ओपी नय्यर गायक-गीतकार और संगीतकार थे, जिन्हें मुख्य रूप से 1950 और 1960 के दशक में हिंदी फिल्मों के म्यूजिक कंपोजिशन के लिए जाना जाता है. लाहौर में जन्मे और पले-बढ़े, ओपी नय्यर को शुरुआती दिनों से ही संगीत में रुचि थी. और म्यूजिक का उनका पैशन कुछ ऐसा था कि आज भी वह अपने गानों में जिंदा हैं.
ओपी नय्यर का जन्म ब्रिटिश भारत में लाहौर में 16 जनवरी, 1926 को हुआ था. उन्होंने फ़िल्म कनीज़ (1949) और आसमान (1952) के लिए बैकग्राउंड स्कोर देकर एक फ़िल्म संगीतकार के रूप में अपना करियर शुरू किया था. ओपी को गुरुदत्त के साथ सफलता मिली और उनकी जोड़ी कुछ ऐसी चली कि ओपी अपने समय के सबसे महंगे संगीतकार बन गए.
बचपन से थे दबंग और जिद्दी
ओपी एक जिद्दी व्यक्तित्व के इंसान थे और साथ ही, दबंग भी. वह कभी किसी सही बात को कहने से नहीं चूकते थे. उन्होंने जीवन में बहुत संघर्ष किया और इसलिए नए लोगों को वह बहुत प्यार से रखते थे. अक्सर उन्हें "विद्रोही" संगीतकार कहा गया क्योंकि वह किसी की खुशामद नहीं करते थे. हालांकि, ओपी का यह स्वभाव उनके बचपन से था.
बताते हैं कि उनके पिता का मिजाज सख्त था और उन्हें ओपी के गाने में खास दिलचस्पी न थी इसलिए अक्सर ओपी को रोकते-टोकते थे. एक बार बात इतनी बढ़ी कि उन्होंने घर ही छोड़ दिया. ओपी बहुत कम उम्र से रेडियो पर गाने लगे थे और फिर वह मुंबई आए.
बॉलीवुड के सबसे महंगे म्यूजिक कंपोजर
ओपी को मुंबई में कई वर्षों के संघर्ष के बाद आखिरकार फिल्म आसमान में काम मिला. गीता दत्त ने ओपी को बाज़ फिल्म के लिए अपने पति, और फिल्म निर्माता, गुरु दत्त से मिलवाया. गीता दत्त-ओ.पी. नैय्यर की जोड़ी ने आर पार, मिस्टर एंड मिसेज 55 और सीआईडी के साथ ऐसा जादू चलाया, कि आज भी वे लोगों की यादों में बसे हैं. ओपी का संगीत में कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं था लेकिन फिर भी उनका जादू लोगों पर छा गया.
यह सुनने में भले ही अब अजीब लगे, लेकिन एक समय था जब ऑल इंडिया रेडियो ने ओपी के कई लोकप्रिय गीतों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि उनके गीत उन्हें बहुत वेस्ट जैसे लगते थे. हालांकि, रेडियो सीलोन पर उनके गानों को खूब जगह मिली. एक समय था जब ओपी नय्यर की इतनी मांग थी कि वह साल आठ से नौ फिल्में साइन करते थे. वह पहले संगीत निर्देशक थे जिन्होंने एक लाख रुपये की मांग की. यह उन दिनों में बहुत बड़ी रकम थी, जिसकी कल्पना अन्य संगीतकार भी नहीं कर सकते थे.
कभी नहीं किया लता के साथ काम
गीता दत्त के बाद ओपी ने आशा भोंसले की जिंदगी बनाई. आशा और ओपी की जोड़ी ने वह कमाल किया जो अब तक कोई नहीं कर पाया. ओपी ने आशा के बहुमुखी गुणों और उनकी रेशमी चिकनी आवाज को दिशा दी.आशा चाहे एक ही फिल्म में तीड हेरोइन के लिए गाएं या किसी कैबरे डांसर के लिए, ओपी यह सुनिश्चित करते थे कि आवाजें अलग-अलग लगें.
आशा ओपी के लिए हमेशा नंबर वन रहीं. हालांकि, अन्य सभी म्यूजिक डायरेक्टर्स के लिए (आरडी बर्मन सहित, जिनसे उनकी शादी हुई थी) आशा, लता मंगेशकर के बाद उनकी दूसरी पसंद थीं. दिलचस्प बात यह है कि ओपी ने बहुत पहले ही तय कर लिया था कि उन्हें लता की आवाज में एक भी गाना रिकॉर्ड किए बिना ही सफल होना है. वह उस निर्णय के साथ आगे बढ़े और ऐसा करने वाले बॉलीवुड के इतिहास में एकमात्र संगीतकार बने रहे!
एक फैन के परिवार के साथ बिताए 12 साल
कहते हैं कि आशा से अलग होने का बाद ओपी नय्यर का अपने परिवार, सिनेमा और तो और दुनियादारी से मोह टूट गया. उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और साथ ही, अपनी सभी सुविधाएं भी. बताते हैं कि अपनी जिंदगी के आखिरी 12 साल उन्होंने ठाणे में एक महाराष्ट्रियन परिवार के साथ बिताए जो उनका बहुत बड़ा फैन था. इस परिवार की बेटी, रानी ने उनकी सेवा की. ओपी नय्यर रानी को बेटी कहते थे और वह उन्हें बाबुजी. 81 साल की उम्र में 28 जनवरी, 2007 को नय्यर का निधन हो गया.