Madhya Pradesh के सीधी जिले में चल रहे विंध्य अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव सीजन-5 में विंध्य विक्टिम वर्डिक्ट (V3) फिल्म ने लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा. ये फिल्म अपने विषय, फिल्मांकन और क्लाइमेक्स को लेकर पिछले एक साल से चर्चा में हैं. और इन्हीं की बदौलत कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार अपने नाम कर चुकी है. इस फिल्म के डायरेक्टर अमुधवन पी जल्द ही कन्नड़ में इसकी रीमेक लेकर आ रहे हैं. इन दिनों वे सीधी में हैं. इस फेस्टिवल में फिल्म को 3 कैटगरी में अवार्ड मिले हैं.
-बेस्ट फीचर फिल्म
-बेस्ट डायरेक्शन (अमुधवन पी)
-बेस्ट एक्ट्रेस (पवना गौरा)
फिल्म की कहानी और इसके विषय को लेकर GNT डिटिजल ने उनसे बातचीत की...
फिल्म की कहानी क्या कहती है?
फिल्म की कहानी अपराध के रहस्य, जांच, राजनीतिक हस्तक्षेप, सिस्टम की लापरवाही और रेप कल्चर, अज्ञानता और यौन शोषण के कारणों पर प्रकाश डालती है. इसके अलावा फिल्म यौन उत्पीड़न रोकने का एक समाधान भी देती है. हमने फिल्म में दिखाया है कि कैसे हमारा सिस्टम लोवर कास्ट लोगों और अपर कास्ट लोगों के लिए अलग-अलग काम करता है और मासूमों का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
आपको इस विषय पर ही फिल्म बनाने का आइडिया कहां से आया?
फिल्म की कहानी हैदराबाद, उत्तरप्रदेश और कश्मीर में घटी सत्य घटना से प्रेरित है. हमनें तीनों राज्यों में घटी घटनाओं को एक स्टोरी में फ्रेम करके स्किप्ट तैयार की है. मुझे लगता है कि इस फिल्म के जरिए यौन उत्पीड़न के मुद्दे और इसके समाधान पर बहस शुरू होगी.
आपकी नजर में यौन उत्पीड़न बढ़ने के क्या कारण हैं?
भारत में हर 16 मिनट में एक रेप के केस दर्ज होते हैं. कई मामलों में तो लोग केस रिपोर्ट भी नहीं करते हैं क्योंकि विक्टिम अपना नाम रिवील करने से डरते हैं. कई बार तो इसलिए भी केस दर्ज नहीं कराए जाते क्योंकि उन्हें आरोपी के बारे में पता नहीं होता. मैंने अपनी फिल्म में भी इसका जिक्र किया है. मेरा मानना है कि एजुकेशन की कमी और महिलाओं की वैल्यू को लेकर जागरूकता न होना यौन उत्पीड़न बढ़ने के कारण हैं. इसके अलावा सरकार का मेकनिज्म अलग तरीके से काम करता है, लोवर कास्ट पीपल और अपर कास्ट पीपल के लिए. बच्चों की ग्रोइंग ग्रूमिंग अपब्रिंगिंग सही से नहीं की जा रही. वेश्यावृति को लीगलाइज करने से घटनाएं कम होंगी. जैसे शराब के केस में है. चेन्नई में पहले अवैध शराब से काफी मौतें होती थी. लीगलाइजेशन के बाद घटनाएं शून्य हो गईं.
इस विषय पर और भी कई फिल्में बनी हैं, तो आपकी फिल्म बाकियों से कैसे अलग है?
अगर आपने इस तरह की फिल्में देखी हैं उसमें रेप के बाद विक्टिम को मरा हुआ दिखाया जाता है. हम शुरू से ही इसी तरह की फिल्में देखते हुए बड़े हुए हैं, जहां रेप के बाद विक्टम का मरना तय होता है. लेकिन मैंने अपनी फिल्म के क्लाइमेक्स में विक्टम को जिंदा रखा है. फिल्म के आखिर तक किसी को पता नहीं चलता है कि विक्टम जिंदा है. फिल्म में विक्टम एक पढ़ी लिखी और सामाजिक तौर पर जिम्मेदार लड़की है. वो अपने पिता से कई सवाल पूछती है. जैसे, पहाड़ में, जंगल में रहने वालों को ST का दर्जा है तो समंदर किनारे रह रहे लोगों को क्यों नहीं? वे भी प्रकृति पर निर्भर हैं.
आपको फिल्म की स्टोरी कहां से मिली? क्या ये आपका आइडिया था या किसी ने आपको इसके बारे में बताया?
ये स्टोरी मेरी है. मैं जब हर दिन अखबार और देश दुनिया में घटित होने वाली घटनाओं के बारे में पढ़ता था तो मुझे लगता था इस पर फिल्म बनानी चाहिए. मीडिया बेहद ही प्रभावशाली प्लेटफॉर्म है. इनके जरिए अगर हम कुछ मैसेज दें तो वो लोगों तक आसानी से पहुंच सकती है. मैंने सोचा लोगों को सही लगे या नहीं लेकिन फिल्म के जरिए एक समाधान दूंगा. मैंने इसपर रिसर्च की..हैदराबाद रेप मामले में...
