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Bappi Lahiri Death: नहीं रहे भारत के 'डिस्को किंग' बप्पी दा, मात्र 19 साल की उम्र में बन गए थे म्यूजिक डायरेक्टर

बप्पी दा को एक बंगाली फिल्म, दादू (1972) में अपना पहला अवसर मिला और पहली हिंदी फिल्म जिसके लिए उन्होंने संगीत तैयार किया, वह थी नन्हा शिकारी (1973). लेकिन जिस फिल्म ने उन्हें बॉलीवुड में पहचान दी, वह थी ताहिर हुसैन की हिंदी फिल्म, ज़ख्मी (1975). 

भारत के डिस्को किंग भारत के डिस्को किंग
हाइलाइट्स
  • तीन साल की उम्र में सीखा तबला बजाना

  • मात्र 19 साल की उम्र में बने म्यूजिक डायरेक्टर

हमेशा सोने की चेन, अंगूठी और चश्मा पहनने वाले बप्पी लाहिड़ी (Bappi Lahiri) को कौन नहीं जानता है. लोग उनके गानों को उनकी डिस्को बीट से ही पहचान लेते हैं. ‘गोरी हैं कलाइयां,’ ‘तम्मा तम्मा,’ ‘जिम्मी जिम्मी’ जैसे गाने आज भी लोगों के जहन में है. 

लेकिन इन गानों में अपनी आवाज़ से जान डालने वाले बप्पी दा अब हमारे बीच नहीं रहे. 16 फरवरी 2022 की सुबह उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली. बताया जा रहा है कि बप्पी दा पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे और 15 फरवरी की रात को उनकी तबियत अचानक बिगड़ गई. 

उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और डॉक्टरों की लाख कोशिशों के बावजूद बप्पी दा हम सबको छोड़कर चले गए. लेकिन उनके पीछे उनके संगीत और व्यक्तित्व की अनमोल विरासत रह गई है. जो हम सभी भारतीयों के लिए एक प्रेरणा है. 

आज गुड न्यूज़ टुडे के साथ जानिए कैसे बप्पी दा देश के ‘डिस्को किंग’ बने और कैसे उन्होंने दुनियाभर में अपनी पहचान बनाई.

तीन साल की उम्र में सीखा तबला बजाना

बप्पी दा का जन्म का नाम अलोकेश लाहिड़ी था. वह गायकों के घराने में ही जन्में. उनके पिता अपरेश और मां बांसुरी, दोनों ही गायक थे. बप्पी उनके इकलौते बेटे थे और बहुत ही टैलेंटेड. बचपन से ही बप्पी को संगीत का शौक था और मात्र 3 साल की उम्र में उन्हों तबला जाना सीख लिया था. 

तीन साल की उम्र में भी वह प्रोफेशनल लोगों की तरह तबला बजाते थे. बचपन से ही बप्पी की म्यूजिक के प्रति गहरी रूचि और इस पर उनकी पकड़ दिखने लगी थी. 

मात्र 19 साल की उम्र में बने म्यूजिक डायरेक्टर: 

बप्पी दा को एक बंगाली फिल्म, दादू (1972) में अपना पहला अवसर मिला और पहली हिंदी फिल्म जिसके लिए उन्होंने संगीत तैयार किया, वह थी नन्हा शिकारी (1973). लेकिन जिस फिल्म ने उन्हें बॉलीवुड में पहचान दी, वह थी ताहिर हुसैन की हिंदी फिल्म, ज़ख्मी (1975). 

जख्मी फिल्म के लिए उन्होंने संगीत तैयार किया और बतौर प्लेबैक सिंगर भी काम किया. इस फिल्म ने उन्हें खूब प्रसिद्धि दिलाई और यह हिंदी फिल्मों में भी एक नए दौर का आगाज था. मात्र 19 साल की उम्र में वह म्यूजिक डायरेक्टर बन गए थे. 

