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थम गई संगीत की लय...नहीं रहे पंडित बिरजू महाराज, जानें कैसा रहा कथक सम्राट का जीवन

पंडित जी को बचपन में बृजमोहन नाम मिला था, जो आगे चलकर बिरजू में तब्दील हो गया. कथक की आरंभिक शिक्षा पिता अच्छन महाराज से मिली, लेकिन 9 साल की उम्र में ही पिता देह छोड़ चले गए.

नहीं रहे पंडित बिरजू महाराज नहीं रहे पंडित बिरजू महाराज
हाइलाइट्स
  • 7 साल की उम्र में किया था पहला गायन

  • 28 साल में हासिल की कथक में निपुणता

  • कलात्मक शख्सियत थे बिरजू महाराज

संगीत की लय थम गई, सुर अब मौन हो गए हैं. भाव शून्य हो गए हैं. घुंघरुओं के खनकना बंद कर दिया है. कथक की अनथक यात्रा आज थम सी गई, क्योंकि 21वीं सदी के भारत में कथक का अगुआ संगीत की अनंत यात्रा पर निकल गया. 83 साल की उम्र में कालिकाबिंदादीन जी की गौरवशाली परंपरा की सुगंध विश्व भर में प्रसारित करने वाले पंडित बिरजू महाराज जी अनंत में विलीन हो गए.

7 साल की उम्र में किया था पहला गायन
पंडित जी को बचपन में बृजमोहन नाम मिला था, जो आगे चलकर बिरजू में तब्दील हो गया. कथक की आरंभिक शिक्षा पिता अच्छन महाराज से मिली, लेकिन 9 साल की उम्र में ही पिता देह छोड़ चले गए. इसके बाद चाचा शंभू महाराज और लच्छू महाराज से कथक के भाव, अदा और लयकारी सीखी. 7 साल की उम्र में बिरजू महाराज ने पहला गायन किया और 16 साल की उम्र में पहली कथक प्रस्तुति दी.

28 साल में हासिल की कथक में निपुणता
28 साल तक कथक में निपुणता ऐसी हो गई कि 'संगीत नाटक अकादमी' का अवार्ड जीत लिया. पंडित जी ने 6 दशक यानी कि 60 साल से भी ज्यादा समय संगीत की साधना में बिताया. पंडित बिरजू महाराज का बॉलीवुड से गहरा नाता रहा उन्होंने कई फिल्मों के गीतों का नृत्य निर्देशन किया. 

कलात्मक शख्सियत थे बिरजू महाराज
पंडित बिरजू महाराज की कलात्मक शख्सियत ऐसी रही है, जो तर्क से परे मानी जाती है. वे गुरु, नर्तक, कोरियोग्राफर, गायक और कंपोजर थे. सत्यजीत रे की शतरंज के खिलाड़ी पंडित जी के संगीत से सजी. 2012 में विश्वरूपम फिल्म में कोरियोग्राफी के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. 2016 में बाजीराव मस्तानी के गीत मोहे रंग दो लाल के लिए पंडित जी को फिल्म फेयर अवार्ड मिला. 

पीएम ने व्यक्त किया शोक
लखनऊ घराने की कथक शैली को पंडित जी ने नया आयाम दिया. कथक के गुलदस्ते में एक नया फूल खिलाकर पंडित जी अनंत यात्रा पर निकल गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ तक ने पंडित जी के निधन पर शोक व्यक्त किया है. पंडित जी के जाने से कथक के एक युग एक संस्थान पर पूर्ण विराम लग गया.