मैंने ये फिल्म जनवरी 2022 में शुरू की. मैंने फिल्म की शूटिंग शुरू की. हैदराबाद में पुलिस ने 5 लोगों का एनकाउंटर किया. कहा गया कि वे रेपिस्ट थे. मैंने अपनी फिल्म में उन्हें मासूम करार दिया. वे रेपिस्ट नहीं थे. मैंने अपनी फिल्म में भी यही दिखाने की कोशिश की. मार्च में मैंने अपनी फिल्म के प्रोडक्शन का काम शुरू किया और जुलाई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि वो 5 लोग जिनका हैदराबाद में एनकांउटर किया गया था वे मासूम थे. इससे हमें पता चलता है कि कैसे मासूमों की जान लेने में सरकारी तंत्र का इस्तेमाल किया गया था और कैसे अपने फायदे के लिए मासूम लोगों का इस्तेमाल किया जाता है.
फिल्म को शूट करते समय क्या आपको कोई परेशानी आई?
सेंसर बोर्ड की तरफ से मुझे कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा. क्योंकि फिल्म में विक्टिम ने यौन उत्पीड़न रोकने के लिए वैश्यावृति को लीगल करने की बात कही है. फिल्म में यही वर्डिक्ट पीड़िता दे रही है. हमने लोगों से बहुत तरह के ओपिनियन सुने...किसी का कहना था कि रेपिस्ट को सरेआम गोली मार देनी चाहिए तो किसी का कहना था कि उनके प्राइवेट पार्ट काट देने चाहिए. अगर हम हर किसी को मारते चले तो हमारे समाज में ऐसे बहुत से लोग मिल जाएंगे. इसलिए हमने अपनी फिल्म में सजा को समाधान के तौर पर दिखाया.
आपने फिल्म में रेप विक्टिम का नाम विंध्य रखा है...इसके पीछे कोई खास वजह है?
यहां 2020 में मैं दूसरे विंध्य फिल्म फेस्टिवल में आया था. मैंने यहां रुद्री देखी. ये फिल्म भी यौन उत्पीड़न पर आधारित थी. मेरी इस फिल्म की लीड एक्ट्रेस पवना गौरा ने रुद्री में भी काम किया था. वो कर्नाटक की हैं. मुझे लगा कि उनमें इससे ज्यादा बेहतर काम करने की क्षमता है. फिल्म में उनकी सही से इस्तेमाल नहीं किया गया और फिर मैंने सोचा क्यों ना इन्हें ही अपनी फिल्म में कास्ट किया जाए. मैंने उनसे बात की तो पहली बार में उन्होंने इसके लिए मना कर दिया. मैंने उन्हें फिल्म की स्क्रिप्ट सुनाई बाद में वो फिल्म के लिए राजी हो गईं क्योंकि हमारी फिल्म समाधान दे रही थी.
विंध्या की कहानी है V3
यौन उत्पीड़न के मुद्दे पर बनी V3 यानी विंध्य विक्टिम वर्डिक्ट कई मायनों में अलग है. यह फिल्म ऐसी घटनाओं पर आधारित है जो किसी की जिंदगी बदल दें. V3 विंध्या नाम की एक लड़की की कहानी बताती है जो यौन उत्पीड़न का शिकार हो जाती है और एक ऐसे समाज में न्याय के लिए लड़ाई लड़ती है जो अक्सर पीड़िता को ही दोषी ठहराता है. ये फिल्म यौन उत्पीड़न के मुद्दों और न्याय पाने में पीड़ितों के सामने आने वाली चुनौतियों की पड़ताल करती है.
फिल्म का क्लामेक्स चौंका देगा
निर्देशक अमुधवन पी इस विषय पर आ चुकी दर्जनों फिल्मों से इतर बिल्कुल ही अलग सोच रखते हैं. इस फिल्म की कहानी उन्होंने खुद लिखी है और स्क्रीनप्ले भी. और अपने मुख्य किरदार के जरिए यौन शोषण और इसे रोकने के उपायों को लेकर एकदम अलग व्यू सामने रखा है. फिल्म क्लाइमेक्स में एकदम से चौंका देती है.
फिल्म को मिल चुके हैं कई अवॉर्ड
अमुधवन इस फिल्म ने कई सारे अवार्ड अपने नाम किए हैं. 7वें भारतीय विश्व फिल्म महोत्सव 2023, हैदराबाद में सर्वश्रेष्ठ फिल्म और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार, नई दिल्ली फिल्म फेस्टिवल 2023 में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म, टोरंटो तमिल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2023 में बेस्ट डायरेक्टर, 9वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव शिमला 2023 में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म पुरस्कार मिले हैं.