scorecardresearch

Oscars 2025 के फाइनल राउंड तक पहुंची यह शॉर्ट फिल्म... कभी बाल मजदूरी करती थी लीड एक्ट्रेस... भारत से गहरा कनेक्शन

Oscars 2025 में शॉर्ट फिल्म अनूजा को ए लियन, आई एम नॉट ए रोबोट, द लास्ट रेंजर और द मैन हू कुड नॉट रिमेन साइलेंट के साथ नॉमिनेट किया गया था.

Oscar-nominated film Anuja (Credit: A still from the trailer) Oscar-nominated film Anuja (Credit: A still from the trailer)

2025 अकादमी पुरस्कारों में बेस्ट लाइव एक्शन शॉर्ट फिल्म केटेगरी में 'आई एम नॉट ए रोबोट' ने बाजी मार ली. इस केटेगरी में फाइनल्स तक पहुंची एक शॉर्ट फिल्म का भारत से बहुत गहरा नाता है. हालांकि, यह फिल्म जीतने से चूक गई लेकिन फाइनल तक पहुंचना भी बड़ी बात है. इस शॉर्ट फिल्म का नाम है- अनूजा. 

अनूजा को ए लियन, आई एम नॉट ए रोबोट, द लास्ट रेंजर और द मैन हू कुड नॉट रिमेन साइलेंट के साथ नॉमिनेट किया गया था. जैसा कि नाम से पता चलता है अनूजा शॉर्ट फिल्म भारतीय पृष्ठभूमि पर बुनी गई कहानी है. यह दो बहनों की कहानी है जो शिक्षा पाने लिए संघर्ष करती हैं. 

क्या है अनुजा की कहानी 
एडम जे. ग्रेव्स द्वारा निर्देशित यह फिल्म अनुजा नाम की एक युवा लड़की की कहानी बताती है, जिसका किरदार साजदा पठान ने निभाया है, जो अपनी बहन पलक के साथ दिल्ली में एक कपड़ा फैक्ट्री में काम करती है. बहन का किरदार अनन्या शानबाग ने निभाया है. जब इन बहनों को मुश्किल का सामना करना पड़ता है, तो अनुजा को अपने परिवार को सपोर्ट करने की जिम्मेदारी उठानी पड़ती है. 

सम्बंधित ख़बरें

आपको बता दें कि इस फिल्म को संयुक्त रूप से सुचित्रा मट्टई, मिंडी कलिंग, गुनीत मोंगा कपूर, कृष्ण नाइक, आरोन कोप्प, देवानंद ग्रेव्स, माइकल ग्रेव्स, क्षितिज सैनी और एलेक्जेंड्रा ब्लैनी से सपोर्ट मिला. जबकि प्रियंका चोपड़ा और अनीता भाटिया फिल्म की कार्यकारी निर्माता हैं. अनुजा में अनन्या शानबाग, सजदा पठान और नागेश भोंसले हैं. 

सजदा पठान की हकीकत से जुड़ी है कहानी  
अनुजा शॉर्ट की कहानी किसी तरह सजदा पठान की वास्तविक जीवन की कहानी से जुड़ी हुई है. रियल लाइफ में सजदा 10 साल की लड़की है; उसे सलाम बालक ट्रस्ट ने रेस्क्यू किया था. 1988 से, सलाम बालक ट्रस्ट दिल्ली-एनसीआर में सड़कों पर रहने वाले और बालश्रम में लगे बच्चों के साथ जुड़ा हुआ है. सजदा पुरानी दिल्ली की एक झुग्गी में अपनी बड़ी बहन के साथ रहकर बड़ी हुई थीं. सलाम बालक ट्रस्ट के रेस्क्यू करने से पहले वह एक हनुमान मंदिर के बाहर भीख मांगती थीं. 

शॉर्ट फिल्म में अनुजा का चित्रण कई बच्चों की जमीनी हकीकत है, जो गरीबी और संसाधनों की कमी के कारण बहुत कम उम्र में खतरनाक कारखानों में काम करने के लिए मजबूर हो रहे हैं. अनुजा की कहानी हमें भारत में बाल श्रम की हकीकत की भी याद दिलाती है. अनुजा जैसे कई बच्चे भारत की राजधानी में भी अपने गुजारे के लिए स्कूल जाने के बजाय फैक्ट्री के काम में लगे हुए हैं. यह शॉर्ट फिल्म सिर्फ 22 मिनट में, सड़क-झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों की वास्तविकता और भारत के एक मेट्रोपॉलिटन शहर में अस्तित्व और शिक्षा के लिए उनके संघर्ष को दर्शाती है.