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Mohammed Rafi Birth Anniversary: फकीर के गानों की नकल से खून से लथपथ सिंगिग तक... मशहूर सिंगर मोहम्मद रफी के 5 फेमस किस्से

आज यानी 24 दिसंबर को सुरों के जादूगर मोहम्मद रफी की 100वीं जयंती है. रफी का जन्म अमृतसर के कोटला सुल्तान सिंह गांव में साल 1924 में हुआ था. उन्होंने 28 हजार से अधिक गाने गाए. रफी ने भोजपुरी, अंग्रेजी, कोंकणी जैसी भाषाओं में भी गाने गाए हैं. उनको 6 फिल्मफेयर अवॉर्ड और एक बार नेशनल फिल्म पुरस्कार मिला. रफी साहब की जिंदगी से जुड़े कई किस्से फेमस हैं.

Mohammed Rafi with Lata Mangeshkar Mohammed Rafi with Lata Mangeshkar

मशहूर सिंगर मोहम्मद रफी की 100वीं जयंती आज यानी 24 दिसंबर को है. सुरों के इस जादूगर की आवाज सीधे दिल में असर करती है. रफी साहब ने हिंदी, भोजपुरी और कोंकणी से लेकर अंग्रेजी, पारसी तक 28 हजार से अधिक गाने गाए. रफी का जन्म अमृतसर के कोटला सुल्तान सिंह में 24 दिसंबर 1924 को हुआ था. उनको 6 फिल्मफेयर पुरस्कार और एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला. आज भी मोहम्मद रफी सबसे ज्यादा सुने जाने वाले सिंगर्स में से एक हैं. चलिए आपको मशहूर सिंगर मोहम्मद रफी की जिंदगी से जुड़े 5 बेहतरीन किस्से बताते हैं.

किस्सा नंबर 1: फकीर से सीखा गाना-
मोहम्मद रफी की फैमिली अमृतसर के गांव में रहती थी. रफी 6 भाई-बहन थे. उनको फैमिली वाले फिक्को के नाम से बुलाते थे. रफी के बचपन का एक किस्सा काफी फेमस है. उन दिनों गांव में एक फकीर आता था, जो गाना गाता था. रफी साहब रोजाना उस फकीर का इंतजार करते थे और जब वो गाता था तो रफी साहब भी उसकी नकल उतारते थे. रफी साहब की बचपन से ही पढ़ाई में कोई दिलचस्पी नहीं थी. पिता ने उनको नाई की दुकान में लगा दिया. 9 साल की उम्र में मोहम्मद रफी नाई की दुकान पर बाल काटने का काम करते थे. इस दौरान वो गाना गुनगुनाते रहते थे.

साल 1933 में जब पंडित जीवनलाल बाल कटवाने रफी की दुकान पर पहुंचे और उनको गाते हुए सुना तो काफी प्रभावित हुए. जीवनलाल ने रफी साहब को ऑडिशन के लिए बुलाया और फिर रफी की गायिकी का दौर चल पड़ा.

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किस्सा नंबर 2: खाने के शौकीन रफी-
मोहम्मद रफी खाने की शौकीन थे. ब्रिटेन दौरे के दौरान उनका एक किस्सा काफी फेमस है. रफी साहब एक शो के लिए कोविंट्री गए थे. इस कार्यक्रम में लंदन में रहने वाले उनके बेटे और बहू भी मौजूद थे. रफी साहब ने उनसे पूछा कि लंदन में उनका घर यहां से कितनी दूर है? जब पता चला कि 3 घंटे की दूरी पर है तो उन्होंने फोन किया और बेटी को दाल-चावल और चटनी पकाने के लिए कहा. इसके बाद रफी साहब लंदन गए और भारतीय खाना खाया. इसके बाद शा 7 बजे तक लौट आए.

किस्सा नंबर 3: लता और रफी में झगड़ा-
साल 1961 में मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर के बीच एक गाने की रॉयल्टी को लेकर बहस हो गई. इसके बाद दोनों ने साथ काम नहीं करने का फैसला लिया. लता मंगेशकर ने सभी सिंगर्स के गानों के लिए रॉयल्टी की मांग की थी. लेकिन रफी साहब इसके खिलाफ थे. इसके बाद 4 साल तक दोनों ने एक साथ काम नहीं किया. लेकिन साल 1967 में रिलीज हुई फिल्म 'ज्वेल थीफ' के गाने 'दिल पुकारे आ रे आ रे' के लिए दोनों ने आवाज दी. इस गाने की वजह से दोनों का झगड़ा खत्म हो गया.

किस्सा नंबर 4: गाने में रफी के पैरों से निकले खून-
मोहम्मद रफी का खून से लथपथ गाने का किस्सा भी काफी फेमस है. ये किस्सा साल 1944 में आई फिल्म 'पहले आप' से जुड़ा है. इस फिल्म का 'हिंदु्स्तान के हम हैं' गाना रिकॉर्ड हो रहा था. इस गाने में देशभक्ति का साउंड इफेक्ट देने के लिए सभी सिंगर्स को मिलिट्री जूते पहनाए गए थे, ताकि असली आावाज रिकॉर्ड की जा सके. गाना रिकॉर्ड किया गया. लेकिन जब रिकॉर्डिंग पूरी हो गई तो मोहम्मद रफी के पैरों से खून बह रहा था. ये खून मिलिट्री जूतों की वजह से बह रहा था.

किस्सा नंबर 5: ड्राइवर को दी टैक्सी-
मोहम्मद रफी ने एक बार अमेरिका से इम्पोर्टेड कार इंपाला खरीदी. लेकिन ये कार राइट हैंड से ड्राइव होती थी और उनका पुराना ड्राइवर इसे ड्राइव नहीं कर पा रहा था. इस कार के लिए नया ड्राइवर ढूंढा गया तो पुराना ड्राइवर बेरोजगार हो गया. इससे रफी साहब काफी चिंतित हुए. उन्होंने पुराने ड्राइवर को टैक्सी खरीदकर दी. उस टैक्सी की कीमत 70 हजार रुपए थी.

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