चार साल बाद मिर्जापुर के मेकर्स ने इसका तीसरा सीजन रिलीज कर दिया है. इस बार पावर गेम में फेरबदल किया गया है, पहले के सीजन के मुकाबले इस बार खून-खराबा ज्यादा है. मिर्जापुर का तीसरा सीजन पूरी तरह फिज और नो रिज के बारे में है. मुन्ना भैया की गैरमौजूगी और कालीन भैया की कम स्क्रीन टाइमिंग के साथ मिर्जापुर का तीसरा सीजन धीमी शुरुआत करता है. हालांकि अगर आपने मिर्जापुर के पिछले दोनों सीजन को एन्जॉय किया है, तो इसे देखना तो बनता है.
क्या है मिर्जापुर 3 की स्टोरी
मुन्ना भइया (दिव्येंदु) इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं और कालीन भैया (पंकज त्रिपाठी) कोमा में चले गए हैं. गुड्डू पंडित ने खुद को मिर्जापुर का बाहुबली घोषित कर दिया है. अब वो पूर्वांचल की गद्दी पर विराजमान होना चाहता है, लेकिन उसके रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा जौनपुर का शरद शुक्ला है. उधर जौनपुर का बाहुबली शरद शुक्ला (अंजुम शर्मा) गुड्डू को हटाकर मिर्जापुर की भी गद्दी हथियाना चाहता है.
गोलू (श्वेता त्रिपाठी) गुड्डू पंडित के साथ हिंसा में जबरदस्त साथ देती है. प्रदेश की मुख्यमंत्री माधुरी यादव (ईशा तलवार) बाहुबलियों का खात्मा करना चाहती है. इस बीच कालीन भैया की एंट्री होती है. कालीन भैया आगे स्टोरी में क्या रोल निभाएंगे.. गुड्डू पंडित से बेटे की मौत का बदला कैसे लेंगे इसके लिए आपको सीरीज देखनी पड़ेगी. सीरीज में राजनीति, धोखा, विद्वेष, वासना सब कुछ देखने को मिलेगा.
पंकज त्रिपाठी, अली फजल, विजय वर्मा, रसिका दुग्गल, ईशा तलवार, श्वेता त्रिपाठी, लिलिपुट समेत सभी कलाकारों ने इस बार भी शानदार काम किया है.
यूजर्स ने क्या कुछ कहा
एक यूजर ने लिखा है- ''मुन्ना भैया के बिना मिर्जापुर खाली-खाली सा लगेगा लेकिन पंकज त्रिपाठी की एक्टिंग का भी डंका बजता है.''
एक यूजर ने लिखा-''मुन्ना भैया के बिना मिर्ज़ापुर वैसा नहीं रह जाता. हर एपिसोड में मुन्ना भैया की कमी खल रही है. सीरीज अच्छी है लेकिन शानदार नहीं.''
एक यूजर ने लिखा- ''विरासत छीन ली गई है, पर दहशत अभी भी कायम कायम है..फिर से पर्दा खुलेगा, भौकाल मचेगा. गद्दी के लिए फिर से होगा बवाल.''
एक यूजर ने लिखा- ''कई सीक्वेंस जरूरत से ज्यादा खींचे गए हैं, गुड्डू भैया के कंधों पर पूरी जिम्मेदारी है. इस बार भौकाल पहले दो सीजन के मुकाबले कम है. मिर्जापुर 3 अपने दोनों सीजन के तुलना में काफी कमजोर है.''