रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. इसरो के वैज्ञानिक नंबी नारायणन के जीवन पर आधारित यह फिल्म भारत के हर एक नागरिक को देखनी चाहिए. इसलिए देखनी चाहिए क्योंकि यह सिर्फ एक फिल्म नहीं है बल्कि उस देशभक्त की कहानी है, जिसने नासा की नौकरी छोड़ देश (इसरो) के लिए खुद को समर्पित कर दिया. ये फिल्म हमें बताती है कि कैसे किसी प्रतिद्वंद्वी अंतरिक्ष शक्ति ने षड्यंत्र रचकर नंबी को जासूस घोषित किया क्योंकि उन्हें डर था कि नंबी नारायणन अगर इसी तरह काम करते रहे तो एक दिन इसरो दुनिया की नंबर वन स्पेस एजेंसी बन जाएगी.
इस फिल्म में नंबी नारायण की कहानी के अलावा भी इतना कुछ है कि आप 2.37 मिनट की इस फिल्म में एक सेंकड भी बोर नहीं होंगे. फिल्म का पहला भाग नंबी की उपलब्धियों और देश के स्पेस विज्ञान में उनके योगदान को दिखाता है. और दूसरा भाग नंबी पर हुए अत्याचार की कहानी कहता है.
याद रखा जाएगा माधवन का अभिनय
आर माधवन साउथ के बड़े स्टार हैं. हिंदी सिनेमा में भी उन्होंने कई दमदार फिल्में की हैं. लेकिन इस फिल्म में माधवन ने नंबी की जिंदगी को जिया है. उनके दर्द को समझने की कोशिश की है. इसलिए वे जब भी स्क्रीन पर आते हैं, इमोशनल कर जाते हैं. ये कहने में कोई दो राय नहीं है कि माधवन ने अपने करियर का सबसे बेहतरीन रोल इस फिल्म में किया है. फिल्म में उनका अभिनय याद रखा जाएगा. माधवन कितने कमाल के एक्टर, राइटर और डायरेक्टर हैं. इस फिल्म को देखने के बाद आपको अंदाजा हो जाएगा. नंबी की पत्नी मीना के किरदार में सिमरन, उन्नी के रूप में सैम मोहन, साराभाई के रूप में रजित कपूर, अब्दुल कलाम आजाद के रूप में गुलशन ग्रोवर का अभिनय बेहतरीन है. शाहरुख खान फिल्म में नंबी नारायणन का इंटरव्यू लेते हुए दिखाई देते हैं.
नंबी की जिंदगी जानने के लिए देखिए
नंबी के जीवन को जानने के लिए भी आपको यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए. उनकी ये कहानी पर्दे पर सजीव होकर रोंगटे खड़े कर देती है. 1941 में जन्मे नंबी शुरू से ही प्रतिभावान छात्र रहे. उन्होंने इसरो में विक्रम साराभाई और अब्दुल कलाम आजाद के साथ बेहतरीन काम किया. 1994 में नंबी पर आरोप लगाया गया कि वह रॉकेट व उपग्रह से संबंधित गोपनीय जानकारी लीक करते हैं. जासूसी के आरोप में नंबी जेल तक पहुंच गए, जहां उनपर अत्याचार किए जाते हैं. साल 1996 में सीबीआई इस मामले में नंबी नारायणन को क्लीन चिट देती है. केरल सरकार देश की सर्वोच्च अदालत का दरवाजा ठक ठकाती है और फिर लंबी लड़ाई के बाद नंबी नारायणन को इंसाफ मिलता है.
प्रेरणा देती है नंबी नारायणन की जिंदगी
फिल्म में कई ऐसे सीन हैं जो आपको गर्व से भर देते हैं. यह ऐसी फिल्म है जो पूरे परिवार के साथ देखी जानी चाहिए. रॉकेट्री फिल्म के जरिए नंबी की कहानी देश के हर घर तक पहुंचनी चाहिए. ये फिल्म उन युवाओं को भी देखनी चाहिए जो जल्दी ही हौसला खो देते हैं. नंबी की कहानी यह बताती है कि हार मान लेना विकल्प नहीं होता. सबको अपने हिस्से की लड़ाई खुद ही लड़नी पड़ती है और सही भी साबित करना पड़ता है.