अक्षय कुमार की मूवी 'सरफिरा' आज सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है. Sudha Kongara Prasad के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में अक्षय कुमार, राधिका मदान, परेश रावल और सीमा बिश्वास सहित कई सितारे हैं. फिल्म की कहानी रियल है तो कई जगह आपके आंसू छलक सकते हैं. इस फिल्म से आम लोग खुद को आसानी से कनेक्ट कर पाएंगे. 'सरफिरा' एक साउथ इंडियन फिल्म 'सोरारई पोटरु' की हिंदी रीमेक है.
भारतीय सेना के पूर्व कैप्टन गोपीनाथ की जिंदगी पर बनी है फिल्म
सरफिरा देश में सस्ती टिकटों वाली पहली एयरलाइन एयर डेक्कन स्थापित करने वाले भारतीय सेना के पूर्व कैप्टन गोपीनाथ की जिंदगी पर आधारित है. इसमें और क्या-क्या खास है, ये जानने के लिए आपको फिल्म देखने के लिए थिएटर जाना होगा, लेकिन इससे पहले जनता सोशल मीडिया पर अपना रिव्यू दे रही है. इसलिए टिकट बुक कराने से पहले यहां जान लीजिए कि क्या आपको इसे देखने के लिए थियेटर जाना चाहिए!
सोशल मीडिया पर जनता ने दिया अपना रिव्यू
एक यूजर ने लिखा- 'अक्षय अपनी फिल्मों के लिए बहुत मेहनत करते हैं. शानदार स्टोरी राइटिंग और बेहतरीन एक्जीक्यूशन.'
एक यूजर ने लिखा- 'यह सिर्फ एक फिल्म नहीं है, बल्कि आम आदमी के इमोशन हैं.'
एक यूजर ने लिखा है- ''सरफिरा' हर मायने में कल्ट क्लासिक सूराराईपोटरू का शानदार रीमेक है. अक्षय ने यहां अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है. राधिका मदान सुंदर लग रही हैं और उन्होंने भी बहुत अच्छा अभिनय किया है.'
एक यूजर ने लिखा है- 'अक्षय ने उनकी बोलती बंद कर दी है, जो उनके करियर पर एक और फ्लॉप फिल्म का तमगा लगाने वाले थे.'
एक ने लिखा- ''सरफिरा' मस्ट वॉच फैमिली एंटरटेनर फिल्म है. कई यूजर्स ने 'सरफिरा' को मास्टरपीस बताया है.'
वहीं कुछ यूजर्स ने इस फिल्म को मिला जुला रिस्पॉन्स दिया. एक यूजर ने लिखा- 'अक्षय कुमार को एक्टिंग से कुछ समय के लिए ब्रेक ले लेना चाहिए.'
क्या है फिल्म की कहानी
'सरफिरा', महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव के एक मध्यमवर्गीय व्यक्ति वीर जगन्नाथ म्हात्रे (अक्षय कुमार) की कहानी है, जोकि आम आदमी के लिए कम लागत वाली एयरलाइन शुरू करने का बड़ा सपना देखता है. अपने शिक्षक-पिता के अहिंसावादी सिद्धांतों के खिलाफ, वीर का मानना है कि बदलाव लाने और अत्याचार को खत्म करने के लिए किसी को तो जिम्मेदारी लेनी होगी. हालांकि पिता और पुत्र दोनों अपने-अपने तरीके से दूरदर्शी हैं, बस दोनों लोगों की विचाधारा और प्रोटेस्ट करने का तरीका अलग है. पिता कलम से लड़ते थे, बेटा हिंसा को आदर्श मानता है.
वीर भारतीय वायु सेना में शामिल होने के लिए घर छोड़ देता है. इस बीच वीर के साथ एक निजी त्रासदी हो जाती है. जिसके बाद वो एक कम खर्चे वाली एयरलाइन शुरू करने को अपनी जिद बना लेता है. वह अपने विचार को एविएशन टाइकून परेश गोस्वामी (परेश रावल) के सामने रखता है, जो न केवल उसका मजाक उड़ाता है, बल्कि उसका कट्टर दुश्मन बन जाता है. हर बार जब वीर का अपनी एयरलाइन शुरू करने का सपना साकार होने वाला होता है, तो उसे भ्रष्टाचार, सत्ता के खेल, लालफीताशाही, विश्वासघात का सामना करना पड़ता है. अब उसका ये सपना कैसे पूरा होता है, कौन लोग इसमें उसकी मदद करते हैं और उसके सपने के पूरे होने में क्या बाधाएं आती हैं, ये आपको फिल्म में दिखाया जाता है. 'सरफिरा' कई मौकों पर तीखी राजनीतिक और सामाजिक टिप्पणी करने की कोशिश करती है.