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Raj Kapoor Birth Anniversary: अपनी फिल्मों के गानों के लिए किन्नरों से मशवरा लेते थे राज कपूर

राज कपूर 10 साल की उम्र में पहली बार स्क्रीन पर दिखे थे. शुरुआती दिनों में राज कपूर पृथ्वी थिएटर में सेट की साफ-सफाई किया करते थे. इसके बदले उन्हें 1 रुपये मिलते थे. 24 साल की उम्र में निर्देशक बनने के लिए उन्होंने आर.के. फिल्म्स की नींव रखी. 

हाइलाइट्स
  • 10 साल की उम्र में पहली बार स्क्रीन पर दिखे थे राज कपूर

  • 24 साल की उम्र में निर्देशक बने

भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता, निर्माता-निर्देशक राज कपूर (Raj Kapoor Birth Anniversary) की आज बर्थ एनिवर्सरी है. उन्हें हिंदी सिनेमा का शो मैन कहा जाता है. राज कपूर का असली नाम सृष्टि नाथ कपूर था. राज कपूर दिग्गज एक्टर पृथ्वीराज कपूर और राम सरणी की पहली संतान थे. इसलिए बचपन से ही उन्हें फिल्मी माहौल मिला. राज कपूर जमीन से जुड़े हुए व्यक्ति थे. 

1 रुपये में पिता के थियेटर में काम करते थे

राज कपूर 10 साल की उम्र में पहली बार स्क्रीन पर दिखे थे. शुरुआती दिनों में राज कपूर पृथ्वी थिएटर में सेट की साफ-सफाई किया करते थे. इसके बदले उन्हें 1 रुपये मिलते थे. 24 साल की उम्र में निर्देशक बनने के लिए उन्होंने आर.के. फिल्म्स की नींव रखी. एक एक्टर के रूप में उनकी पहली सफल फिल्म अंदाज (1949) थी. बतौर डायरेक्टर उन्होंने आग नाम की फिल्म का निर्देशन किया था. डायरेक्शन में उनकी रुचि ज्यादा रही. उन्होंने हिंदी सिनेमा को एक से बढ़कर एक फिल्में दीं. राज कपूर ने अपने फिल्मी करियर में पद्मभूषण, दादा साहेब फाल्के, 3 नेशनल अवॉर्ड, 11 फिल्मफेयर समेत कई बड़े अवॉर्ड अपने नाम किए. 

अंधविश्वासी थे राज कपूर

राज कपूर अपनी फिल्मों में अक्सर वो सब कुछ दिखाते थे, जिससे वो खुद गुजर चुके होते थे. अपनी फिल्मों को लेकर वो थोड़े अंधविश्वासी भी थे. उन्हें लेकर एक किस्सा बेहद मशहूर है, राज कपूर अपनी आने वाली फिल्मों के गानों की टेस्टिंग किन्नरों से करवाते थे. जब किन्नर उस गाने को पसंद कर लेते थे तो राज कपूर उस गाने को अपनी फिल्मों में लेते थे, अगर किन्नरों को उनके गाने पसंद नहीं आते तो राज कपूर उसे रिजेक्ट कर दिया करते थे.

दरअसल होली पार्टी के बाद जब सभी स्टार्स अपने घर लौट जाते तो शाम के वक्त किन्नर राज कपूर से मिलने आते थे. आरके स्टूडियो में वे किन्नरों के साथ जमकर होली खेलते. राज कपूर किन्नरों पर बहुत भरोसा करते थे. राज कपूर की सुपरहिट फिल्म राम तेरी गंगा मैली के गाने की टेस्टिंग भी उन्होंने किन्नरों से करवाई थी. राज कपूर अपनी फfल्म के निर्देशन और कहानी पर जितना ध्यान देते थे उतना ही उसके संगीत पर.

किन्नरों के कहने पर बदलवाया गाना

कहा जाता है फिल्म 'राम तेरी गंगा मैली' फिल्म एक गाना किन्नरों को पसंद नहीं आया तो राजकपूर ने संगीतकार रवीन्द्र जैन को नया गाना बनाने के लिए कह दिया. जिसके बाद रवीन्द्र जैन ने 'सुन साहिबा सुन' गाना तैयार किया. इस गाने को किन्नरों को सुनाया गया और सभी ने इसे खूब पसंद किया. इतिहास गवाह है ये गाना आज भी लोगों के बीच खूब पॉपुलर है.