नरगिस, राज कपूर और पृथ्वीराज कपूर स्टारर ब्लैक एंड व्हाइट क्लासिक "आवारा" का वर्ल्ड प्रीमियर 13 सितंबर को टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (टीआईएफएफ) में होगा. ये स्क्रीनिंग राज कपूर की 100वीं जयंती मनाने के लिए टीआईएफएफ क्लासिक्स सेक्शन का हिस्सा है. जिसे दिसंबर 2024 में मनाया जाएगा. फिल्म 4K क्वालिटी में प्रदर्शित की जाएगी.
'आवारा' का डायरेक्शन राज कपूर ने किया था. एक फिल्मकार के रूप में यह राज कपूर की तीसरी फिल्म थी. ये फिल्म रूस में काफी मशहूर हुई. सिर्फ रूस में इस फिल्म की 63 मिलियन टिकट बेची गईं.
'आवारा' में दिखी थी कपूर खानदान की तीन पीढ़ियां
'आवारा' में कपूर खानदान की तीन पीढ़ियां नजर आई थीं. फिल्म में पृथ्वीराज कपूर के पिता और राज कपूर के दादा दीवान बशेश्वरनाथ सिंह कपूर थे, जो जज की भूमिका में थे. राज कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर और उनके भाई शशि कपूर भी दिखाई दिए थे.
पिता को नहीं था भरोसा
पृथ्वीराज कपूर को अपने बेटे राज कपूर की फिल्ममेकिंग पर बहुत ज्यादा भरोसा नहीं था. राज को भी लगता था कि अगर पृथ्वीराज कपूर को फिल्ममेकिंग की बात पता चली तो वो फिल्म बनाने नहीं देंगे. इसलिए राज कपूर ने खुद न जाकर लेखक अब्बास और साठे को अपने पिता को फिल्म कहानी सुनाने के लिए भेजा. उनके पिता को कहानी पसंद आई और वे इसमें अभिनय करने के लिए तैयार हो गए.
जब पृथ्वीराज कपूर ने लेखकों से पूछा कि फिल्म का निर्देशक कौन है? अब्बास ने पृथ्वीराज को बताया कि उनका बेटा ही आवारा का निर्माता और अभिनेता है. ये बात सुनते ही पृथ्वीराज कपूर ने फिल्म करने से इनकार कर दिया और कहा कि राज को फिल्म के बारे में कुछ नहीं पता है उनके जैसे महान लेखक राज के लिए क्यों लिख रहे हैं. बहुत मनाने के बाद पृथ्वीराज कपूर ने फिल्म में काम करने को लेकर हामी भरी. आवारा ने इतिहास रच दिया.
आवारा आर.के. स्टूडियो में शूट होने वाली पहली फिल्म थी. ए.अब्बास ने आवारा बनाने के लिए फिल्म निर्माता महबूब खान से संपर्क किया था, लेकिन मेहबूब ने स्क्रिप्ट में रुचि नहीं दिखाई क्योंकि वह उस प्रकार की फिल्में नहीं बना रहे थे. तब अब्बास ने राज कपूर को स्क्रिप्ट दिखाई. बरसात की सफलता के बाद राज कपूर फिल्म बनाने के लिए सही स्क्रिप्ट का इंतजार कर रहे थे. राज कपूर और. के.ए. अब्बास ने 'आवारा' से 'हिना' तक अपने करियर की शुरुआत से लेकर लगभग 30 सालों तक एक साथ काम किया.
'आवारा' की कहानी राज नाम के एक युवक के जीवन पर आधारित है, जो सामाजिक अस्वीकृति और व्यक्तिगत त्रासदियों का सामना करने के बाद अपराध की दुनिया में चला जाता है. यह फिल्म भाग्य, सामाजिक अन्याय और मुक्ति की एक मार्मिक खोज है.