अगर बॉलीवुड में सबसे फेमस परिवार के बारे में जिक्र होगा, तो सबसे पहले दिमाग में कपूर खानदान का नाम आएगा. लेकिन कपूर खानदान के एक स्टार ऐसे भी हैं जो भले ही फिल्मों में कम नजर आए हो लेकिन लाइमलाइट में हमेशा बने रहते हैं. उन्होंने भले ही कम फिल्में की लेकिन रोमांटिक एक्टर की बात होते ही रणधीर कपूर की याद आ ही जाती है. गुम है किसी के प्यार में दिल सुबहो-शाम गाना आज भी हमारे दिलो दिमाग में बसा हुआ है. 15 फरवरी 2022 को रणधीर कपूर 75वां जन्मदिन मनाने जा रहे हैं. उनके बर्थडे पर जानते हैं उनके बारे में कुछ दिलचस्प बातें.
70-80 के दशक में धूम मचाने वाले रणधीर कपूर
रणधीर कपूर के फिल्मी करियर की शुरूआत सत्तर,अस्सी के दशक में हुई थी. बेहतरीन और जॉली अंदाज की वजह से उनके चाहने वालों ने उन्हें हद से ज्यादा प्यार दिया. जवानी दिवानी, हाथ की सफाई, रामपुर का लक्ष्मण, ढोंगी, खलीफा, कच्चा चोर, कल आज और कल, पोंगा पंडित, कस्मे वादे, बीवी ओ बीवी, भंवर, हरजाई, हमराही, चाचा भतीजा, राम भरोसे, आज का महात्मा, लफंगे, खलीफा, आखिरी डाकू, पुकार जैसी फिल्मों को खूब पंसद किया गया. रणधीर के निर्देशन में बनी फिल्म धरम करम, हीना, प्रेम ग्रंथ को भी बेहद सफलता मिली. रणधीर कपूर अपने ज्यादातर गानों में प्लेबैक के लिए किशोर दा की ही आवाज लेते थे. इस जोड़ी के सबसे यादगार गानों में रामपुर का वासी हूं, और फ़िल्म जवानी दिवानी का 'जा ने जा ढूंढता फिर रहा ' है.
रणधीर कपूर का संघर्ष
रणधीर कपूर का जन्म 15 फरवरी 1947 को मुंबई में हुआ था. रणधीर कपूर के लिए पैसे कमाना उतना भी आसान नहीं था. ये बात खुद रणधीर कपूर ने बताई. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि उनकी जिंदगी में एक समय ऐसा था जब अपने बच्चों की फीस भरने तक के लिए उनके पास पैसे नहीं थे और साथ ही उनकी जिंदगी का वो समय बहुत ही मुश्किल था.
जब कपूर परिवार पर लगा था स्टूडियो जलाने का आरोप
बात अगर कपूर खानदान की हो रही हो और उसमे रणधीर कपूर शामिल हों तो आरके स्टूडियो का जिक्र होना जरूरी हो जाता है. क्योंकि आरके स्टूडियो सिर्फ राज कपूर तक ही महदूद नहीं था, राज कपूर के बाद आरके स्टूडियो में अगर किसी ने फिल्में बनाने का सिलसिला जारी रखा था तो वो ते रणधीर कपूर. आज भले ही 70 साल से भी ज़्यादा पुराने इस स्टूडियो का नामोनिशां धीरे-धीरे मिट रहा है. इस स्टूडियो को गोदरेज समूह की रिएलिटी फ़र्म गोदरेज प्रॉपर्टीज ने ख़रीद लिया है और वे यहां पर बड़ी-बड़ी इमारत बनाने जा रही है. अगर आप अब कभी मुंबई दर्शन के लिए चेंबूर जाएंगे तो हो सकता है वहां आपको आरके स्टूडियो नहीं बल्कि ऊंची-ऊंची इमारत दिखाई दे.
रणधीर कपूर ने फ़िल्म 'कल आज कल' से इस परंपरा को आगे बढ़ाया जिसके बाद दो और फ़िल्म 'धरम करम' और 'हीना' बनाई. रणधीर कपूर का एक पुराना इंटरव्यू है, जिसमें वो आरके स्टूडियो के बारे में बात कर रहे हैं. इस इंटरव्यू में रणधीर ये याद करते हैं कि ''आर के स्टूडियो राज कपूर जी की वजह से ही था. वहां की सिर्फ़ ज़मीन ही नहीं वहां की हर तस्वीर, हर फ़िल्म उन्हीं के ज़रिए बनाई गई थी. हम तीनो भाइयों ने अपना करियर आरके स्टूडियो से शुरू किया. कई फैंस की तरह हमारे लिए भी ये एक मंदिर था, बचपन से लेकर अब तक यहां से हमारी कई यादें जुड़ी हैं, जो आख़िरी सांस तक हमारे साथ रहेगी.
