हाल ही में अमेजन प्राइम पर पंचायत 2 का दूसरा सीजन रिलीज हुआ है. ये सीरीज रिलीज के बाद से ही काफी चर्चा में है. कहानी की तरह ही इसके कैरेक्टर भी उसी तरह चर्चा में हैं. पुराने और कुछ नए किरदारों के साथ सीरीज में जो कहानी दिखाई गई है वो इसे सबसे अलग बनाती है. गांव की पृष्ठभूमि लिए कहानी जिस आधार पर गढ़ी गई है वही इसका स्ट्रांग प्वाइंट है. रोजाना गांव और समाज में सालों से जो होता आया है उसे थोड़ा सा हास्यपूर्ण और सीरियस बनाकर यहां दिखाया गया है.
सीजन 1 के पुराने किरदारों ने तो हमारा मनोरंजन किया ही साथ ही कुछ नए किरदारों ने इसमें और मसाला जोड़ दिया. इस तरह इस सीरीज के साथ ये बात तो साफ हो गई जो लोग कहते हैं कि किसी भी सीरीज का सीक्वल या सेकेंड सीजन उतना मजेदार नहीं होता जितना की पहला. आज हम कुछ ऐसे ही प्वाइंट्स पर बात करेंगे जो इसके दूसरे सीजन को भी हिट बनाते हैं.
फुलेरा अब एक कैरेक्टर है
पंचायत के पहले सीज़न ने फुलेरा गांव को बैकग्राउंड सेटिंग के रूप में इस्तेमाल किया गया यह दिखाने के लिए कि कैसे एक शहरी नौकरी के लिए अस्थायी आधार पर एक गांव को अपनाता है. लेकिन दूसरे सीजन में निर्माताओं ने फुलेरा गांव को एक कैरेक्टर के तौर पर इस्तेमाल किया. फुलेरा गांव अब एक ऐसी जगह की तरह लगता है जो वास्तव में अपने दोस्ताना और स्वागत करने वाले स्वभाव के लिए जानी जाती है. मेकर्स ने इतने सारे ट्रॉप्स लगाए हैं जो पहले सीज़न में सिर्फ विवरण थे लेकिन अब वे शो का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सा महसूस होते हैं.
दूसरे बॉलीवुड ड्रामा से अलग
बॉलीवुड ड्रामा सीक्वल को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के लिए जाने जाते हैं. डॉयरेक्टर्स को लगता है कि वही पुरानी घिसी-पिटी स्टोरी में नए किरदार जोड़कर पेश करने से ऑडियंस का मनोरंजन हो जाएगा, लेकिन ये हमेशा काम नहीं करता है. लोगों को अब कुछ नया और बेहतर चाहिए. यही सब चीजें पंचायत 2 में बेहतरीन तरीके से की गई हैं, जोकि इसे सबसे अलग बनाती हैं. पंचायत 2 ने अपने सेकेंड सीजन में कुछ नए कैरेक्टर शामिल किए हैं जो काफी ज्यादा बेहतरीन और आकर्षक हैं. एक तरफ जहां दूसरे शो इसमें लव स्टोरी घुसाने की सोचते पंचायत 2 को दर्शकों को कैसे बांधकर रखना है उसे बखूबी आता है.
बेहतर होती गई परफॉर्मेंस
पंचायत 2 का सबसे मजबूत हिस्सा है उसकी कास्ट. जितेंद्र कुमार, रघुबीर यादव, फैसल मलिक, नीना गुप्ता और चंदन रॉय तो अपने किरदार के लिए बेस्ट हैं ही लेकिन नए एडिशन सांविका और सुनीता राजवर ने भी इसे बखूबी निभाया है. ये किरदार इतने असली हैं कि हमें लगता है कि हम वाकई में किसी गांव की कहानी देख रहे हैं. वैसे तो जितेंद्र शो के मुख्य किरदार हैं लेकिन ऐसा कभी नहीं लगा कि शो की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर है. हम कह सकते हैं कि फुलेरा शो का मुख्य किरदार है और बाकी सारे साइड कैरेक्टर.
बढ़ता गया ड्रामा
पहला सीजन में जहां कहानी सिर्फ गांव के आसपास ही घूमती है दूसरे सीजन में ये दायरा और भी बढ़ गया. शराब के खिलाफ विज्ञापन देने वाले ड्राइवर से लेकर अभिषेक के गेट पर गिरने से लेकर नशे में धुत होकर एक नए अहंकारी विधायक का दूबे से लड़ने तक, शो में सबकुछ नाटकीय था. नाटक की मात्रा जरूर बढ़ी है लेकिन उसकी गुणवत्ता नहीं गिरी. दूसरा सीजन कई हास्य पहलुओं को लेकर बनाया गया है.
आखिरी में जब आपको लगने लगता है कि शो में कुछ नहीं बचा और ये खत्म होने वाला है तभी इसमें अचानक से ट्विस्ट आता है. फ्रेम में अचानक से सन्नाटा छा जाता है, सबकुछ बिखरता सा नजर आने लगता है. यहां डॉयरेक्टर आपको जिंदगी की सच्चाई से रूबरू कराता है. जब आपको लगता है कि सबकुछ अच्छा हो रहा है तभी एक ऐसी घटना होती है जो आपको एहसास कराती है कि कुछ भी स्थायी नहीं है.