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The Hunt for Veerappan: जब वीरप्पन ने सुपरस्टार राजकुमार को कर लिया था किडनैप, हिल गई थीं सरकारें

अपने समय के कुख्‍यात डाकू और चंदन तस्‍कर वीरप्‍पन के जीवन पर आधारित वेब सीरीज द हंट फॉर वीरप्पन नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई है. ये सीरीज वीरप्पन के जीवन के अलावा उन 108 दिनों का खुलासा करती है जब इस कुख्यात डाकू ने साउथ के सुपरस्टार एक्टर राजकुमार को किडनैप कर लिया था.

Veerappan Veerappan

अपने समय के कुख्‍यात डाकू और चंदन तस्‍कर वीरप्‍पन के जीवन पर आधारित वेब सीरीज द हंट फॉर वीरप्पन नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई है. ये सीरीज वीरप्पन के जीवन के अलावा उन 108 दिनों का खुलासा करती है जब इस कुख्यात डाकू ने साउथ के सुपरस्टार एक्टर राजकुमार को किडनैप कर लिया था. एक समय ऐसा था कि वीरप्पन के नाम से पुलिस से लेकर आम आदमी तक खौफ खाते थे.

सरकार ने रखा था 5 करोड़ का इनाम

वीरप्पन का पूरा नाम कूज मुनिस्वामी वीरप्पन था. उसका जन्म 18 जनवरी 1952 को कर्नाटक के गांव गोपिनाथम में हुआ था. उसने 184 लोगों की हत्या की, जिसमें 97 पुलिसवाले थे. उसे पकड़ने के लिए सरकार ने 5 करोड़ का इनाम रखा था. लोगों को आतंकित करने, लूटने के अलावा वीरप्पन कन्नड़ सुपरस्टार डॉ. राजकुमार का अपहरण करने के लिए भी मशहूर हुआ. 

कन्नड़ सिनेमा के पहले सुपरस्टार डॉ. राजकुमार कर्नाटक के लोगों के लिए किसी भगवान से कम नहीं थे. सिर्फ कन्नड़ सिनेमा ही नहीं, उन्हें भारतीय सिनेमा के सबसे प्रभावशाली अभिनेताओं में से एक माना जाता था और उन्हें 1995 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. इसलिए जब 30 जुलाई, 2000 को उनके फार्महाउस से उनका अपहरण किया गया तो तमिलनाडु और कर्नाटक की सरकारें परेशान हो गईं. राजकुमार का अपहरण करने के बाद वीरप्पन को दुनिया भर में बदनामी मिली.

कैसे हुई थी किडनैपिंग

वीरप्पन रात करीब 9:30 बजे तमिलनाडु के गजनूर में राजकुमार के फार्महाउस पर गया और राजकुमार को बाहर लेकर निकल गया. उस वक्त राजकुमार के फार्म हाउस पर कोई सुरक्षा नहीं थी. वीरप्पन ने राजकुमार के अलावा फार्महाउस में मौजूद दो और लोगों का भी अपहरण कर लिया, इनमें राजकुमार के दामाद एसए गोविंदराज, एक रिश्तेदार नागेश और नागप्पा नाम के एक सहयोगी शामिल थे. डॉक्यूमेंट्री श्रृंखला में नागेश ने बताया है कि कैसे घर से बाहर निकलते ही वीरप्पन ने राजकुमार को बंदूक की नोक पर पकड़ लिया था.

अपहरण के तुरंत बाद कर्नाटक और तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री, एसएम कृष्णा और एम करुणानिधि राजकुमार को वापस लाने की कोशिशों में जुट गए. इस बीच, कर्नाटक में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया और पूरे राज्य में अव्यवस्था फैल गई. वीरप्पन ने मांग की कि बातचीत करने के लिए किसी को भेजा जाए. अभिनेता की रिहाई के बदले वीरप्पन की मांगों पर तमिल पत्रिका नाक्केरन के संपादक पत्रकार आरआर गोपाल ने बातचीत की. वीरप्पन ने फिर कई वीडियो के जरिए से सरकार तक अपनी 10 शर्तें पहुंचाईं. 

चंदन तस्कर की तलाश में खर्च हुए करोड़ों रुपये

वीरप्पन और सरकारी मध्यस्थ के बीच कई दौर की बातचीत हुई. इस दौरान उसने कर्नाटक और तमिलनाडु दोनों राज्य सरकारों को घुटनों पर ला दिया. गोपाल शहर आकर, वीरप्पन की मांगों को सरकार के सामने रखते थे और अधिकारियों से बातचीत करते थे. जब सरकार वीरप्पन की मांग मानने को राजी हो गई तो ऐसा लगा कि बंधकों को जाने की इजाजत मिल जाएगी, लेकिन आखिरी वक्त में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से बातचीत का परिणाम नहीं निकला. नागेश के अनुसार, वीरप्पन 4 लोगों में से एक को मारने की प्लानिंग कर रहा था ताकि सरकार उसे गंभीरता से ले. इसी हंगामे के बीच बंधकों में से एक नागप्पा ने वीरप्पन पर हमला कर दिया और भाग गया. नागप्पा पहले ही उसकी कैद से भाग गए थे. इस कैद के दौरान वीरप्पन ने कभी राजकुमार के साथ बुरा बर्ताव नहीं किया. डॉक्यूमेंट्री में दावा किया गया है कि दस मांगों के अलावा वीरप्पन की 11वीं मांग 1000 करोड़ रुपये की थी, जिसमें से आखिरकार उसे 10 करोड़ रुपये दिए गए थे. 

आखिर में वीरप्पन ने अपहरण के 108 दिन बाद राजकुमार और उनके दामाद को 15 नवंबर, साल 2000 को रिहा कर दिया. उनकी रिहाई अभी भी एक रहस्य है क्योंकि मामले से जुड़े किसी भी व्यक्ति ने उनकी रिहाई की शर्तों या डाकू को क्या दिया गया था, ये नहीं बताया है. 6 साल बाद 2006 में दिल कै दौरा पड़ने से डॉ. राजकुमार की मौत हो गई थी.