बिंदास इमेज, ग्लैमर और जिंदगी को अपनी शर्तों पर जीने की अदा परवीन बाबी को दूसरों से अलग करती है. स्वभाव से बेहद भावुक, प्यार में सबकुछ लुटा देना और बीमारी से जूझते परवीन की जिंदगी दूसरों को प्यार करते हुए बीती थी. परवीन बाबी ने 1970 और 80 के दशक में हिंदी सिनेमा पर राज किया. वो अपने जमाने की बड़ी स्टार थीं. दिखने में बेहद कॉन्फिडेंट और ग्लैमरस. परवीन को कभी जमाने की फिक्र नहीं रही. उन्होंने खूब पैसा और नाम कमाया. रिश्ते बनाए और सबकुछ छोड़कर दुनिया से चली भी गईं.
4 अप्रैल 1954 को जन्मी परवीन बाबी एक एक्ट्रेस और डांसर रूप में 18 सालों तक भारतीय सिनेमा जगत पर छाई रहीं. परवीन गुजरात के जूनागढ़ की रहने वाली थीं. उनके पिता जूनागढ़ के नवाब के यहां काम करते थे. परवीन ने अहमदाबाद के सेंट जेवियर्स कॉलेज से इंग्लिश लिटरेचर में बीए किया था. परवीन शुरू से ही मॉडलिंग में करियर बनाना चाहती थीं. इसकी तलाश में वो मुंबई आईं.
बोल्ड बिंदास और बेबाक एक्ट्रेस की कहानी
साल था 1973. जब परवीन बाबी ने फिल्म 'चरित्र' से बॉलीवुड इंडस्ट्री में कदम रखा था. इससे पहले को मॉडलिंग करती थीं. उन्होंने फिल्मों में संस्कारी लड़की की परिभाषा को तोड़ते हुए ऐसे किरदार निभाए जो स्टीरियोटाइप्स को तोड़ते थे. सिगरेट के कश लगाना...लड़कों के साथ शराब पीना और छोटे कपड़ों में पार्टीज का हिस्सा बनना. परवीन खुद भी इसी तरह के कल्चर को फॉलो करती थीं. उन्हें फिल्मों में किरदार बेशक छोटे मिलते लेकिन ये रोल भी उन्हें चर्चा में बनाए रखने के लिए काफी थे. कई उतार-चढ़ाव के बावजूद उनका करियर 18 साल तक चला. वह टाइम पत्रिका के कवर पर छपने वाली पहली एक्ट्रेस थीं. उस वक्त उनकी उम्र महज 27 साल थी. परवीन बाबी ने दीवार, शान, कालिया और अमर अकबर एंथनी जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों में यादगार किरदार निभाए.
फिल्में छोड़कर अमेरिका चलीं गईं
परवीन के पास हिट फिल्मों की कोई कमी नहीं थी. उन्होंने अपने वक्त के हर बड़े एक्टर के साथ काम किया. प्रोड्यूसर्स उन्हें अपनी फिल्म में कास्ट करने के लिए लाइन लगाते थे. लोग उनकी एक झलक पाने को बेताब थे. परवीन बड़ी स्टार थीं. उनके डांस नंबर्स फेमस थे. फिल्मों की लाइन लगी थी. लेकिन इन सब के बीच एक वक़्त ऐसा आया कि वह सब छोड़छाड़ कर अमेरिका के ह्यूस्टन में रहने चली गईं उनकी आखिरी फिल्म 'इरादा’ थी, जो साल 1991 में रिलीज हुई. हालांकि बाद में वह फिर मुंबई लौट आईं.
महेश भट्ट संग लिव इन में रहीं
परवीन बाबी के करियर ये ज्यादा चर्चा होती है उनकी लव लाइफ की. महेश और परवीन का रिश्ता तकरीबन दो साल चला था. दोनों लिव इन में रहा करते थे. महेश भट्ट अपनी पहली पत्नी किरण भट्ट और बेटी पूजा भट्ट को छोड़कर परवीन के पास रहने गए थे. लेकिन जब उन्हें पता चला कि परवीन मानसिक बीमारी से ग्रस्त हैं तो उन्होंने उनका इलाज कराया. लाख कोशिशों के बाद भी जब परवीन ठीक नहीं हुईं तो परेशान होकर महेश ने परवीन को अकेला छोड़ दिया और पहली पत्नी किरण के पास वापस लौट आए. महेश भट्ट से पहले परवीन का रिश्ता कबीर बेदी और डैनी डेन्जोंगपा के साथ भी रहा. उन दिनों परवीन के कथित संबंधों ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं. इतने अफेयर्स के बाद भी परवीन ने कभी शादी नहीं की. वो ताउम्र अकेली रहीं और उनकी मौत भी अकेलेपन से जूझते हुए ही हुई.
मुंबई लौटने के बाद परवीन ने एक संस्मरण लिखा था...
द इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया के मुताबिक, "मैं नंबर एक की रेस में हूं. मेरा करियर इससे बेहतर कभी नहीं रहा. मुंबई में कोई ऐसी फिल्म नहीं बन रही है, मैं नहीं हूं. लोग मेरी इस वापसी से हैरान हैं. कई लोग इसे लक कह रहे हैं लेकिन मैं आपको बताना चाहती हूं कि इसमें लक की कोई बात नहीं है, ये टूटे दिल और कठिन मेहनत से आई है. यहां बने रहने का अपना संघर्ष है. मैं इसमें इतनी धंस चुकी हूं कि मुझे अब इसे झेलना ही होगा."
अमिताभ बच्चन से डरती थीं परवीन
कभी अकेलेपन में डूब जाना तो कभी इस दहशत के साये में जीना कि साथी कलाकार उनका खून कर देगा.. यह सब परवीन की शख्सियत को और रहस्यमय ही बनाता है. परवीन को 'सिजोफ्रेनिया' नामक एक बीमारी थी. उनके दिल में ये डर बैठ गया था कि कोई उन्हें मारना चाहता है. परवीन बाबी के बारे में कहा जाता है कि उन्हें अमिताभ बच्चन से बहुत डर लगता था. खुद परवीन ने भी कई बार इसका जिक्र भी किया था. परवीन को ऐसा लगता था कि अमिताभ बच्चन उन्हें जान से मार देना चाहते हैं. लेकिन तबस्सुम को दिए एक इंटरव्यू में खुद परवीन ने ही बिग बी की जमकर तारीफ की थी. उन्होंने कहा था कि वे अमिताभ को अपना आइडियल मानती हैं. परवीन ने कहा था- आज की पीढ़ी के वो बहुत ही उम्दा कलाकार हैं. मैं उनका बहुत सम्मान करती हूं.
मौत की भी नहीं लगी खबर
परवीन ने अपनी जिंदगी के आखिरी दिन अकेले ही काटे और जनवरी 22, 2005 को उनकी मौत हो गई. हैरानी की बात तो ये रही कि जिस अभिनेत्री के आगे पीछे एक जमाने में चाहने वालों की लाइन लगी रहती थी...उसके मरने के तीन-चार दिन बाद तक किसी को उसकी मौत की खबर नहीं लगी. उनका कोई अपना नहीं था. इसलिए उनकी डेडबॉडी को क्लेम करने भी कोई नहीं आया. बाद में महेश भट्ट आगे आए और उनका अंतिम संस्कार किया.