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सिर्फ Uunchai ही नहीं इससे पहले भी बुजुर्गों के मुद्दों पर बन चुकी हैं कई दमदार फिल्में...कई अभी भी हैं पॉपुलर

अमिताभ बच्चन, परेश रावल और बमन ईरानी जैसे दिग्गज अभिनेताओं वाली फिल्म रिलीज हो गई है. फिल्म को दर्शकों का मिला-जुला रिस्पॉन्स मिल रहा है. हालांकि ये पहली बार नहीं है जब बॉलीवुड ने किसी बुजुर्ग को केंद्र में लेकर कोई फिल्म बनाई हो. इससे पहले भी कई फिल्में बन चुकी हैं.

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हाइलाइट्स
  • बागबान है सदाबहार फिल्म

  • ऊंचाई को मिल रहा मिला-जुला रिस्पॉन्स

हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ''ऊंचाई'' (Uunchai) लोगों को धीरे धीरे पसंद आ रही है . बुजुर्गों के जीवन पर बॉलीवुड ने कम ही फिल्में बनाई हैं क्योंकि भारतीय हिन्दी सिनेमा ज़्यादातर युवा रहा है . ज़्यादातर फिल्में युवाओं के लिए ही बनती आई है. चाहे वो 70 के दशक में 'बॉबी' या 'जूली' हो या 80 के दशक में 'लव स्टोरी' या फिर 90 के दशक की 'क़यामत से क़यामत तक', 'मैंने प्यार किया' और फिर 'दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे' आदि. 80 के दौर में एक सिलसिला आया था जब बुजुर्गों के जीवन पर फिल्में बनीं लेकिन 90 तक आते आते बॉलीवुड फार्मूला फ़िल्मों और लव स्टोरीज़ का गढ़ बनकर रह गया .

फिल्म ऊंचाई में उम्रदराज दोस्तों की एवरेस्ट कैम्प की यात्रा है. फ़िल्म सिनियर सिटीज़न्स के जीवन के बहुत सारे मुद्दों पर सवाल उठाती है जो शायद कोई आम बॉलीवुड फिल्म नहीं करती. वैसे ऊंचाई में हॉलीवुड फिल्म बकेट लिस्ट की छाप झलकती है क्योंकि हॉलीवुड उमरदराज कहानियां बनता आया है. हालांकि भारत की अन्य भाषाएं जैसे बांग्ला मलयालम और मराठी में बुज़ुगों के विषय पर फ़िल्में बनी हैं .

नज़र डालते हैं उन बॉलीवुड फ़िल्मों पर जिन्होंने बुजुर्गों के जीवन पर प्रकाश डाला..कुछ हिट रही और कुछ फ्लॉप

1) बागबान (2003)
अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी की ये सुपरहिट फिल्म अब तक की सबसे यादगार फ़िल्म रही है. साल 2003 में रिलीज हुई इस फ़िल्म को आज 15 साल से ज़्यादा हो गये हैं . लेकिन बॉलीवुड की भाषा में सिनियर सिटीज़न्स के जीवन पर आधारित ये सबसे चर्चित रही है . जो आज भी सदाबहार है.

2) अवतार (1983)
80 के दशक में राजेश खन्ना और शबाना आज़मी ने इस अनोखी फ़िल्म से एक नया इतिहास रच दिया था. ये फ़िल्म राजेश खन्ना के अधेड़ उमर के करियर की सबसे बड़ी फ़िल्म थी. उस ज़माने में फ़िल्मों के गिरते स्तर को निर्देशक मोहन कुमार की इसी फ़िल्म ने संभाला था. इस फ़िल्म के जैसी ही राजेश खन्ना ने गोविन्दा के साथ एक और हिट फ़िल्म की थी जिसे डेविड धवन ने बनाया था. ये राजेश खन्ना की आख़िरी हिट फ़िल्म थी इस फ़िल्म का थीम भी बुजुर्गों का जीवन था.

