी मुलाकात एक फकीर से होती है.  इस फिल्म का ये सीन कादर खान की असल जिंदगी से प्रेरित था क्योंकि वो कब्रिस्तान जाकर डायलॉग बोलने की प्रैक्टिस करते थे. यहीं अशरफ खान नाम के एक शख्स की नजर उनपर पड़ी जिसने उन्हें नाटक करने की सलाह दी.

कैसे मिला ब्रेक?
कादर खान ने बॉम्बे युनिवर्सिटी के इस्माइल युसुफ कॉलेज से इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की थी. फिल्मों में करियर बनाने से पहले कादर खान एमएच सैबू सिद्दिक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर थे. एक बार जब वो काम पर जा रहे थे तो उनकी मां ने उन्हें रोक दिया और कहा कि उन्हें ये सब करने की जरूरत नहीं है. अभी वो पढ़ाई करें. कादर ने मां की सलाह मानी और स्कूल में दाखिला ले लिया. कादर बचपन से ही लोगों की नकल करते थे. जब वो नमाज पढ़ने जाते थे तो कब्रिस्तान में बैठकर फिल्मी डायालॉग्स बोलते थे. एक दिन कादर पढ़ा रहे थे तब उनके कॉलेज में दिलीप कुमार आए. यही प्ले देखकर दिलीप ने कादर को दो फिल्मों में साइन किया. ये फिल्म थीं सगीना और बैराग.

कादर खान ने उस दौर की हिट फिल्म 'रोटी' के डायलॉग्स लिखे थे. इस फिल्म के लिए मनमोहन देसाई ने उन्हें एक लाख 20 हजार रुपए फीस दी थी. उस समय यह फीस उनके लिए बहुत बड़ी थी. कादर खान ने फिल्मों के अलावा कई टीवी शो में भी काम किया है. उनका शो 'हंसना मत' काफी लोकप्रिय हुआ था. 

अमिताभ के साथ 21 फिल्में
अमिताभ  बच्चन के साथ कादर खान का याराना काफी पुराना है. कादर खान और अमिताभ ने 21 फिल्मों में साथ काम किया जिसमें दो और दो पांच, अदालत, मुकद्दर का सिकंदर, मिस्टर नटवरलाल, सुहाग, कुली, कालिया, शहंशाह और हम जैसी फिल्में हैं. इस फिल्म में उन्होंने अभिनेता समेत बतौर डायलॉग-स्क्रिप्ट राइटर काम किया था.