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क्या है कर्नाटक में 500 साल से चली आ रही भूत कोला परंपरा, जिस पर बनी है Kantara फिल्म

What is Bhoota Kola: भूत कोला परफॉर्म करना खानदानी परंपरा होती है यानी जो शख्स नर्तक बनता है, उसके बाद उसका बेटा और फिर उसके बेटे का बेटा नर्तक बनता है. भूत कोला मूल रूप से गांव के देवता के मंदिर के पास खुले मैदान में किया जाता है. 

Bhoota Kola Bhoota Kola
हाइलाइट्स
  • भूत कोला एक स्थानीय पूजा होती है.

  • हर किसी को निभानी होती है खानदानी परंपरा

कन्नड़ सिनेमा की फिल्म कांतारा आज कल खूब चर्चा में है. ऋषभ शेट्टी के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म की लोग तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. ‘कांतारा’ की कहानी वनवासियों के जमीनों को सरकार और जमींदारों द्वारा कब्जाने के इर्दगिर्द घूमती है. कांतारा सिर्फ एक फिल्म नहीं बल्कि वनवासी समाज की संस्कृति और इतिहास की वास्तविक दास्तां है. अगर आपने फिल्म देखी होगी तो आपको इसका वो दृश्य जरूर याद होगा जिसमें भूत कोला डांस दिखाया जाता है.

कर्नाटक के गांवों की संस्कृति को समझने बूझने वाले लोगों के लिए भूत काला का क्या अहमियत है इसे शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है.

क्या है भूत कोला परंपरा

भूत कोला एक स्थानीय पूजा होती है. भूत कोला (देवताओं के लिए नृत्य) मूल रूप से गाँव के देवता के मंदिर के पास खुले मैदान में किया जाता है. यह लगभग शाम के 7-7.30 बजे शुरू होता है और जैसे-जैसे शाम बीतती है, यह डांस परफॉर्मेंस और शानदार अनुभव में बदल जाती है. माना जाता है कि जो शख्स भूत कोला परफॉर्म करता है यानी नर्तक बनता है, उसके अंदर पंजुरी देवता आते हैं और वह गांव वालों के पारिवारिक मुद्दों और विवादों को सुलझाते हैं. वे अपना निर्देश भी गांव वालों के लिए जारी करते हैं. उनके द्वारा बोले गए शब्दों को सर्वोपरि माना जाता है और हर किसी को इसका पालन करना होता है.

500 सालों से चली आ रही परंपरा

भूत का नाम सुनते ही बेशक आपके दिमाग में निगेटिव एनर्जी वाली फीलिंग आती हो लेकिन तुलु परंपरा में भूत शब्द देवता के बराबर माना जाता है. कोला का अर्थ होता है प्रदर्शन. वहां के लोग अपनी जमीन और संस्कृति की रक्षा के लिए 500 सालों से इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं. मेंगलुरु और कर्नाटक के ग्रामीणों और उनके पूर्वजों का मानना ​​है कि कुछ देवता आज भी उनकी भूमि की रक्षा करते हैं और उनके दैनिक मामलों की देखभाल करते हैं. चूंकि देवता इन गांवों को समस्याओं और बुरी घटनाओं से बचाते हैं, इसलिए वहां के लोग देवताओं के आशीर्वाद और समृद्धि के लिए एक साथ प्रार्थना करते हैं. नए घर में जाने से पहले, या किसी की शादी से पहले भी भूत कोला आयोजित की जाती है.

हर किसी को निभानी होती है खानदानी परंपरा

भूत कोला परफॉर्म करना खानदानी परंपरा होती है यानी जो शख्स नर्तक बनता है, उसके बाद उसका बेटा और फिर उसके बेटे का बेटा नर्तक बनता है. भूत कोला कर्नाटक में नवंबर से मार्च तक आयोजित की जाती है. कन्नड़ भाषा की एक्शन और थ्रिलर फिल्म कांतारा को ऋषभ शेट्टी द्वारा निर्देशित और अभिनीत किया गया है. जिसे 30 सितंबर को रिलीज किया गया था. तारा में अच्युत कुमार और सप्तमी गौड़ा भी मुख्य भूमिका में हैं.