3) शौक़ीन (1981)
जहां ऊंचाई में बुजुर्गों की जवानी मुख्य विषय है वही पर 80 के दौर में बासु चटर्जी ने एक हास्य फ़िल्म बनायी थी जिसका नाम था शौक़ीन. फ़िल्म में उत्पल दत्त ,ए के हंगल जैसे कलाकार थे. फ़िल्म उस वक्त अपने बोल्ड विषय को लेकर चर्चा में रही थी. 

4) सारांश (1984)
ऊंचाई बनाने वाले राजश्री प्रोडक्शंस ने ही 1984 में युवा अनुपम खेर को फ़िल्म सारांश में एक 60 साल के बूढ़े के किरदार में लॉन्च किया . महेश भट्ट की इस फ़िल्म को दर्शकों ने बहुत पसंद किया और ये फ़िल्म बुजुर्गों के जीवन पर बनी सबसे बहतरीन फ़िल्मी में से है.

5) मम्मों (1994)
श्याम बेनेगल जो भारत में कला फ़िल्मो का दौर लाये थे. उन्होंने 90 के दशक में एक फ़िल्म बनी जिसका नाम मम्मो था. फ़िल्म एक बुजुर्ग महिला कि जीवन पर आधारित सत्य घटना थी. ये फ़िल्म ज़्यादातर लोगो को नहीं पता पर सीनियर सिटीजन ख़ासकर महिलाओं के जीवन की व्यथा को बड़ी ही ख़ूबसूरती से दिखाया गया है.

6) 36 चौरंगी लेन (1981)
कोलकाता की निर्देशिका अपर्णा सेन ने 1981 में इस फ़िल्म से सबको चौका दिया. फ़िल्म में अभिनेत्री जेनिफ़र केंडेल मुख्य भूमिका में थी. इस फ़िल्म में एक उमर दराज़ एंग्लो इण्डियन औरत की कहानी को दिलाया गया था. फ़िल्म को ढेर सारे अवार्डस मिले.

7) भुवन शोम (1969)
1969 में मृणाल सेन की ये फ़िल्म भारतीय सिनेमा की मील का पत्थर फ़िल्म है. फ़िल्म एक उम्रदराज किरदार की दास्तान थी और इस ज़माने की फ़िल्मों के बीच आज भी ये फ़िल्म अपने सब्जेक्ट की वजह से जानी जाती है.

8) वन्स अगेन (2019)
2018 की ये रोमांटिक फ़िल्म दरअसल एक उम्रदराज़ लवस्टोरी थी जो आजकल OTT शोज़ में आम हो गई है लेकिन क़रीब 5 साल पहले नीरज काबी और शेफाली शाह की ये फ़िल्म जब आई और कब। हाली गई किसी को पता नहीं चला . और इसी विषय की एक फ़िल्म “फिर से “भी इसी दौरान आई जिसे कुणाल कोहली ने बनाया और ये भी लोगो को समझ नहीं आई

9) रामप्रसाद की तेहरवि (2019)
2019 में लॉकडाउन के दौरान आई इस फ़िल्म में एक बार फिर एक बुजुर्ग की मौत का विषय उठाया गया था. अभिनेत्री सीमा पाहवा की फ़िल्म में एक बेहद संवेदनशील विषय को बड़े ही हल्के फुलके अन्दाज़ में दिखाया गया था. फ़िल्म जब OTT पर रिलीज़ हुई तो इसे बड़ी सराहना मिली. कुछ इसी श्रेणी में है फ़िल्म आँखों देखी जो भी लोगो में डिजिटल माध्यम पर ज़्यादा देखी

10)कल आज और कल (1971)
राज कपूर हमेशा सामाजिक फ़िल्में बनाते थे और 70स में उन्होंने जनरेशन गैप पर अपनी जीवन पर आधारित फ़िल्म बनायी थी जिसका नाम का कल आज और कल. गौर की बात है फ़िल्म में बतौर अभिनेता राज कपूर के आठ उनके पिता पृथ्वी राज कपूर और बेटा और  बहू रणधीर और बबीता भी थे फ़िल्म उस वक़्त नहीं चली थी लेकिन बुजुर्गों और युवाओं के रिश्तों को बड़े ही रोचक अन्दाज़ में राज कपूर ने दिखाया था.