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Meena Kumari: जन्म के बाद जिसे यतीमखाने छोड़ आए थे पिता, उसने लिखी कामयाबी की नई इबारत, महज़बीन बानो कैसे बनीं मीना कुमारी

मीना कुमारी की दीवानगी का आलम कुछ यूं था कि लोग उनके बालों की ताबीज बनाकर पहनते थे. फिल्मफेयर अवॉर्ड में मीना कुमारी ने 1963 में इतिहास बनाया था. उस साल बेस्ट एक्ट्रेस के सभी नॉमिनेशन मीना कुमारी के नाम रहे. और इस अवॉर्ड की जीतने वाली वो अकेली एक्ट्रेस. 

Meena Kumari Meena Kumari
हाइलाइट्स
  • बैजू बावरा से मिली मीना कुमारी को पहचान

  • फिल्मफेयर अवॉर्ड में मीना कुमारी ने बनाया था इतिहास

मीना कुमारी (Meena Kumari) को भारतीय सिनेमा (Indian Cinema) के इतिहास की सबसे बेहतरीन अभिनेत्रियों में से एक माना जाता है. वो एक्ट्रेस होने के साथ-साथ बेहतरीन कवयित्री भी थीं. मीना ने महज 4 साल की उम्र में एक्टिंग शुरू कर दी थी. अपने 33 साल के फिल्मी करियर में मीना ने 90 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. टैलेंटटेड होने के साथ-साथ मीना बेहद खूबसूरत भी थीं. मीना कुमारी की दीवानगी का आलम कुछ यूं था कि लोग उनके बालों की ताबीज बनाकर पहनते थे. फिल्मफेयर अवॉर्ड में मीना कुमारी ने 1963 में इतिहास बनाया था. उस साल बेस्ट एक्ट्रेस के सभी नॉमिनेशन मीना कुमारी के नाम रहे. और इस अवॉर्ड की जीतने वाली वो अकेली एक्ट्रेस. आज मीना कुमारी की बर्थ एनिवर्सरी है.

पिता छोड़ आए थे यतीमखाने
1 अगस्त 1933 को मीना कुमारी का जन्म अली बक्स और इकबाल बेगम के घर हुआ. जन्म के समय मीना का नाम महज़बीन बानो रखा गया. महज़बीन का जन्म उनके पिता को पसंद नहीं आया क्योंकि अली बक्स एक बेटा चाहते थे और इसलिए जन्म के कुछ समय बाद ही मीना को उनके पिता यतीमखाने छोड़ आए. लेकिन कुछ घंटों बाद उनका मन बदल गया और वे उसे वापस घर ले आए.

स्कूल छोड़कर जाना पड़ता था स्टूडियो
मीना कुमारी को कभी भी फिल्मों में काम करने का शौक नहीं था वो तो स्कूल जाना चाहती थीं. इसके बावजूद, उनके माता-पिता उन्हें काम के लिए फिल्म स्टूडियो ले जाते थे. डायरेक्टर विजय भट्ट ने मीना को फिल्म 'लेदरफेस' में कास्ट किया और काम के पहले दिन उन्हें 25 रुपये दिए गए. 'लेदरफेस' 1939 में रिलीज हुई थी. मीना उस वक्त 4 साल की थीं. मीना स्कूल जाने लगीं लेकिन फिल्मों में काम करने की वजह से मीना को कई बार अपनी क्लास छोड़नी पड़ती थी.

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बैजू बावरा से मिली पहचान
विजय भट्ट ने फिल्म 'एक ही भूल' के दौरान महज़बीन बानो का नाम बदलकर "बेबी मीना" रख दिया. रमणीक प्रोडक्शन की फिल्म 'बच्चों का खेल' में उन्हें मीना कुमारी के नाम से कास्ट किया गया. मीना ने कई फिल्मों में अभिनय किया और गाने भी गाए, जिनमें 'दुनिया एक सराय', 'पिया घर आजा' और 'बिछड़े बलम' शामिल हैं. मीना को असली पहचान फिल्म 'बैजू बावरा' से मिली.

1959 तक बैजू बावरा, परिणीता, चांदनी चौक और चार दिल चार राहें जैसी फिल्मों ने मीना कुमारी को नई पहचान दी. मीना कुमारी अक्सर नए कलाकारों के साथ काम करती थीं. मीना कुमारी की वजह से ही राजेंद्र कुमार (चिराग कहां रोशनी कहां), सुनील दत्त (एक ही रास्ता), और धर्मेंद्र स्टार बन गए. अपने साथ जुड़े सभी लोगों के लिए तो मीना कुमारी लकी रहीं लेकिन उनका लक खुद के लिए काम नहीं आया.

शादीशुदा कमाल अमरोही से किया निकाह
मीना कुमारी ने 1954 में डायरेक्टर-प्रोड्यूसर कमाल अमरोही से शादी की थी. इस समय मीना महज 18 और कमाल 34 साल के थे. पहले से ही शादीशुदा होने की वजह से कमाल ने मीना से चोरी छुपे निकाह किया था. शादी के बाद दोनों में दूरियां आने लगीं. मीना स्टार थीं और अपनी शर्तों पर जिंदगी जीती थीं लेकिन कमाल चाहते थे कि मीना की पहचान उनकी पत्नी के तौर पर पहले हो और एक्ट्रेस के रूप में बाद में. रोज की लड़ाई से तंग आकर मीना ने कमाल से अलग होने का फैसला किया.

प्यार को तरसती मीना...
अकेलेपन से जूझती और प्यार को तरसती मीना को शराब की लत लग गई थी. साल 1968 में मीना कुमारी को पता चला कि वह लिवर सिरोसिस से पीड़ित हैं. 31 मार्च 1972 को उनकी मौत हो गई. उनकी मौत के बाद उनकी बेहद करीबी दोस्त अभिनेत्री ने मीना के अंतिम संस्कार का खर्च उठाया. कहा जाता है कि जब मीना का अस्पताल का खर्च हद से ज्यादा बढ़ गया तो उनके पति कमाल अमरोही ने उन्हें अकेला छोड़ दिया. मीना कुमारी बॉलीवुड के आसमां का वो सितारा थीं, जिसे छूने के लिए हर कोई बेताब था लेकिन मीना को जिस प्यार की तलाश थी वो उन्हें कभी नहीं मिला. मीना की जिंदगी काफी दर्द भरी रही जिसकी वजह से उन्हें ट्रेजिडी क्वीन कहा जाने लगा.