आज विजयदशमी का पर्व है, जिसे देशभर में बड़े धूम धाम से मनाया जा रहा है. बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए आज रावण दहन किया जाता है. बात जब रावण की हो तो रामानंद सागर की रामायण में लंकेश का किरदार निभाने वाले अरविंद त्रिवेदी को कौन भूल सकता है.
रावण का किरदार निभाकर बटोरी लोकप्रियता
अरविंद त्रिवेदी भले ही आज हमारे बीच न हों लेकिन रावण के किरदार में उन्होंने जो करिश्मा किया उसे लोग आज भी उतनी ही शिद्दत से याद करते हैं. रावण का किरदार निभाकर वो इतने मशहूर हुए कि भारत ही नहीं, बल्कि विदेश में भी लोग उन्हें पहचानने लगे. अरविंद त्रिवेदी का साल 2021 में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था. अपने जीवन के आखिरी वक्त में भी वे राम का नाम जप रहे थे. विजयादशमी के खास मौके पर चलिए बताते हैं अरविंद त्रिवेदी को रावण का रोल कैसे मिला और वो इतने लोकप्रिय कैसे हुए.
चाल ढाल की वजह से मिला था रावण का रोल
बीबीसी को दिए इंटरव्यू में अरविंद त्रिवेदी ने बताया था, गुजरात में थियेटर करने के दौरान उन्हें पता चला कि रामानंद सागर रामायण बना रहे हैं और उन्हें कास्टिंग की जरूरत है. अरविंद मुंबई आ गए और केवल के रोल के लिए रामानंद सागर के पास जा पहुंचे. उन्होंने केवट के किरदार के लिए ऑडिशन दिया और जब बाहर निकलने लगे तो रामानंद सागर जी ने कहा-मुझे मेरा रावण मिल गया.' दरअसल लंबी कद काठी और चाल ढाल की वजह से अरविंद त्रिवेदी को रावण का रोल मिला था. पहले रावण का किरदार अमरीश पुरी के लिए सेट किया गया था.
घंटों पहनना पड़ता था मुकुट
पहली बार जब अरविंद त्रिवेदी लोगों के सामने आए और उनकी आवाज लोगों ने सुनी तो लगा मानों असल का रावण पर्दे पर उतर आया हो. शूटिंग के लिए अरविंद को गई घंटों तक 10 किलो का मुकुट पहन के रखना पड़ता था. इतना ही नहीं जब शूटिंग होती थी उससे पहले अरविंद त्रिवेदी राम और शिव की पूजा और उपवास करते थे क्योंकि स्क्रिप्ट में उन्हें भगवान श्री राम को भला बुरा बोलना पड़ता था. आपको जानकर हैरानी होगी कि असल जिंदगी में भी अरविंद त्रिवेदी भगवान शिव और राम के बहुत बड़े भक्त हैं.