
राजेश खन्ना को भारत का पहला सुपरस्टार कहा जाता है. सिनेमा में वो एक सुनामी की तरह आए और छा गए. उन्होंने इंडस्ट्री में तीन साल तक राज किया. साल 1969 और 1972 के बीच उनके नाम एक नहीं, दो नहीं, दस भी नहीं, बल्कि पंद्रह बैक-टू-बैक ब्लॉकबस्टर थे. कोई भी अपने करियर के शिखर पर राजेश खन्ना जैसी फैन फॉलोविंग पैदा नहीं कर सका. कथित तौर पर, उनकी कुछ महिला प्रशंसक अक्सर उनकी सफेद Fiat कार पर लिपस्टिक के निशान छोड़कर उन्हें लाल कर देती थीं. माना जाता है कि उनमें से कुछ ने उन्हें खून से लव लेटर भी लिखकर भेजा था. आज तक राजेश खन्ना के रिकॉर्ड्स को कोई तोड़ नहीं पाया है. फिर चाहे वो फीमेल फैन फॉलोविंग के मामले में हो या फिर एक के बाद एक सुपरहिट फिल्में देने के मामले में...
जतिन था असली नाम
29 दिसंबर 1942 को अमृतसर में जन्मे राजेश खन्ना का असली नाम जतिन खन्ना था. जब उन्होंने फैसला किया कि वह फिल्मी दुनिया में अपना नाम बनाना चाहते हैं, तब उनके चाचा केके तलवार ने उन्हें राजेश नाम दिया था. उनके दोस्त और परिवार के सदस्य उन्हें घर में काका कहकर बुलाते थे, क्योंकि पंजाबियों में नौजवानों को काका बुलाया जाता था. ऐसे में राजेश का निकनेम 'काका' पड़ गया. राजेश खन्ना में बचपन से ही एक्टर बनने के गुण थे. वह कम उम्र में ही थिएटर आर्टिस्ट बन गए थे और स्कूल-कॉलेज फंक्शन्स में परफॉर्म करते थे. भले ही 'आखिरी खत' (1966) राजेश खन्ना की पहली रिलीज फिल्म थी, लेकिन उन्हें पहला ब्रेक बतौर एक्टर 'राज' से मिला था, जो 1967 में रिलीज हुई थी. बात करें पॉपुलैरिटी की तो राजेश को असली पहचान फिल्म 'आराधना' (1969) से मिली थी.
70 से 80 का दशक राजेश खन्ना का था. लड़किया उनके पीछे पागल थीं. उनकी फैन फॉलोइंग ऐसी थी कि लोग उनके बंगले के बाहर घंटों लाइन लगाकर खड़े रहते थे और उनकी एक झलक पाने के लिए तरसते थे. यही नहीं, फैंस राजेश खन्ना की कार को किस करते थे. कहते तो यहां तक हैं कि उनकी कई फीमेल फैंस ने उनकी फोटो से शादी तक कर ली थी. कई तो उनके नाम का टैटू अपनी बॉडी पर बनवा लेती थीं. इतनी क्रेजी फैन-फॉलोइंग होने की वजह से राजेश को हमेशा टाइट सिक्योरिटी के साथ पब्लिक प्लेस में जाना पड़ता था.
फिल्म निर्माता के पास भी नहीं थी वैसी कार
राजेश खन्ना स्पोर्ट्स कारों के शौकीन थे, वो ऑडिशन भी MG Sport कार से देने जाया करते थे. उस समय ऐसी कारों का कलेक्शन फिल्मी सितारों के पास भी नहीं होता था. जब वो ऑडिशन देने जाते थे तो उनकी कार वहां पार्क होती थी जहां कई फिल्मी सितारे और डायरेक्टर-प्रोड्यूसर की गाड़ियां खड़ी रहती थीं. कभी-कभार जब राजेश खन्ना की मुलाकात किसी डायरेक्टर से होती थी वो कहते थे- 'अगर आप जूनियर आर्टिस्ट का भी रोल मुझे दे देंगे तो मैं उसे भी पूरी शिद्दत से करुंगा', लेकिन कोई भी उनकी बातों को तवज्जो नहीं देता था.
फिल्मों में कैसे हुई एंट्री
साल 1965 में फिल्म प्रोड्यूसर्स ने मिलकर ऑल इंडिया टैलेंट हंट कॉन्टेस्ट का आयोजन किया था. शो में 10 हजार से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया था, उनमें से एक राजेश खन्ना भी थे. इस हंट में राजेश खन्ना ने इतना जबरदस्त परफॉर्म किया कि वो पहले टॉप 8 की लिस्ट में शामिल हुए और फिर विनर बने. लड़कियों में ये खिताब फरीदा जलाल ने जीता था और विनोद मेहरा और लीना चन्दावरकर रनर-अप रहे थे. राजेश खन्ना को प्राइज के तौर पर 2 फिल्में ऑफर की गई थीं.
