एक्टर, डायरेक्टर,कॉमेडियन, सिंगर और प्रोड्यूसर महमूद हिंदी सिनेमा की सबसे बड़ी प्रतिभाओं में से एक थे. महमूद को कॉमेडी किंग के नाम से जाना जाता था. उनके बारे में एक और बात मशहूर है कि वो कभी अपने किरदार का रिहर्सल नहीं करते थे. दो बीघा जमीन और प्यासा जैसी ऐतिहासिक हिंदी फिल्मों में दिखाई देने के बाद, उन्होंने धीरे-धीरे लगभग 300 फिल्मों में एक हास्य अभिनेता के रूप में अपने काम के लिए प्रसिद्धि हासिल की. महमूद इंडस्ट्री के उन चुनिंदा कलाकारों में से एक रहे जिन्होंने अपने टैलेंट का लोहा मनवाया. बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट अपने फिल्मी सफर की शुरुआत करने वाले महमूद के बारे में कुछ दिलचस्प किस्से.
महमूद का जन्म 29 सितंबर 1932 को हुआ था. उन्होंने 9 साल की उम्र में पहली फिल्म की थी, नाम था 'किस्मत'. लेकिन महमूद को शूटिंग करने पर लाइट्स से इतनी नफरत हुई कि उन्होंने एक्टिंग छोड़ दी. महमूद के पिता मुमताज अली शराब में डूबे रहते थे. धीरे धीरे उनका परिवार गरीबी की ओर बढ़ता गया. घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी और घर की आर्थिक जरूरत को पूरा करने के लिए महमूद ने अंडे बेचने और टैक्सी चलाने जैसे काम भी किए.
ड्राइवर के तौर पर की नौकरी
दादा मुनि यानी अशोक कुमार अपनी फिल्म किस्मत की शूटिंग कर रहे थे. इसके लिए उन्हें एक चाइल्ड आर्टिस्ट की जरूरत थी. महमूद बचपन से ही एक शैतान बच्चे थे. अशोक कुमार की नजर उन पर पड़ी जोकि शूटिंग स्पॉट के पास ही खेल रहा थे और शैतानियां कर रहे थे. उन्हें लगा ये लड़का फिल्म के रोल के लिए बिल्कुल सही है. अशोक कुमार ने वहीं पर महमूद को फिल्म में रोल दे दिया.महमूद ने पैसा कमाने के लिए कई अन्य काम भी किए. उन्होंने डायरेक्टर पीएल संतोषी के पास ड्राइवर के तौर पर नौकरी की. वहां उन्हें 75 रुपये सैलरी मिलती थी. एक समय वे मशहूर अभिनेत्री मीना कुमारी को टेबल टेनिस भी सिखाते थे. कुछ समय बाद महमूद की एक्टर- प्रोड्यूसर और डायरेक्टर गुरुदत्त के साथ उनकी ट्यूनिंग बन गई. गुरुदत्त ने फिल्म प्यासा में महमूद को एक छोटा सा रोल दिया. इस तरह महमूद ने बतौर एक्टर एंट्री ली और फिर डायरेक्टर भी बन गए.
कैसे मिला जूनियर आर्टिस्ट का रोल
एक बार मधुबाला के अपोजिट एक जूनियर आर्टिस्ट अपना डायलॉग ठीक ढंग से नहीं बोल पा रहा था. बार-बार रीटेक ले रहा था. जब बहुत ज्यादा रिटेक हो गए और महसूद तंग हो गए तो महमूद के मुंह से निकला कि यह डायलॉग तो मैं एक ही बार में बोल सकता हूं. उन्हें चांस मिल गया और उन्होंने एक बार में ही वह डायलॉग बोल दिया. उसके बाद उन्होंने ड्राइवर की नौकरी छोड़ जूनियर आर्टिस्ट का कार्ड बनवा लिया. उन्होंने 'प्यासा', 'समाधि','सीआईडी' और 'दो बीघा जमीन' जैसी कई फिल्मों में बतौर जूनियर आर्टिस्ट काम किया.
फिल्म के पोस्टर में जरूर रखा जाता था
महमूद का सिक्का फिल्मों में ऐसा चला कि लोग हीरो से ज्यादा उन्हें देखने के लिए थिएटर्स में जाया करते थे. डायरेक्टर-प्रोड्यूसर भी फिल्म हिट करवाने के लिए पोस्टर में महमूद की फोटो लगानी पड़ती थी, भले ही उनका रोल छोटा हो. इसी कारण कई बार तो महमूद की फीस भी लीड एक्टर से ज्यादा होती थी. करीब 4 दशक में महमूद ने 300 से अधिक फिल्मों में काम किया. कहा जाता है कि फिल्म में उन पर फिल्माया गीत जरूर रखा जाता था.डायरेक्टर को ये पता होता था कि अगर फिल्म को हिट करवाना है तो फिल्म में महमूद को लेना और उनका प्रमोशन करना जरूरी है.
मेकअप साथ लेकर सोते थे
महमूद हमेशा कहते थे कि मुझे एक्टिंग पैसों के लिए नहीं करनी. एक्टिंग मेरा पैशन है, मेरी ज़िंदगी है. बिना एक्टिंग के मैं जी रहा हूं, पर ये समझ लें कि ज़िंदा नहीं हूं. एक्टिंग मेरी सांसें हैं, मेरी रूह है. महमूद कहते थे कि वो मेकअप का सामान अपने सिरहाने रखकर सोता हूं, क्योंकि इतने सालों से उन्हें इसकी खुशबू का आदत पड़ गई है. वो मेकअप सूंघकर सोते थे. महमूद अली को कभी किसी ने रिहर्सल करते हुए नहीं देखा था, वह जो भी करते थे लाइव करते थे. शायद यह भी कारण था कि दर्शक उनकी हर एक फिल्म को काफी ज्यादा पसंद करते थे.
मीना कुमारी की बहन से की थी शादी
महमूद ने मीना कुमारी की बहन मधु से पहली शादी की जिनसे उन्हें चार बेटे है. इसके बाद उन्होंने ट्रेसी अली से दूसरी शादी कर ली. ट्रेसी से शादी के बाद उन्हें दो बेटा और एक बेटी हुई. महमूद ने अपने पूरे परिवार वालों के साथ मिलकर 'एक बाप छह बेटे' फिल्म बनाई थी. महमूद को मीना कुमारी की छोटी बहन मधु से प्यार हो गया. सुसाइड की धमकी देकर उन्होंने मधु से शादी की. 23 जुलाई 2004 वो इस दुनिया को छोड़कर चले गए. उनकी शानदार एक्टिंग जिसे लोग आज भी याद करते हैं.
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