आरके स्टूडियो का जलना हमारे सपनो के जलने जैसा
इसी इंटरव्यू में रणधीर कपूर कहते हैं कि अपने पुराने दिनों को याद करते हुए रणधीर कपूर थोड़े भावुक हो जाते हैं. 16 सितम्बर 2016 को हमारा सब कुछ जलकर राख हो गया था. हालांकि इस स्टूडियो को जलाने का आरोप भी कपूर खानदान पर ही लगा था. यही सवाल रणधीर कपूर से इस इंटरव्यू में भी पूछा गया, इसके जवाब में रणधीर ने कहा कि , ''ट्रैफिक की वजह से यहां कोई आना नहीं चाहता. अगर हम इस पर पैसा ख़र्च करके एक बार और बनवा भी देते तो ये हमारी बेवक़ूफ़ी होती.
कई सालों से यहां फ़िल्मों की शूटिंग बंद हो गई है. हम कपूर परिवार ही अपनी तस्वीरें खिचवाते थे, शूटिंग के लिए कोई इतना दूर आता नहीं और इसमें हमारा ही नुक़सान होता. ऐसे में कुछ करवाकर कोई फ़ायदा नहीं होता.''
बबीता और रणधीर के प्यार का किस्सा भी है दिलचस्प
रणधीर कपूर पहली बार बबीता से 1969 में 'संगम' फिल्म के सेट पर मिले थे. जिसके बाद दोनों एक दूसरे से मिलने लगे. दोनों कई फिल्मों में एक साथ दिखाई भी दिए. बबीता ने रणधीर कपूर के साथ फिल्म 'कल आज और कल' में भी काम किया जिसमें राजकपूर भी थे. 6 नवंबर 1971 को रणधीर कपूर और बबीता ने पंजाबी रीति रिवाजों से शादी कर ली. लेकिन शादी के बाद बबीता को फिल्मों से अलविदा कहना पड़ा क्योंकि कपूर खानदान में बहुएं फिल्मों में काम नहीं कर सकती थीं.
बबिता और रणधीर अलग रहते हैं पर तलाक नहीं
1974 में करिश्मा कपूर की पैदाइश के बाद सबकुछ ठीक चल रहा था. 80 के दशक में रणधीर का करियर नीचे गिरता चला गया. 1981 में करीना कपूर के जन्म तक उन पर फ्लॉप हीरो का ठप्पा लग गया था. करियर के इस डाउनफॉल ने रणधीर को कमजोर कर दिया. उनको शराब की आदत लग गई. जिसके बाद उन्होंने अपने करियर पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया. उनकी इन आदतों से परेशान होकर 1987 में बबीता उनसे अलग रहने लगीं, सालों अलग रहने के बाद भी दोनों ने कभी तलाक नहीं लिया.
2007 में रणधीर और बबीता ने अपने मतभेदों का दफन कर दिया. रणधीर और बबीता भले ही साथ नहीं रहते लेकिन वो अक्सर मिलते रहते है. पूरा परिवार एक हैप्पी फैमिली की तरह रहता है.
तो क्या बेटी करिश्मा और करीना को हीरोइन नहीं बनाना चाहते थे रणधीर
बबीता ने ही करीना और करिश्मा कपूर की परवरिश की. लेकिन इसके बाद वो हुआ जो कपूर खानदान में कभी नहीं हुआ. बेटी करिश्मा कपूर फिल्मों में काम करना चाहती थीं. पूरा परिवार उनके खिलाफ था, लेकिन एक स्ट्रांग मम्मी की तरह बबीता ने अपनी बेटी का साथ दिया और उन्हें फिल्मों में काम करने की इजाजत दी.
बबीता न सिर्फ करिश्मा की मदद की बल्कि करीना कपूर का भी पूरा साथ दिया. इस दौरान रंधीर ने कभी उनसे बात नहीं की. लेकिन रणधीर का अपनी बेटियों के लिए प्यार खूब था. इसका भी एक किस्सा है.
करीना ने अपने पापा के लिए जोड़े थे अमिताभ बच्चन के सामने हाथ
तब करीना काफी छोटी थी और वह अपने पापा के साथ सेट पर जाया करती थी और वहीं एक दिन रणधीर कपूर और अमिताभ बच्चन को एक फाइटिंग सीन शूट करना था और यह देखते ही करीना कपूर काफी हड़बड़ा गयी थी और वह रोने लगी थी और करीना ने अमिताभ बच्चन से कहा कि उनके पापा को मत मारो प्लीज अंकल”. इतना ही नहीं जहां शूटिंग हो रही थी वहां जाकर करीना ने अमिताभ बच्चन को पकड़ लिया था. इसी के साथ सेट पर मौजूद तमाम लोगों की हंसी निकल गयी थी. उस समय करीना को चोट भी लग गई थी. वहीं अमिताभ बच्चन ने करीना की इस चोट पर दवा लगाई थी.