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Satyajit Ray: वो निर्देशक जिसने फिल्म बनाने के लिए गिरवी रख दिए बीवी के गहने, 36 फिल्में बनाकर जीते 32 राष्ट्रीय पुरस्कार

आज महान निर्देशक और लेखक सत्यजीत रे का जन्मदिन है. उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण, भारत रत्न और ऑस्कर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. उन्हें एक दो नहीं बल्कि 32 अलग-अलग सरकारी पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था.

सत्यजीत रे/India Today सत्यजीत रे/India Today
हाइलाइट्स
  •  2 मई 1921 को जन्मे सत्यजीत रे की गिनती दुनिया के महान निर्देशकों में होती है.

  • उन्हें 32 अलग-अलग सरकारी पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था.

  • 1992 में उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट ऑस्कर और भारत रत्न दोनों मिले थे.

भारतीय सिनेमा जगत के दिग्गज निर्देशक और लेखक सत्यजीत रे की आज बर्थ एनिवर्सरी है. 2 मई 1921 को जन्मे सत्यजीत रे की गिनती दुनिया के महान निर्देशकों में होती है. उन्होंने अपने जीवन में कुल 37 फिल्में बनाई थीं जिनमें से 32 को राष्ट्रीय पुरस्कार मिले. यह उनकी योग्यता ही थी कि उनकी फिल्मों को विदेश में भी कई सम्मान मिले.

 

जूनियर विजुलायजर के रूप में शुरू किया करियर

सत्यजीत रे का बचपन किसी आम बच्चे की तरह नहीं था. जब वह छोटे थे तभी उनके पिता गुजर गए. उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज से अर्थशास्त्र में बीए किया और आगे की पढ़ाई के लिए शांति निकेतन गए. सत्यजीत रे ने अपने करियर की शुरुआत साल 1943 में बतौर जूनियर विजुलायजर की. इस काम के बदले उन्हें 18 रुपये मिलते थे. 1950 में जब वह लंदन गए और वहां उन्हें कई फिल्में देखने का अवसर मिला. फिल्मों से वे इस कदर प्रभावित हुए कि वापस लौटकर निर्देशन के क्षेत्र में काम करने लगे.

 

पहली फिल्म बनाने के लिए गिरवी रखे पत्नी के गहने

सत्यजीत रे की पहली फिल्म ही सुपरहिट हुई. इसे कांस फिल्म फेस्टिवल में भी खूब सराहा गया. लेकिन क्या आप जानते हैं पहली फिल्म पाथेर पांचाली बनाने के लिए उनके पास पैसे तक नहीं थे. उस समय कोई नए फिल्मकार पर पैसा लगाने के लिए तैयार नहीं था. ऐसे में उन्हें अपनी पत्नी के गहने बेचने पड़े. सत्यजीत रे को भारतीय सिनेमा का सबसे बेहतर डायरेक्टर कहा जाता है. सत्यजीत रे ने हिंदी सिनेमा में नई जान फूंक दी. उन्होंने ज्यादातर फिल्में बंगाली में ही बनाई लेकिन उनकी चर्चा विदेशों में भी होी थी.

हर क्षेत्र में माहिर थे सत्यजीत रे

सत्यजीत रे हर काम में माहिर थे. फिर चाहे वह स्क्रीनप्ले हो या कास्टिंग, म्यूजिक, आर्ट डायरेक्शन या फिर एडिटिंग. उनकी कुछ लोकप्रिय फिल्में हैं अपू ट्रॉयोलॉजी, महानगर, चारुलता,  आगंतुक, शतरंज के खिलाड़ी.1985 में उन्हें हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

ऑस्कर को भी आना पड़ा भारत

30 मार्च 1992 को भारतीय फिल्मकार सत्यजीत रे को ऑनररी लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार से नवाजा गया था. उस दौरान वह बीमार थए और यात्रा नहीं कर सकते थे. ऐसे में ऑस्कर के अधिकारी कोलकाता में सत्यजीत रे के घर आए और उन्हें सम्मानित किया. 

23 अप्रैल 1992 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था. सत्यजीत रे को आज दुनिया को अलविदा कहे 30 बरस हो गए हैं, लेकिन उनकी फिल्में, उनका निर्देशन आज भी याद किया जाता है.