भारतीय वायु सेना का तेज तर्रार डैशिंग ऑफिसर…. जीप में मेरे सपनों की रानी गाते हुए…. पैरेलल में चल रही ट्रेन में बैठकर ब्लश करती हुई शर्मिला टैगोर…. वाह! इस क्लासिक फ्रेम को भला कोई भी कैसे भूल सकता है?
राजेश खन्ना!!!!
अरुण और सूरज प्रसाद सक्सेना के रूप में राजेश खन्ना के इस डबल रोल ने पूरे देश को बांध लिया था. भारतीय सिनेमा के पहले सुपरस्टार जिन्हें सदियों-सदियों तक याद किया जाता रहेगा. आज उनका जन्मदिन है. राजेश खन्ना की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पूरा देश उनपर फ़िदा था. उनका आज 79वां जन्मदिन है.
राजेश खन्ना का जन्म 29 दिसंबर 1942 को अमृतसर, पंजाब में जतिन खन्ना के रूप में हुआ था. कुछ समय बाद उनके रिश्तेदारों, चुन्नीलाल और लीलावती खन्ना ने उन्हें गोद ले लिया था. राजेश खन्ना जिसके बाद मुंबई के गिरगाम में रहने लगे थे.
बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार ने चेतन आनंद की आखिरी खत (1966) से फिल्मों में अपनी शुरुआत की. ये फिल्म 40 वें अकादमी पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा की फिल्म थी, जो भारत में बनाई गयी थी. इसके बाद राज (1967), औरत और बहारों के सपने (1967) और डोली और इत्तेफाक (1969) में अभिनय किया.
फिल्म ‘आराधना’ से मिला फेम
अगर उनके स्टारडम की बात करें, तो शक्ति सामंत की आराधना (1969) से उनके स्टारडम की शुरुआत हुई. उन्होंने लगातार 17 ब्लॉकबस्टर फ़िल्में दीं. मेरे सपनों की रानी का वो क्लासिस फ्रेम आज भी सभी सिनेमा पसंद करने वालों के दिल और दिमाग में बसा हुआ है. इसके बाद, फिल्म कोरा कागज और रूप तेरा मस्ताना जैसी हिट फिल्मों के साथ किशोर कुमार को लोगों ने जाना. आराधना को फिल्मफेयर बेस्ट फिल्म का पुरस्कार मिला.
राज खोसला की दो रास्ते (1969) ने भी उनका ध्यान खींचा. लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की बिंदिया चमकेगी गाने में राजेश और मुमताज को फिल्माया गया था. इसके बाद राजेश खन्ना ने मुड़कर नहीं देखा. एक के बाद एक हिट फ़िल्में दी, कभी न भूली जाने वाली ऐसी फ़िल्में जो सदियों तक बॉलीवुड को अच्छी फ़िल्में बनाने के लिए प्रेरित करती रहेंगी.
मुमताज और राजेश खन्ना का डुओ
मनमोहन देसाई की सच्चा झूठा (1970) में उन्होंने एक ग्रामीण भोला की भूमिका निभाई थी. इसमें जहां मुमताज ने उनकी प्रेमिका की भूमिका निभाई, वहीं अभिनेत्री नाज़ ने मेरी प्यारी बहनिया बनेगा दुल्हनिया के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त की, जिसे राजेश ने फिल्म में उनके लिए गाया था. आज भी उन्हें मुकुल दत्त की आन मिलो सजना (1970) में आशा पारेख के साथ अच्छा तो हम चलते हैं के लिए याद किया जाता है.
फिल्मों में बेहतरीन गानों का तड़का
राजेश खन्ना की फिल्मों के बेहतरीन गाने आज की जनरेशन के लोगों को भी खूब भाते हैं. आरडी बर्मन के गाने ये जो मोहब्बत है, ये शाम मस्तानी और प्यार दीवाना होता है और आशा भोंसले ने 'रैप' में मेरा नाम है शबनम का संगम उनकी फिल्मों को आज भी खूबसूरत बनाये हुए है.
राजेश खन्ना के चार्म की दीवानी लड़कियां
मुमताज और शर्मिला टैगोर, राजेश खन्ना की पूरी जीवन यात्रा की अभिन्न अंग हैं. मुमताज, जिनके साथ उन्होंने आठ फिल्मों में अभिनय किया, ने एक बार अपने इंटरव्यू में बताया था कि लड़कियां राजेश खन्ना के लिए घंटों-घंटों इन्तजार करती थी. वे कहती हैं, “जब भी राजेश आधी रात को एक शूटिंग के बाद किसी होटल में प्रवेश करते थे, तो उन्हें देखने के लिए 600 लड़कियों की कतार लग जाती थी.
वहीं शर्मिला टैगोर, जिनके उनके साथ लगभग छह फिल्में कीं, कहती हैं, “महिलाएं काका को देखने के लिए बाहर आती थीं. वे उनकी एक झलक पाने के लिए स्टूडियो के बाहर खड़ी होती थीं. कुछ ने तो उनकी तस्वीरों से भी शादी की. मुंबई की लड़कियों की तुलना में दिल्ली की लड़कियां उनके लिए ज्यादा दीवानी थीं. जिसके चलते उन्हें कई पुलिस सिक्योरिटी की भी जरूरत पड़ी.
बाबूमोशाय हम सब रंगमंच की कठपुतलियां हैं….
राजेश खन्ना फिल्म आनंद में कहते हैं, “बाबूमोशाय ... हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियां हैं जिसकी डोर ऊपर वाले की अंगुलियों मैं बंधी हैं. कब, कौन, कैसे उठेगा ये कोई नहीं बता सकता है.”
राजेश खन्ना तो चले गए… लेकिन उनका स्टारडम अभी भी जीवित है. उनकी बेहतरीन फिल्में, उनका संगीत, उनकी कभी न भूले जाने वाली एक्टिंग सदियों तक ‘Superstar Rajesh Khanna’ की याद दिलाती रहेंगी.
हैप्पी बर्थडे सुपरस्टार!
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