डायरेक्टर: अमित राय
स्टारकास्ट: अक्षय कुमार, पंकज त्रिपाठी, यामी गौतम, पवन मल्होत्रा, गोविंद नामदेव, अरुण गोविल, बृजेन्द्र काला
रेटिंग: 3.5 /5
अक्षय कुमार और पंकज त्रिपाठी की फिल्म 'ओह माय गॉड 2' रिलीज हो चुकी है. बॉक्स ऑफिस पर OMG 2 की टक्कर है सनी देओल की फिल्म 'गदर 2' से. 'ओह माय गॉड 2' साल 2012 में रिलीज हुई 'ओह माय गॉड' का सीक्वल है. हालांकि इस बार परेश रावल की जगह पकंज त्रिपाठी हैं. जब भी किसी फिल्म का सीक्वल आता है तो पुरानी फिल्म से तुलना जरूर होती है. अक्षय कुमार, पंकज त्रिपाठी की ये फिल्म इसमें एकदम खरी उतरती है. यह फिल्म काफी हद तक एजुकेशन सिस्टम और उसके संदर्भों पर बहस करने को तैयार दिखती है.
फिल्म की कहानी सेक्स एजुकेशन पर बेस्ड है. जहां पहले वाली फिल्म विश्वास, अंधविश्वास और पाखंड के बीच फर्क बता रही थी वहीं इस बार स्टोरी का कॉन्सेप्ट पूरी तरह से सेक्स एजुकेशन पर आधारित है. फिल्म का डायरेक्शन अमित राय ने किया है. वो इससे पहले 'चीर हरण' व 'रोड टू सिंघम' जैसी फिल्में बना चुके हैं.
क्या है फिल्म की कहानी
कहानी है कांति शरण मुद्गल (पंकज त्रिपाठी) की. कांति शिव भक्त है और अपने परिवार के साथ शिव की नगरी उज्जैन में रहता है. घर में लोग दिन की शुरुआत पूजा पाठ से करते हैं. हैसियत कम होने के बाद भी कांति अपने बेटे को बड़े स्कूल में पढ़ाता है. असली कहानी तब शुरू होती है जब कांति के बेटे विवेक का मास्टरबेट करने का वीडियो वायरल हो जाता है. आपत्तिजनक आचरण के आरोप में उसे स्कूल से निकाल दिया जाता है. पहले कांति इसके लिए अपने बेटे को ही दोषी मानता है लेकिन शिव के गण (अक्षय कुमार) की एंट्री के साथ, सबकुछ बदल जाता है. कांति को अहसास होता है कि उसके बेटे की कोई गलती नहीं, गलती है हमारे समाज की, सिस्टम की और उस स्कूल की जहां बच्चों को सेक्स एजुकेशन देना जरूरी नहीं समझा जाता. इसके बाद कांति अपने बेटे के लिए देश की शिक्षा प्रणाली के खिलाफ केस लड़ता है जिसमें वह स्कूल और उन सभी लोगों को कटघरे तक लेकर आता है जो इसके लिए जिम्मेदार हैं. इस कोर्ट ड्रामे में शिव के गण के रूप में अक्षय कुमार समय-समय पर उसकी मदद करते हैं. अब कांति अपने बेटे का केस लड़ते हुए कोर्ट में किस तरह की दलीलें देता है, ये जानने के लिए तो आपको फिल्म देखनी होगी.
अभिनय
अक्षय कुमार अपने रोल में फिट बैठे हैं. फिल्म में उनके लुक और एनर्जी की तारीफ की जानी चाहिए. अक्षय का मेकअप भी कई जगह हाईलाइट होता है. जोकि उन्होंने खुद किया है. पंकज त्रिपाठी ने साबित कर दिया है कि वह किसी भी रोल को संजीदगी से निभा सकते हैं. फिल्म का लीड एक्टर पंकज त्रिपाठी को कहना गलत नहीं होगा. अक्षय कुमार मैसेंजर ऑफ गॉड के अवतार में अपने स्टंट दिखाने से बाज नहीं आए हैं. फिल्म के आखिरी सीन में स्पीड से कार चलाना हो या पूरी एनर्जी के साथ शिव तांडव. कम स्क्रीन टाइम के बाद भी अक्षय प्रभावित करते हैं. यामी गौतम ने वकील की भूमिका को बेहतरीन तरीके से निभाया है. पवन मल्होत्रा ने भी जज के किरदार के साथ इंसाफ किया है. कई जगह वे फनी भी लगते हैं...डॉक्टर के रोल में बृजेन्द्र काला संजीदगी दिखाते हैं.
क्यों देखनी चाहिए फिल्म
सेक्स एजुकेशन को लेकर फैले नकारात्मक पूर्वाग्रहों को आसान भाषा में सुलझाने की कोशिश की गई है OMG 2 के जरिए. सेक्स एजुकेशन ना होने से पीड़ित बेटे के बाप को फिल्म का मुख्य किरदार बनाकर निर्देशक ने यह बात बड़ी ही आसानी से दर्शकों के मन में डालने का प्रयास किया है कि इसकी जरूरत परिवार से ही शुरू हो जाती है. इस पर बात करने में जो बाप-बेटे, माँ-बेटी और समाज में शर्म और झिझक होती है उसको बड़ी ही गंभीरता के साथ दर्शकों को गुदगुदाते हुए सामने रखा गया है. फिल्म के कुछ डायलॉग्स बहुत प्रभावित करते हैं जैसे- जरूरी नहीं की जो चीज छुपा के की जाती है वो गलत ही है...फिल्म आपको भगवान में आस्था रखना सिखाती है और बताती है कि जब भगवान पर आस्था रखो तो पूरी शिद्दत से रखो. वो अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते.
यूए सर्टिफिकेट दिया जा सकता था
हां यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्कूलों में सेक्स एजुकेशन पर बात करने वाली इस फिल्म को एडल्ट रेटिंग दी गई है. जबकि इस फिल्म का संदेश ही यह है कि हमें बच्चों के साथ इस पर बात करनी चाहिए. जिस वर्ग के बच्चों के लिए ये फिल्म बनाई गई है उन्हें ही इससे वंचित रखा गया है. फिल्म को यूए सर्टिफिकेट दिया जा सकता था. फिल्म इस बात पर भी प्रकाश डालती है कि अगर स्कूल या परिवार के लोग सेक्स एजुकेशन पर बच्चों से बात नहीं करेंगे तो सड़क छाप सेक्स चिकित्सक और पॉर्न वेबसाइट से अधकचरा ज्ञान लेते रहेंगे.