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Guru dutt Birth Anniversary: लीजेंडरी फिल्ममेककर गुरूदत्त की लाइफ के कुछ अनसुने किस्से, जानकर रह जाएंगे हैरान

एक्टिंग के गुरु कहे जाने वाले गुरु दत्त(Guru Dutt) की आज बर्थ एनिवर्सिरी(Guru Dutt Birth Anniversary) है. एक शर्ट की वजह से गुरुदत्त की देवानंद(Devanand) से दोस्ती हुई थी. दिलीप कुमार(Dilip Kumar) ने हामी भरने के बाद भी उनकी फिल्म नहीं की थी. गुरुदत्त के वहीदा रहमान(Waheeda Rehman) से प्यार के किस्से जानकर आप हैरान रह जाएंगे.

Guru dutt Birth Anniversary Guru dutt Birth Anniversary

हिंदी सिनेमा के महान कलाकार गुरुदत्त की आज बर्थ एनिवर्सिरी है. गुरुदत्त एक बेहतरीन डायरेक्टर, लेखक और एक्टर थे. गुरूदत्त को दुनिया के सबसे अच्छे कलाकारों में गिना जाता है. गुरुदत्त अपनी क्लॉसिक फिल्में प्यासा, साहिब बीवी और गुलाम, कागज के फूल और चौदहवीं के चांद के लिए जाने जाते हैं.

गुरुदत्त की फिल्मों की जिंदगी तो शानदार रही लेकिन उनकी पर्सनल लाइफ काफी कुछ उथल-पुथल रही. गुरुदत्त की बर्थ एनिवर्सिरी पर हम आपको उनकी जिंदगी के कुछ किस्से बताने जा रहे हैं, जिनको जानकर आप हैरान रह जाएंगे.

शर्ट की वजह से हुई देवानंद से दोस्ती
गुरुदत्त और देवानंद एक ही लॉन्ड्री में अपने कपड़े देते थे. एक दिन सेट पर देवानंद ने गुरुदत्त को अपनी शर्ट पहने हुए देखा. उन्होंने इस बारे में गुरुदत्त से पूछा. गुरुदत्त ने देवानंद को बताया कि उनके पास कोई दूसरी शर्ट नहीं थी इसलिए लॉन्ड्री वाले से ये शर्ट ले आए.

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इसके बाद गुरुदत्त और देवानंद अच्छे दोस्त बन गए. दोनों ने एक-दूसरे से वादा किया कि अगर वे फिल्म बनाएंगे तो एक-दूसरे को काम जरूर देंगे. आगे चलकर दोनों ने अपने इस वादे को निभाया.

गीता दत्त से शादी
गुरुदत्त और गीता दत्त की पहली मुलाकात देवानंद के घर पर हुई थी. गीता दत्त की आवाज सुनकर गुरुदत्त ने गीता को अपनी फिल्म का गाना गाने का ऑफर दे दिया. बाजी फिल्म के सेट पर दोनों को प्यार हो गया.

उस दौरान गीता गुरुदत्त से मिलने के लिए उनके फ्लैट पर आया करती थीं. फैमिली के विरोध के बावजूद कुछ साल दोनों एक साथ रहे. 1953 में गुरुदत्त ने गीता से शादी कर ली. प्यासा मूवी के सभी गाने गीता दत्त ने ही गाए थे.

नहीं बनना चाहते थे एक्टर
गुरुदत्त अपनी फिल्ममेकिंग के लिए तो जाने जाते ही हैं. गुरुदत्त एक बढ़िया एक्टर भी थे लेकिन गुरुदत्त कभी एक्टर नहीं बनना चाहते थे. प्यासा मूवी में गुरुदत्त दिलीप कुमार को लेना चाहते थे. इसके लिए गुरुदत्त ने दिलीप कुमार को फिल्म की कहानी भी सुनाई.

दिलीप कुमार ने फिल्म के लिए हामी तो भर दी लेकिन दिलीप कुमार अपने डिस्ट्रीब्यूटर से फिल्म डिस्ट्रीब्यूट करना चाहते थे. गुरुदत्त ने मना कर दिया. इसके बाद भी दिलीप कुमार मूवी करने के लिए मान गए. जिस दिन फिल्म की शूटिंग होनी थी दिलीप कुमार सेट पर नहीं आए.

