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योद्धा ही नहीं एक प्रेमी भी थे पृथ्वीराज चौहान, स्वयंवर के बाद भगाकर ले आए थे अपनी प्रेमिका संयोगिता को 

स्वयंवर के दिन संयोगिता सभी राजकुमारों को नापसंद करके आगे निकल गईं. जब वह मूर्ति के पास पहुंची, तो पृथ्वीराज चौहान अचानक से प्रकट हुए और फिर संयोगिता ने उनके गले में फूलों की माला डाल दी. और इस तरह दोनों की शादी हो गई.

Prithviraj (Photo: T-series) Prithviraj (Photo: T-series)
हाइलाइट्स
  • पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की तकरार और प्यार की कहानी

  • इन दोनों की प्रेम कहानी में पन्ना रे का बहुत बड़ा हाथ है

'पृथ्वीराज' फिल्म का ट्रेलर  सोमवार को रिलीज़ हो गया है. ये फिल्म 3 जून को थिएटर में रिलीज होने वाली है. इस फ‍िल्म में संजय दत्त, सोनू सूद, आशुतोष राणा, साक्षी तंवर के साथ-साथ 2017 में म‍िस वर्ल्ड बनीं मानुषी छ‍िल्लर भी हैं. अक्षय कुमार ने पृथ्वीराज चौहान रोल न‍िभा रहे हैं जबक‍ि मानुषी ने संयोग‍िता की भूम‍िका निभाई है. बता दें, ये मानुषी की पहली फिल्म है.   

दरअसल, भारत का इतिहास राजा महाराजाओं की हिम्मत की कहानियों से भरा पड़ा है. लेकिन इतिहास में केवल इतनी ही नहीं है. उनकी जिंदगियों का एक बहुत बड़ा पहलू छिपा हुआ है. ये पक्ष है उनकी प्रेम कहानियां वाला. दिल्ली की राजगद्दी पर बैठने वाले आखिरी हिन्दू शासक पृथ्वीराज चौहान को एक योद्धा के रूप में कौन नहीं जानता है. लाकिन क्या आप जानते हैं कि पृथ्वीराज चौहान को एक प्रेमी के रूप में भी जाना जाता है? जी हां, उनकी और संयोगिता की लव स्टोरी. राजस्थान के इतिहास में इसके प्रमाण भी मिलते हैं. संयोगिता कन्नौज के राजा जयचंद की बेटी थी. जिन्हें भगाकर पृथ्वीराज ने उनसे शादी की थी. 

पृथ्वीराज चौहान के बारे में लिखी ‘पृथ्वीराज रासो’ में उनकी और संयोगिता की कहानी के बारे में पता चलता है. 12वीं शताब्दी के राजा के बारे में इस किताब को चंद बरदाई ने लिखा है. 

पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की तकरार और प्यार

दरअसल, पृथ्वीराज चौहान की बहादुरी के किस्से कन्नौज की राजकुमारी संयोगिता के कानों में भी पड़े थे. दोनों के बीच में पहले खूब तकरार हुई. लेकिन फिर दोनों को एक-दूजे से प्यार हो गया. हालांकि, तकरार से प्यार तक का सफर इतना आसान नहीं रहा. इसमें कई कुर्बानियां हुईं, लड़ाइयां हुई और तब जाकर दोनों की शादी हुई.

कई कहानियों के मुताबिक, कन्नौज के राजा जयचंद्र ने शक्तिप्रदर्शन के लिए राजसूय यज्ञ रखा था. जिसमें सभी राजाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज की सिर्फ पृथ्वीराज चौहान को छोड़कर. पृथ्वीराज ने इस यज्ञ में आने से मना कर दिया. जिसपर राजा जयचंद्र काफी गुस्सा हुए. लेकिन तबतक राजकुमारी संयोगिता पृथ्वीराज के प्यार में पड़ चुकी थीं.

एक दूसरे से हुआ प्यार

कहते हैं कि इन दोनों की प्रेम कहानी में पन्ना रे का बहुत बड़ा हाथ है. पन्ना रे पृथ्वीराज के पेंटर थे. उन्होंने ही पृथ्वीराज को संयोगिता की और संयोगिता को पृथ्वीराज की पेंटिंग दिखाई थी, जिसके बाद एक-दूसरे को प्यार हो गया था. 

लेकिन, उसी वक्त राजा जयचंद्र अपनी बेटी का स्वयंवर रख दिया था. इस स्वयंवर में उन्होंने सभी को बुलाया बस पृथ्वीराज को नहीं. इसी दौरान, पृथ्वीराज को बेइज्जत करने के लिए उनकी एक मूर्ति महल के बाहर लगवाई गई थी. संयोगिता को इस बात को कोई भी अंदाजा नहीं था कि पृथ्वीराज को स्वयंवर में नहीं बुलाया गया है. इससे उन्हें काफी ठेस पहुंची जिसके बाद संयोगिता ने राजा पृथ्वीराज को पत्र लिखा कि वे आएं और उन्हें लेकर चले जाएं. 

पृथ्वीराज और संयोगिता की प्रेम कहानी

जब स्वयंवर का दिन आया, संयोगिता सभी राजकुमारों को नापसंद करके आगे निकल गईं. जब वह मूर्ति के पास पहुंची, तो पृथ्वीराज चौहान अचानक से प्रकट हुए और फिर संयोगिता ने उनके गले में फूलों की माला डाल दी. और इस तरह दोनों की शादी हो गई. 

लेकर चले गए संयोगिता को 

इसके बाद पृथ्वीराज ने अपनी तलवार उठाई और कन्नौज के राजा को खुलेआम ललकारा. उन्होंने इस विवाह को रोकने के लिए कहा. कन्नौज से संयोगिता को अपने साथ ले जाते वक्त हजारों सैनिकों ने अपने राजा पृथ्वीराज चौहान के नाम पर बलिदान दिया ताकि वह अपनी पत्नी संयोगिता को कन्नौज से सुरक्षित निकाल सके. और इस तरह दोनों एक दूसरे के हो गए और उनके प्रेम कहानी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई.