Vindhya film festival: सीधी में तीन दिनों तक चले विंध्य इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (vindhya international film festival) ने एक बार फिर ये साबित कर दिया कि बॉलीवुड से इतर भी देश के अलग-अलग हिस्सों में फिल्ममेकर्स शानदार काम कर रहे हैं और दुनियाभर में देश का नाम रौशन कर रहे हैं. रविवार को रंगारंग समारोह और पुरस्कारों की घोषणा के साथ विंध्य इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का समापन हुआ.
विंध्य इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का शानदार समापन
तमिल फिल्म डायरेक्टर अमुधवन की फिल्म 'V3: विंध्य विक्टिम वर्डिक्ट' ने नेशनल कैटगरी में बेस्ट फीचर फिल्म समेत अपनी झोली में तीन पुरस्कार झटके. इस फिल्म को बेस्ट डायरेक्शन और बेस्ट एक्टर-फीमेल (पवना गौरा) अवार्ड भी मिला. वहीं, इंटरनेशनल कैटगरी में ग्रैंडसन बेस्ट फीचर फिल्म अवार्ड अपने नाम करने में कामयाब रहीं. म्यूजिक वीडियो कैटगरी में 'तोहोरा' पहले नंबर पर रही, दूसरे नंबर पर टेक यू थ्री, जबकि पोन्नियन सेल्वन तीसरे नंबर पर रही.
भगत सिंह के जीवन के अंतिम पलों पर आधारित फिल्म 'द लास्ट मील' ने ऑडिएंश चॉइस अवार्ड अपने नाम किया. केतकी पांडेय ने फिल्म का निर्देशन किया है, जबकि फिल्म में इश्तियाक खान जैसे मंझे अभिनेता ने अपनी अदाकारी से लोगों का दिल जीत लिया.
आयोजन समिति ने जताया सबका आभार
अवार्ड सेरेमनी में मुख्य अतिथि जानेमाने रंगकर्मी गिरिजा शंकर, विशिष्ट अतिथि राज्यसभा सदस्य अजय प्रताप सिंह के हाथों फिल्मकारों को ट्रॉफी प्रदान की गई. इंद्रावती नाट्य समिति के निदेशक और फिल्म फेस्टिवल के संयोजक नीरज कुंदेर सीधी ने स्थानीय लोगों का हृदय से आभार जताते हुए कहा कि तमाम चुनौतियों के बावजूद सीधी के लोगों की वजह से इतना बड़ा कार्यक्रम लगातार सफल होता आ रहा है. उन्होंने देश-विदेश से आए फिल्मकारों का भी धन्यवाद किया.
फेस्टिवल डायरेक्टर प्रवीण सिंह चौहान ने कहा कि सीधी जैसे छोटे शहर में इस तरह के आयोजन की कल्पना करना भी बेहद मुश्किल था. 5 साल पहले जब हमने इस फेस्टिवल की शुरुआत की थी, तब तमाम दिक्कतें थीं, आज भी कई तरह की चुनौतियां आती हैं, लेकिन वे ही हमें मांझती भी हैं.
हिंदुस्तानी सिनेमा का झंडा बुलंद कर रहे युवा फिल्ममेकर्स
तीसरे और अंतिम दिन जाने माने रंगकर्मी गिरिजा शंकर की अध्यक्षता में एक अहम सत्र का आयोजन हुआ. इस सत्र में विशेष वक्ता जाने माने फिल्म पत्रकार और समीक्षक अजीत राय ने बताया कि कैसे गिरिजा शंकर से मिलने के बाद उनके जीवन की दिशा बदल गई. जैसे चंद्रगुप्त को चाणक्य और विवेकानंद को रामकृष्ण परमहंस मिले थे, वैसे ही उन्हें बड़े नसीब से गिरिजा शंकर मिले.
अजीत राय ने कहा कि मुंबइया सिनेमा एक टापू है और ये हिंदुस्तानी सिनेमा का बेहद छोटा सा हिस्सा है. मुंबई के बाहर जो सिनेमा बन रहे हैं, खासकर क्षेत्रीय भाषाओं में, असल कमाल वही कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि फीचर फिल्म में भले ही हिंदुस्तानी सिनेमा पीछे हो, लेकिन डॉक्यूमेंट्री में भारत का सिक्का विश्वफलक पर बोलता है.
उन्होंने दिल्ली के प्रदूषण पर राहुल जैन की फिल्म इनविजिबल डेमोंस का जिक्र करते हुए कहा कि इस फिल्म ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश का नाम रौशन किया. ये फिल्म कांस फिल्म फेस्टिवल में दिखाई गई और बर्लिन ने स्पेशल परमिट देकर बुलाया गया. अजीत राय ने कहा कि युवा फिल्ममेकर्स अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदुस्तानी सिनेमा का झंडा बुलंद कर रहे हैं.
जानिए किन फिल्मों को किस कैटगरी में मिला अवार्ड?
फीचर फिल्म: एक्टिंग एंड टेक्निकल
बेस्ट डायरेक्टर- अमुधवन पी (V3: विंध्य विक्टिम वर्डिक्ट)
बेस्ट डायरेक्टर (फीचर डॉक्यूमेंट्री)- हेजल गुरलैंड-पूलर (स्टॉर्मिंग सीजर्स पैलेस)
बेस्ट स्टोरी- दिलीप हरिनारायण दीक्षित (मीरा)
बेस्ट एक्टर (Female)- पवना गौरा (V3: विंध्य विक्टिम वर्डिक्ट)
बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट- कैथरीन धोलुआ (मुझे स्कूल नहीं जाना)
शॉर्ट फिल्म: एक्टिंग एंड टेक्निकल
बेस्ट डायरेक्टर- विनीश पेरुमपिली (चिथिका)
बेस्ट स्टोरी- विजय पांडुरंग (व्यर्थ)
बेस्ट एक्टर (Male)- भास्कर (कैनवास)
बेस्ट एक्टर (Female)- पूजा भामरा (इप्सा)
बेस्ट सिनेमैटोग्राफी- आश्रय राव (इप्सा)
बेस्ट एडिटिंग- अभिनव छावड़ा और चिन्मय पांडेय (अवेकनिंग ऑफ रॉक)