scorecardresearch

Satinder Sartaaj Birthday: जब पंजाब यूनिवर्सिटी में रोती हुई लड़की पर बना दिया था गाना, कहानी सतिंदर सरताज की...

उड़ारियां गाने से लोकप्रियता बटोरने वाले सूफी सिंगर सतिंदर सरताज का आज जन्मदिन है. सतिंदर ने अपने गानों के जरिए कई लोगों को प्यार करना सिखाया है. उन्हें बचपन से ही संगीत में रुचि थी.

सतिंदर सरताज सतिंदर सरताज
हाइलाइट्स
  • कॉलेज के वक्त खोई बाइक आज भी ढूंढ़ रहे हैं सतिंदर

  • जब रोती हुई लड़की को देख बना दिया गाना

आज कल पंजाबी गानों की फैन फॉलोइंग काफी ज्यादा बढ़ गई है. लेकिन आज जिस शख्स की बात हम कर रहे हैं, उसने उस वक्त से ही पंजाबी गानों से लोगों को प्यार करना सिखाया है. "हो लावां इश्क़े दे अंबरी उडारियाँ, सानू प्यार दियां चढ़ियाँ खुमारियाँ" इस गाने से सभी के दिलों में प्यार भरने वाले सतिंदर सरताज आज अपना 40 वां जन्मदिन मना रहे हैं. आज इस मौके पर हम आपको उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ अनसुने किस्से सुनाएंगे.

जब रोती हुई लड़की को देख बना दिया गाना
सतिंदर सरताज की जिंदगी में पंजाब यूनिवर्सिटी का काफी बड़ा रोल है. दरअसल सतिंदर ने पंजाब यूनिवर्सिटी से ही पढ़ाई की है. एक बार पंजाब यूनिवर्सिटी में एक कॉन्सर्ट के दौरान सतिंदर ने बताया था कि उनके गाने पीयू से काफी ज्यादा प्रेरित हैं. उन्होंने एक बार बताया था कि एक बार उन्होंने पीयू की मार्केट में एक लड़की को रोते हुए देखा तो उसे देखकर गाना बना दिया. तब उन्होंने गाना लिखा, कुड़ियों रोया ना करो. यह गीत सरताज ने अपनी एक एल्बम में गाया, जो काफी मशहूर हुआ.

कॉलेज के वक्त खोई बाइक आज भी ढूंढ़ रहे हैं सतिंदर
जब सतिंदर पीयू में पढ़ते थे, उस वक्त उनकी एक यामाहा बाइक चोरी हो गई थी, जिसकी तलाश आज भी सतिंदर को है. एक इंटरव्यू में जब उनसे इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "अभी तक नहीं मिली. एफआईआर भी दर्ज कराई थी. जो बाइक ढूंढ कर देगा, उसका इनाम पक्का." इस बात पर सतिंदर ने एक गाना भी बनाया था, जो काफी ज्यादा पॉपुलर हुआ था.

बचपन से थी सूफी संगीत में रुचि
सतिंदर सरताज का असली नाम सतिंदर पाल सिंह है. उनका जन्म पंजाब के होशियारपुर के बजरावर गांव में हुआ था. उन्होंने अपने गांव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय से ही पढ़ाई की है. कहते हैं पूत के पाँव पालने में ही नजर आ जाते हैं. सतिंदर के साथ भी कुछ ऐसा ही था. सतिंदर को बचपन से ही संगीत में काफी रुचि थी, यही वजह है कि तीसरी कक्षा से ही उन्होंने बाल सभाओं में प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था. 

पंजाब यूनिवर्सिटी में 6 साल सिखाया संगीत
बचपन से ही संगीत में रुचि रखने वाले सतिंदर ने बड़े होकर भी संगीत का ही रास्ता चुना. इसके बाद उन्होंने गवर्नमेंट कॉलेज होशियारपुर से संगीत में ऑनर्स के साथ स्नातक किया. साथ ही उन्होंने जालंधर के संगीत विशारद से शास्त्रीय संगीत में अपना 5 वर्षीय डिप्लोमा भी पूरा किया. स्नातक और डिप्लोमा पूरा करने के बाद सतिंदर ने संगीत में परास्नातक के लिए पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ का रुख किया. अपने परास्नातक और एम.फिल के बाद उन्होंने विशेषज्ञता और सूफी कविता के साथ पीएचडी पूरी की. सूफी कविता के गहरे विचारों को और समझने के लिए उन्होंने एक सर्टिफिकेट कोर्स और फारसी भाषा में डिप्लोमा पूरा किया. सतिंदर ने डॉक्टरेट की डिग्री ली और पंजाब यूनिवर्सिटी के संगीत विभाग में 6 साल तक पढ़ाया.