कौन सी फिल्म थी डिंपल और राजेश की पहली फिल्म
3 दशक से अधिक के अपने करियर में, राजेश खन्ना ने कई सारी फिल्में कीं. इनमें से कुल दो प्रोजेक्ट ऐसे थे जिनमें दो एक्टर नजर आए बाकि उनकी अन्य सभी 100+ फिल्मों में वो सोलो एक्टर के तौर पर नजर आए. राजेश खन्ना और डिंपल कपाड़िया 'जय जय शिव शंकर' (राजेश खन्ना के एक लोकप्रिय गाने पर नाम) नामक फिल्म में एक साथ काम करने वाले थे. हालांकि बाद में फिल्म बंद हो गई. राजेश खन्ना ही वह शख्स थे जिन्होंने लोकप्रिय लेखक जोड़ी सलीम खान और जावेद अख्तर को फिल्म 'हाथी मेरे साथी' के लिए स्क्रीन राइटर के रूप में पहला ब्रेक दिया था. उसके बाद सलीम-जावेद ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
उनकी पॉपुलर फिल्म आराधना के गाने मेरे सपनों में कब आएगी तू से लोगों में खूब पसंद किया गया. बता दें कि इस गाने की शूटिंग राजेश खन्ना ने सड़कों पर की थी जबकि शर्मिला टैगोर का हिस्सा स्टूडियो में शूट किया गया था. ऐसा इसलिए क्योंकि जब ये गाना शूट हो रहा था तो शर्मिला टैगोर किसी कारणवश शूटिंग सेट पर नहीं जा पाई थीं. इसी वजह से राजेश खन्ना के हिस्से को सड़क पर शूट कर लिया गया था.
खींचातानी में फट गई थी शर्ट
एक बार राजेश खन्ना,कमल हासन के साथ एक अमेरिकन फिल्म देखने गए थे. वहां मौजूद लोगों को इस बारे में पता नहीं था कि राजेश खन्ना भी यहां पर हैं. सबकुछ नॉर्मल चल रहा था और फिल्म भी खत्म हो गई थी. लेकिन राजेश खन्ना फिल्म खत्म होने के बाद उसके टाइटल एंड को देखने लगे. उधर कमल हासन को इस बात की चिंता सताने लगी कि अगर ये बात वहां मौजूद लोगों को पता चल गई तो थिएटर में भगदड़ मच जाएगी. आखिरकार वही हुआ. लोगों ने राजेश खन्ना को पहचान लिया और उन्हें छूने के लिए वहां मौजूद लोगों में खींचातानी होने लगी. कमल हासन ने उस भीड़ से राजेश खन्ना को बचाकर बाहर निकाला, लेकिन लोगों की खींचातानी में राजेश खन्ना की शर्ट फट गई. हालांकि, इसके बावजूद वो मुस्कुरा रहे थे.
क्यों आत्महत्या करना चाहते थे राजेश खन्ना
राजेश खन्ना और डिंपल कपाड़िया के रिश्ते में शादी के 11 साल बाद ही दरार आनी शुरू हो गई थी. खबर ये थीं कि राजेश खन्ना नहीं चाहते थे कि डिंपल फिल्मों में काम करें. इसी वजह से दोनों में काफी बहस होती थी. कुछ समय बाद दोनों अलग-अलग रहने लगे थे, लेकिन तलाक कभी नहीं लिया. एक इंटरव्यू में खुद राजेश खन्ना ने बताया था कि डिंपल से अलग रहने के बाद उन्होंने 14 महीनों के लिए खुद के आस-पास एक दीवार बना ली थी. लोगों पर उन्होंने विश्वास करना छोड़ दिया था, नई फिल्में साइन नहीं करते थे. आत्मविश्वास कम हो गया था. लगातार फिक्र में डूबे रहते थे और आत्महत्या करने के बारे में सोचते थे.
उनकी बीमारी के बारे में किसी को पता नहीं था
2011 में राजेश खन्ना को पता चला था कि उन्हें कैंसर है, लेकिन ये बात सिर्फ उनके परिवार वालों को ही पता थी. उन्होंने परिवार के लोगों से कह दिया था कि ये बात उनके फैंस तक ना पहुंचे। जून 2012 में उनकी तबीयत खराब होने लगी थी जिस वजह से उन्हें 23 जून को मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तबीयत में सुधार होने के बाद उन्हें 8 जुलाई को अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी. इसके बाद 14 जुलाई को उन्हें फिर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन वो अपने घर में आखिरी सांस लेना चाहते हैं इसलिए उन्हें अस्पताल से छुट्टी दिला दी गई. 16 जुलाई को उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था जिसके 2 दिन बाद, 18 जुलाई को राजेश खन्ना का निधन उनके बंगले आशीर्वाद में हो गया. राजेश खन्ना के निधन के बाद दुनिया को पता चला था कि वो कैंसर से पीड़ित थे.