scorecardresearch

Sharda Sinha: केलवा के पात पर... सुनअ छठी माई... गीत से मिली पहचान, सलमान खान के लिए गाया था 76 रुपए में गाना... बिहार कोकिला शारदा सिन्हा के बारे में जानिए 

Sharda Sinha Passes Away: शारदा सिन्हा को छठ गीत से पहचान मिली. वह छठ महापर्व पर हमेशा छठ गीत गाती थीं. उन्होंने केलवा के पात पर उगलन सूरजमल झुके झुके..., सुनअ छठी माई... जैसे कई प्रसिद्ध छठ गीत गाए हैं. अपनी मधुर आवाज से फैंस का दिल जीतने वाली शारदा सिन्हा अब हमारे बीच नहीं रहीं लेकिन मधुर आवाज हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहेगी.

Sharda Sinha (File Photo: PTI) Sharda Sinha (File Photo: PTI)
हाइलाइट्स
  • शारदा सिन्हा ने 72 साल की उम्र में दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस

  • पद्म श्री, पद्म भूषण और बिहार कोकिला से नवाजा गया था

Sharda Sinha Death: लोकगायिका शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) अब हमारे बीच नहीं रहीं. दिल्ली एम्स (Delhi AIIMS) में मंगलवार को उन्होंने 72 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. वह बीते 11 दिनों से एम्स में भर्ती थीं. शारदा सिन्हा की तस्वीर शेयर करते हुए उनके निधन की खबर की पुष्टि बेटे अंशुमन सिन्हा ने की. लोक गायिका और बिहार कोकिला शारदा सिन्हा ने संगीत के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत मैथिली लोक गीत गाकर की थी. वह मैथिली, भोजपुरी, मगही और हिंदी गाने भी गाती थीं. 

छठ गीत से मिली पहचान 
शारदा सिन्हा को छठ गीत से पहचान मिली. वह छठ महापर्व पर हमेशा छठ गीत गाती थीं.  इस साल शारदा सिन्हा का अंतिम छठ गीत इस छठ महापर्व शुरू होने से एक दिन पहले ही रिलीज किया गया था. हालांकि इस गाने की रिकॉर्डिंग पहले ही हो गई थी. शारदा सिन्हा के नए छठ गीत का नाम 'दुखवा मिटाईं छठी मइया' है. यह उनका आखिरी छठ गीत है. 

शारदा सिन्हा ने केलवा के पात पर उगलन सूरजमल झुके झुके..., सुनअ छठी माई... जैसे कई प्रसिद्ध छठ गीत गाए हैं.  शारदा सिन्हा ने अपने पूरे करियर में कुल 9 एल्बम में 62 छठ गीत गाए थे. उनके गीतों के बिना लोगों को छठ का त्योहार अधूरा लगता है. शारदा का निधन छठ से ठीक पहले हुआ है. उनका निधन भोजपुरी लोक संगीत के लिए एक अपूरणीय क्षति है. उन्होंने बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान और भाग्यश्री की फिल्म मैंने प्यार किया में गाना गया था. उन्होंने इस फिल्म के गाने कहे तोसे सजना तोहरी सजनिया के लिए महज 76 रुपए फीस मिली थी. शारदा सिन्हा ने गैंग्स ऑफ वासेपुर फिल्म के गाने तार बिजली से पतले... से लेकर हम आपके हैं कौन का गाना बाबुल जो तुमने सिखाया... को भी अपनी आवाज दे चुकी हैं. उनके गीतों को लोग बार-बार सुनते हैं.  पनिया के जहाज से पलटनिया बनि अइह पिया, पिरितिया काहे ना लगवले, पटना से बैदा बोलाइ द, बताव चांद केकरा से कहां मिले जाला जैसे गानों को आज भी बेहद पसंद किया जाता है.

सम्बंधित ख़बरें

शारदा सिन्हा के प्रमुख छठ गीत
शारदा सिन्हा के गीत क्या बिहार, क्या पूर्वांचल, दिल्ली से लेकर अमेरिकी घाटों पर गूंजती हैं. शारदा सिन्हा के प्रमुख छठ गीतों में कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए..., केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके झुके..., उगा हो सूरज देव..., उगी हें सूरज गोसाइयां हो..., पहिले पहिल हम कईनी... छठी मईया व्रत तोहार..., रुनकी झुनकी बेटी मांगीला, पढ़ल पण्डितवा दामाद आदि हैं.

मिल चुका है ये सम्मान
शारदा सिन्हा को संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए कई सम्मान मिल चुका है. उन्हें साल 1991 में पद्मश्री पुरस्कार मिला. साल 2018 में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मभूषण से सम्मानित किया गया. शारदा सिन्हा को बिहार कोकिला और भोजपुरी कोकिला जैसे खिताबों से नवाजा गया था. उन्हें भिखारी ठाकुर सम्मान, बिहार गौरव, बिहार रत्न, मिथिला विभूति सहित कई अन्य पुरस्कार मिले. 

बचपन से ही संगीत का था शौक
जानी-मानी लोक गायिका शारदा सिन्हा का जन्म बिहार के सुपौल जिले के हुलास गांव में 1 अक्टूबर 1952 को हुआ था. शारदा को बचपन से ही संगीत का शौक था. शारदा के पिता का नाम सुखदेव ठाकुर था. वह बिहार सरकार के शिक्षा विभाग में अधिकारी थे. उन्होंने अपनी बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए घर पर संगीत के शिक्षक को रखा था. शारदा सिन्हा की शादी बेगूसराय के दियारा क्षेत्र सिहमा निवासी ब्रजकिशोर सिन्हा से हुई थी. जहां उन्हें संगीत की तालीम लेने के लिए ससुरालवालों के विरोध का सामना करना पड़ा क्योंकि ससुरालवालों को उनके गायिका बनने से आपत्ति थी.

हालांकि शारदा सिन्हा के पिता और पति ने उनका साथ दिया. शारदा सिन्हा ने लखनऊ के बर्लिंगटन होटल में बने एचएमवी के अस्थाई स्टूडियो में पहला ऑडिशन दिया था. जहां 'द्वार के छेकाई ए भइया' गाकर वो छा गई थीं. उसके बाद जब छठ के गीतों की प्रचलन नहीं थी तब शारदा सिन्हा ने साल 1978 में पहली बार 'उगो हो सूरज देव भइल अरघ केर बेर' रिकॉर्ड किया था. इस गीत को लोगों ने काफी पसंद किया. इसके बाद रिकॉर्डिंग कंपनी उनसे लगातार गीत रिकॉर्ड करने का अनुरोध करने लगे. शारदा सिन्हा के गले में सरस्वती का वास था.