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कौन थे सी शंकरन नायर? इनपर बन रही बायोपिक में अक्षय कुमार के साथ नजर आएंगे आर माधवन

बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार और आर माधवन जल्द ही एक कोर्ट रूम पीरियड ड्रामा फिल्म में एक साथ नजर आने वाले है. दोनों एक्टर्स ने फिल्म की शूटिंग भी शुरू कर दी है. अक्षय कुमार और आर माधवन जिस कोर्ट रूम पीरियड ड्रामा फिल्म नजरा आने वाले है उन्होंने अंग्रेजो से जलियांवाला बाग मामले में अकेले लोहा लिया था, जिनका नाम सी शंकरन नायर है. आइए जानते हैं इनके बारे में.

C Sankaran Nair C Sankaran Nair
हाइलाइट्स
  • एक वकील थे सी शंकरन नायर

  • बायोपिक में अक्षय कुमार, आर माधवन और अनन्या पांडे आएंगे नजर

बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार बहुत जल्द ही एक और बायोपिक फिल्म में नजर आने वाले है. इस फिल्म में वह अनन्या पांडे के साथ स्क्रीन शेयर करते नजर आएंगे. इस फिल्म को करण जौहर के प्रोडक्शन हाउस धर्मा प्रोडक्शन के अंतर्गत बनाया जा रहा है. इस फिल्म के साथ एक और बड़े एक्टर का नाम जुड़ गया है. वह नाम आर माधवन का है. जो अक्षय कुमार के साथ स्क्रीन शेयर करते नजर आएंगे. 

फिल्म होगी कोर्ट रूम पीरियड ड्रामा 
इस फिल्म की बात करें तो यह सी शंकरन नायर बायोपिक होने वाली है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस फिल्म का नाम द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ सी शंकरन नायर रखा जाएगा. इस मूवी करण सिंह डायरेक्ट करेंगे.  यह मूवी पूरी तरह से कोर्ट रूम पीरियड ड्रामा 1920-1930 के एरा में सेट होगी. जिसकी शूटिंग अक्षय कुमार ने शुरू भी कर दी है. इस फिल्म में अक्षय कुमार और आर. माधवन दोनों ही वकील की भूमिका में नजर आएंगे. वहीं अनन्या पांडे की रोल की बात करें तो मेकर्स ने उनके रोल के बारे में कोई जानकारी शेयर नहीं की है. 

कौन थे सी शंकरन नायर
सी शंकरन नायर केरल के पालक्कड़ से ताल्लुक रखने वाले थे. उनका जन्म 11 जुलाई 1857 को हुआ था. यह पेशे से मद्रास हाईकोर्ट में वकील और जज थे. जानकारी के मुताबिक नायर हमेशा सही के साथ खड़े रहते थे. नायर ने 1897 में इंडियन नेशनल कांग्रेस को ज्वाइन कर लिया था. वह सबसे कम उम्र में मलयाली प्रेसिडेंट बनने वाले शख्स बने. अंग्रेजों ने उनके बागी रवैये को देखते हुए 1912 में नाइटहुड की उपाधि दी थी. 

अकेले लड़ी जलियांवाला बाग हत्याकांड के दोषियों से जंग 
सी शंकरन नायर को 1915 में वायसराय काउंसिल का हिस्सा बनाया गया. इस काउंसिल में शामिल होने वाले वह पहले भारतीय थे. उन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड के दोषियों से जंग अकेले लड़ी थी. उन्हें जब जलियांवाला बाग हत्याकांड का पता चला तो उन्होंने तुरंत अंग्रेजो के द्वारा दिए पद से इस्तीफा दे दिया था. इतना ही नहीं उन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड में जनरल ओ डायर का खुलकर विरोध किया था. इसके साथ ही उनके खिलाफ केस भी चला जिसे नायर साहब हार गए थे और उन्हें फिर इसके लिए 500 पाउंड का जुर्माना भरना पड़ा था.