बने देश के ‘डिस्को किंग:’

भारत में डिस्को बीट्स की शुरुआत बप्पी दा ने की थी. उन्होंने अपने गानों से पूरे देश को दशकों तक नचाया है. बप्पी दा आज भी भारत में "डिस्को किंग" के रूप में जाना जाता है. 1980 के दशक में डिस्को डांसर जैसी फिल्मों के लिए उन्होंने गाने तैयार किए और सबसे मशहूर म्यूजिक डायरेक्टर बन गए. 

बप्पी दा ने अपने गानों में पॉप को मिक्स किया. पहले-पहले इसका विरोध हुआ था लेकिन फिर लोगों के दिल में उनके गानों की अलग जगह बन गई. उनके गानों का खुमार न सिर्फ बॉलीवुड में बल्कि दूसरे देशों में भी पहुंचा. और इस तरह से वह न सिर्फ नेशनल बल्कि इंटरनेशनल स्टार बन गए. 

बतौर एक्टर भी किया काम: 

मशहूर गायक और अभिनेता किशोर कुमार बप्पी दा के मामा थे. बताया जाता है कि उन्होंने ही बप्पी दा को बॉलीवुड में अपना मुकाम बनाने के लिए गाइड किया था. अक्सर बप्पी दा किशोर कुमार के बारे में बात करते थे. उन्होंने किशोर कुमार के लिए भी म्यूजिक कंपोज़ किया है. 

और उन्हीं के साथ बड़े परदे पर बतौर एक्टर उन्होंने डेब्यू किया था. जी हां, उन्होंने अपने मामा किशोर कुमार की फिल्म ‘बढ़ती का नाम… दाढ़ी’ में ‘भोपू’ नामक किरदार निभाया था. बप्पी दा का डिस्को स्टाइल सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मशहूर था. 

बताया जाता है कि बप्पी ऐसे एकलौते संगीतकार हैं, जिन्हें माइकल जैक्सन ने अपने शो में बुलाया था. यह लाइव शो साल 1996 में मुंबई में आयोजित हुआ था. 

गोल्ड को मानते थे लकी: 

उनके गानों के अलावा उनकी पहचान उनके पहनावे और रहन-सहन से आसानी से की जा सकती है. वह हमेशा सोने से लदे रहते थे. इसका कारण था कि वह हमेशा से सोने को अपने लिए लकी मानते थे. और कई बार टीवी पर म्यूजिक रियलिटी शोज होस्ट करते हुए उन्होंने होनहार कलाकरों को अपनी सोने की चीजें भेंट भी की. 

उन्हें मोहम्मद रफ़ी और किशोर कुमार के साथ डुएट गाने के लिए जाना जाता है. उन्होंने लता मंगेशकर और आशा भोंसले जैसे प्रसिद्ध गायकों के साथ भी काम किया है. विजय बेनेडिक्ट और शेरोन प्रभाकर को बप्पी ने ही बॉलीवुड म्यूजिक इंडस्ट्री में लॉन्च किया था. उन्होंने अलीशा चिनाई और उषा उत्थुप के लिए गाने तैयार कर उन्हें भी मशहूर किया.

एनिमेटेड फिल्म के लिए की डबिंग: 

गानों और म्यूजिक कम्पोजीशन के साथ-साथ बप्पी दा हमेशा कुछ न कुछ नया ट्राई करते थे. जैसे उन्होंने 2016 में डिज्नी की 3डी कंप्यूटर-एनिमेटेड फंतासी फिल्म ‘मोआना’ के हिंदी-डब वर्जन में ‘तमातोआ’ के किरदार को आवाज दी. 

उन्होंने "शाइनी" का हिंदी वर्जन "शोना" (गोल्ड) भी बनाया और गाया. उन्होंने पहली बार एनिमेटेड मूवी के लिए डबिंग की और उनका अनुभव बहुत ही अच्छा रहा. बप्पी दा ने 63वें फिल्मफेयर अवार्ड्स में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड जीता था. 

पूरब और पश्चिम का मेल कराने वाले बप्पी दा की कमी को कोई पूरा नहीं कर सकता है. आज ऐसा लग रहा है कि भारतीय संगीत के ‘गोल्डन’ दौर का अंत हो गया है.