गुजरे जमाने के एक्टर संजीव कुमार (Sanjeev Kumar) की आज बर्थ एनिवर्सरी है. 9 जुलाई, 1938 को सूरत में जन्मे संजीव कुमार का असली नाम हरिहर जरीवाला था. संजीव ने अपने फिल्मी करियर में कई सुपरहिट फिल्मों में अभिनय किया. वे पहले ऐसे एक्टर रहे जिन्होंने अपने जवानी के दिनों में भी बुजुर्ग का रोल किया. दिलचस्प बात यह है कि संजीव कुमार उन गिने-चुने एक्टर्स में से एक थे जिनका इंडस्ट्री में कोई मुकाबला नहीं था.
संजीव कुमार की बायोग्राफी Sanjeev Kumar: The Actor We All Loved में परेश रावल की संजीव कुमार के मैनेजर जमनादास के साथ हुई बातचीत का जिक्र है, जिसमें जमनालाल ने कहा था, "परेश, अगर अमिताभ बच्चन का बाप बनना है तो संजीव कुमार ही बन सकता है! और कौन बनेगा? (यानी सिनेमा के रुपहले पर्दे पर संजीव कुमार के अलावा कौन अमिताभ बच्चन की बराबरी कर सकता है?)".
शायद यही वजह थी कि संजीव कुमार को उनकी कई फिल्मों में बुजुर्ग की भूमिका निभाते देखा गया. इनमें शोले (1975), त्रिशूल (1978), मौसम (1975), सवाल (1982) और देवता (1978) शामिल हैं. संजीव ने जब शोले मूवी में ठाकुर की भूमिका निभाई थी, उस वक्त वो 37 वर्ष के थे. संजीव कुमार ने जब त्रिशूल में अमिताभ बच्चन के विजय कुमार और शशि कपूर के शेखर कुमार के पिता आरके गुप्ता की भूमिका निभाई थी, उस वो 40 वर्ष के थे.
हम हिंदुस्तानी फिल्म से शुरू किया करियर
संजीव कुमार जब बहुत छोटे थे तभी मुंबई आ गए. पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया. संजीव कुमार के दो छोटे भाई और एक बहन थी. वो बहुत अच्छी गुजराती, हिंदी और अंग्रेजी बोलते थे. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1960 में 'हम हिंदुस्तानी' से की. बतौर लीड एक्टर उनकी पहली फिल्म 'निशान' (1965) थी. 1968 में उन्होंने उस समय के मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार के साथ संघर्ष में अभिनय किया.
हेमा मालिनी से था बेइंतहा प्यार
एक समय ऐसा आया जब संजीव कुमार हमेशा लड़कियों से घिरे रहते थे. उनकी फीमेल फैन फॉलोइंग सबसे ज्यादा थी. लेकिन संजीव कुमार का दिल धड़कता था ड्रीम गर्ल यानी हेमा मालिनी के लिए. संजीव कुमार एक समय में हेमा मालिनी से मुहब्बत करते थे. उन्होंने हेमा को शादी के लिए प्रपोज भी किया था, लेकिन हेमा ने उनका ऑफर ठुकरा दिया था, क्योंकि वे धर्मेंद्र से शादी करना चाहती थीं.
वहीं, सुलक्षणा पंडित संजीव कुमार से बेइंतहा प्यार करती थीं लेकिन संजीव ने सुलक्षणा के ऑफर को ठुकरा दिया था. संजीव कुमार की कभी शादी नहीं हुई. संजीव कुमार का नाम तनुजा और नूतन के साथ भी जुड़ा.
कम उम्र में हुई मौत
संजीव ने सिर्फ इसलिए शादी नहीं की थी, क्योंकि उन्हें दिल की बीमारी थी. उनके परिवार में ज्यादातर पुरुषों की मौत लगभग 50 साल की उम्र में हुई थी. संजीव कुमार की महज 47 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी.
गुलजार और संजीव कुमार बहुत अच्छे दोस्त थे, संजीव अपनी सारी परेशानियां उनके साथ साझा करते थे और गुलज़ार ने उन्हें डायबिटिक नेफ्रोपैथी के बाद किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह भी दी थी लेकिन उससे पहले ही संजीव कुमार का निधन हो गया.
संजीव की मौत के बाद ये फिल्में हुई थीं रिलीज
संजीव कुमार ने अपने करियर में करीब 165 फिल्मों में काम किया, इनमें 155 फिल्में हिंदी में जबकि 10 अन्य भाषाओं में थीं. उस दौर के तमाम फ़िल्मकारों ने संजीव कुमार की तुलना हॉलीवुड एक्टर फिलिप सेमोर हॉफ़मन (Philip Seymour Hoffman) से की. क्योंकि जिस तरह संजीव कुमार का उम्दा किरदार लीड रोल में नज़र आया, उन्होंने उतनी ही संजीदगी से चरित्र भूमिकाएं भी निभाईं.
क्या आप जानते हैं संजीव कुमार की मौत के बाद भी उनकी 10 फिल्में रिलीज हुईं थीं. इनमें से अधिकांश फिल्मों की शूटिंग बाकी रह गई थी. 1993 में उनकी आखिरी फिल्म 'प्रोफेसर की पड़ोसन' रिलीज हुई थी. इसके अलावा 'कातिल', 'हाथों की लकीरें', 'कांच की दीवार', 'लव एंड गॉड', 'राही', 'दो वक्त की रोटी', 'बात बन जाए', 'नामुमकिन', 'ऊंच नीच बीच फिल्में उनकी मौत के बाद रिलीज हुई थीं.