गुरुदत्त ने अपने असिस्टेंट को उनको बुलाने के लिए भेजा. दिलीप कुमार ने कुछ देर में आने की बात कही लेकिन वो काफी देर तक नहीं आए. इसके बाद गुरुदत्त ने फिल्म में खुद एक्टिंग करने का फैसला किया. बाद में दिलीप कुमार ने बताया था कि उनको प्यासा मूवी ना करने का मलाल है.

वहीदा रहमान से प्यार और ब्रेकअप
गुरुदत्त फिल्म सीआईडी के लिए नई एक्ट्रेस की खोज में थे. एक समारोह में उनकी नजर वहीदा रहमान पर पड़ी. वहीदा रहमान फिल्म के लिए सिलेक्ट कर ली गईं. इस फिल्म के दौरान दोनों की नजदीकियां बढ़नी शुरू हो गईं. प्यासा में दोनों की जोड़ी काफी पसंद की गई.

कहा जाता कि गुरु दत्त वहीदा के लिए खुद सीन्स लिखा करते थे. वहीदा और गुरुदत्त का प्यार परवान पर था. गुरुदत्त की पत्नी गीता दत्त को जब इस बारे में पता चला तो वो टूट गईं. कहा जाता कि गुरुदत्त से खफा गीता दत्त उनसे अलग रहने लगीं. इसके बाद पत्नी और प्रेमिका में से गुरुदत्त ने पत्नी को चुना. इसके बाद गीता वापस घर आ गईं. वहीदा से दूर करने के बाद गुरुदत्त अंदर ही अंदर टूट गए थे.

आखिरी फिल्म कागज के फूल
कागज के फूल मूवी को आज हिंदी सिनेमा की कल्ट मूवी माना जाता है लेकिन रिलीज होने के बाद फिल्म बुरी तरह से फ्लॉप हो गई थी. कागज के फूल भारत की पहली सिनेमास्कोप फिल्म थी. कागज के फूल मूवी गुरुदत्त की बतौर डायरेक्टर आखिरी मूवी थी.

कहा जाता है कि उस समय कई लोगों ने गुरुदत्त को इस फिल्म को बनाने से मना किया था. गुरुदत्त ने अपनी जिद में इस फिल्म को बनाया था. गुरुदत्त ने इस फिल्म में अपनी और वहीदा रहमान की लव स्टोरी को पर्दे पर उतारा था. इस फिल्म की असफलता के बाद गुरुदत्त ने कोई फिल्म डायरेक्ट नहीं की.

39 की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा
10 अक्तूबर 1964 को गुरुदत्त की लाश उनके बेड पर मिली. कहा जाता है कि शराब और नींद की गोलियां लेने से उनकी मौत हो गई. उन्होंने रात को काफी शराब पी और नींद की गोलियां लेने के बाद सो गए. उस रात गुरुदत्त ऐसे सोए कि कभी उठे ही नहीं. कई लोगों ने इस घटना को आत्महत्या बताया. गुरुदत्त के बेटे और भाई ने आत्महत्या को खारिज कर दिया.

गुरुदत्त की जिंदगी
गुरुदत्त का जन्म 9 जुलाई 1925 को हुआ था. गुरुदत्त का पूरा नाम वसंत कुमार शिवशंकर पादुकोण था. प्यार से लोग उनको गुरुदत्त पुकारते थे. बाद में गुरुदत्त ही उनकी पहचान बन गई.

1944 में गुरुदत्त के चाचा ने तीन साल के अनुबंध पर पूना की प्रभात कंपनी में नौकरी लगवाई. इस तरह गुरुदत्त फिल्मी दुनिया में आ गए. गुरुदत्त की प्यासा को टाइम मैग्जीन ने दुनिया का 100 बेस्ट फिल्मों में शामिल किया है. 10 अक्तूबर 1964 को 39 साल की उम्र में गुरुदत्त की मौत हो गई.