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Smita Patil Birth Anniversary: महज 10 साल का फिल्मी करियर और उम्रभर की यादें, श्याम बेनेगल ने दिया था पहला ब्रेक

अभिनय के अलावा, स्मिता पाटिल एक सक्रिय नारीवादी और मुंबई में महिला केंद्र की सदस्य थीं. वह महिलाओं के मुद्दों के लिए प्रतिबद्ध थीं और फिल्मों के जरिए महिलाओं की परेशानियों को उन्होंने समाज के सामने रखा.

Smita Patil, regarded among the finest film actresses of her times (Photo: Twitter) Smita Patil, regarded among the finest film actresses of her times (Photo: Twitter)
हाइलाइट्स
  • 17 अक्टूबर 1955 को जन्मीं थीं स्मिता

  • मात्र 10 साल का रहा फिल्मी सफर

शायद ही कोई सिनेमा प्रेमी होगा जिसे नहीं पता हो कि स्मिता पाटिल कौन हैं? भारतीय सिनेमा की बेहतरीन अभिनेत्रियों में स्मिता का नाम टॉप लिस्ट में आता है. और इसकी वजह है उनका शानदार अभिनय. शायद ही कोई सोच सके कि पॉलिटिकल फैमिली की बेटी बड़े परदे पर काम करे, लेकिन स्मिता ने किया.

महाराष्ट्र के राजनेता शिवाजीराव गिरधर पाटिल के घर 17 अक्टूबर 1955 को जन्मीं स्मिता हमेशा से ही आर्ट्स से जुड़ी रहीं. उन्हें थिएटर करने में मजा आता था. उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से लिटरेचर पढ़ा और फिर पुणे के लोकल थिएटर में शामिल हो गईं. करियर की शुरुआत में उन्होंने दूरदर्शन में बतौर न्यूज रीडर काम किया. 

जींस के ऊपर पहनती थीं साड़ी 
स्मिता हमेशा से ही थोड़ी बागी स्वभाव की रहीं. जिस जमाने में शायद नारीवाद शब्द किसी ने नहीं सुना हो, तब वह महिलाओं के हक की बात करती थीं. उन्होंने फिल्मों में किरदार भी ऐसे निभाए जो महिलाओं की मन:स्थिति को लोगों तक पहुंचा सकें. 

दूरदर्शन में न्यूज रीडर को साड़ी पहननी होती थी लेकिन स्मिता जींस में कम्फर्टेबल थीं. उन्हें जींस पहनना पसंद था. ऐसे में, वह जींस के ऊपर साड़ी पहनकर एकदम गंभीर भाव से न्यूज पढ़ती थीं. 

श्याम बेनेगल ने दिया पहला ब्रेक 
स्मिता ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत श्याम बेनेगल की फिल्म चरणदास चोर से की. श्याम बेनेगल ने दूरदर्शन में ही स्मिता को देखा था. उन्हें लगा कि यह लड़की कुछ कर सकती है और वह सही साबित हुए. साल 1975 में आई फिल्म चरणदास चोर में स्मिता ने छोटी सी भूमिका निभाई और उसा सो खुद को बतौर एक्ट्रेस स्थापित कर दिया. 

इसके बाद, उन्होंने श्याम बेनेगल के साथ निशांत, भूमिका और मंथन जैसी फिल्में कीं. अपने अभिनय को लेकर स्मिता इतनी समर्पित थीं कि वह किरदार में रम जाती थीं. एक फिल्म में वह गांव की औरत का किरदार क रही थीं तो शॉट के बाद खुद भी गांव की औरतों के साथ जाकर बैठ गईं. 

वहीं, फिल्म की शुटिंग देखने आए कुछ कॉलेज के बच्चों ने पूछा कि फिल्म की हिरोइन कहां है तो औरतों के साथ बैठी स्मिता की तरफ इशारा किया गया. इस पर बच्चों ने कहा कि ये तो गांव की औरत है. क्योंकि स्मिता ने खुद को उस किरदार में बिल्कुल ढाल लिया था. 

समानांतर सिनेमा के साथ कमर्शियल सिनेमा में भी रहीं सफल
अक्सर समानांतर सिनेमा करने वाले लोग कमर्शियल सिनेमा से दूरी बनाए रखते हैं. लेकिन स्मिता ने ऐसा नहीं किया. उन्होंने दोनों के बीच बैलेंस बनाया और कमर्शियल फिल्मों में भी वह सफल रहीं. उन्होंने नमक हलाल, शक्ति जैसी फिल्मों में काम किया. 

स्मिता पाटिल ने अभिनेता राज बब्बर से शादी की. यह राज बब्बर की दूसरी शादी थी और शादी से पहले राज और स्मिता काफी समय तक लिव इन में रहे. जिस जमाने में दूसरी शादी बड़ी बात थी उस जमाने में लिव इन में रहना अपने आप में समाज के प्रति बगावत थी. पर स्मिता ने अपने दिल की सुनी. 

मात्र 10 साल का था फिल्मी करियर 
स्मिता ने राज बब्बर से शादी की और शादी के बाद, उनके बेटे प्रतीक के जन्म के 15 दिन बाद उनकी मृत्यू हो गई. बहुत से लोग इसे प्रसव पीड़ा के कारण मानते हैं तो कुछ का कहना है कि उन्हें समय पर इलाज नहीं मिला. साल 1986 में मात्र 31 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया से अलविदा कहा. 

उस समय उन्हें सिनेमा में मात्र 10 साल हुए थे. उनके देहांत के बाद उनकी कई फिल्में रीलीज हुईं. आज भी उनका अभिनय और उनकी फिल्में लोगों को अपना दीवाना बना लेती हैं.