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'द कश्मीर फाइल्स अनरिपोर्टेड' पर बात करते हुए डॉयरेक्टर विवेक अग्निहोत्री ने बताई वो कहानी जब वो बनना चाहते थे डाकू...चीफ जस्टिस से की फिल्म देखने की अपील

विवेक अग्निहोत्री ने चीफ जस्ट‍िस से अपील की और कहा कि मेरी सीरीज देखें. उन्होंने कहा कि इससे उन्हें एविडेंस मिल जाएगा. उन्होंने कहा कि उनकी फिल्म से प्रभावित होकर सरकार ने नीलकंठ गंजूवाला केस फिर से ओपन करवाया.

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जब भी कश्मीर फाइल्स का नाम आएगा तो विवेक अग्निहोत्री की बात होगी. विवेक ने कश्मीर जैसे गंभीर मामले पर फिल्म बनाई और इसकी रिलीज के बाद चीजें दो भागों में बंट गईं. एक तबका उन्हें सपोर्ट करने लगा जबकि अगले ने उनके सामने कई सवाल खड़े कर दिए और आलोचना भी हुई. फिलहाल विवादों से घिरी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़ कमाई की. फिल्म में कश्मीरों पंडितों के दर्द को दिखाया गया है. अब विवेक अग्निहोत्री 'द कश्मीर फाइल्स: अनरिपोर्टेड' बनाई है जो 11 अगस्त को जी5 पर रिलीज होगी. इससे पहले विवेक ने कश्मीरी पंडितों पर बनी फिल्मों में आतंकवाद को ग्लोरिफाई करने पर अपनी राय दी. 

क्या है फिल्म में?
उन्होंने आज तक से कहा कि कुछ भी एक चीज आती है उस पर इश्तेहार चिपकाकर चीजों को छुपा दिया जाता है. लेकिन दर्द कहा नहीं है दर्द हर तरफ है. लेकिन मैंने बीड़ा उठाया कश्मीर का दर्द दिखाने का क्योंकि हर किसी ने खूबसूरत कश्मीर दिखाया लेकिन वहां के लोगों का, कश्मीरी पंड़ितों का दर्द नहीं. उन्होंने कहा कि जिस केस के लिए मीडिया के पास एविडेंस नहीं है, सरकार के पास एविडेंस नहीं है तो क्या हम उसके लिए कुछ नहीं कर सकते. हमने वॉर क्राइम की तरह वीडियो टेस्टीमोनियल बनाए. फैमिली के इंटरव्यू किए, टेस्टीमोनियल इकट्ठे किए, एविडेंस निकाले और फिर उनको साथ में मिलाकर कश्मीर अन रिपोर्टेड सीरीज तैयार की है. इसका असर ये हुआ कि पीएम मोदी ने लॉन्च से पहले इसे देखा और शाम को ऑर्डर आया कि नीलकंठ गंजूवाला केस को रिओपन किया जाए. इस दौरान नीलकंठ गंजू जी की बेटी भी मौजूद थीं. ये होता है नेचुरल जस्टिस.

उन्होंने भारत के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ से अपील की कि वो सीरीज को देखें, उन्हें इससे एविडेंस मिल जाएगा. उन्होंने कहा कि वैसे भी अब वो रिटायर भी होने वाले हैं तो धर्म का काम करते हुए जाएं और suo moto के जरिए इस केस को खोल दें. अगर वो एविडेंस चाहते हैं तो मैं अपने टिकट पर उन लोगों को लाकर चाहें वो कहीं भी हो उनके सामने खड़ा कर दूंगा. मैं लीडरशिप लेने के लिए तैयार हूं. भारत माता के लिए इससे बड़ा पुण्य का काम नहीं हो सकता.

फिल्म में दूसरा पक्ष क्यों नहीं आया
कई ऐसे मौके आए जहां कश्मीरी मुस्लिमों ने कश्मीरी पंड़ितों के लिए सहानूभूति दिखाई वो हिस्सा फिल्म में कवर क्यों नहीं किया गया इस सवाल पर उन्होंने कहा. विवेक अग्निहोत्री ने कहा, ''लोग जो कुछ भी फिल्मों में देखते हैं उसे सच समझते हैं. कुछ लोगों को आतंकवादियों से भी हमदर्दी होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि फिल्मों में कुछ ऐसे हालात दिखाए जाते हैं. उदाहरण के लिए फिल्मों में दिखाया जाता है कि आतंकवादियों पर जुल्म किया गया जिसकी वजह से उन्होंने हथियार उठा लिए. विवेक ने कहा कि उन्हें इस बात से इनकार भी नहीं है क्योंकि ऐसा होता है. उन्होंने कहा कि बॉलीवुड ये गुनाह करता आया है. वो हमेशा टेरेरिस्ट का पक्ष दिखाता है जिसके कारण यंग लोगों को लगता है कि हां ये आतंवाद बड़ी अच्छी चीज है चलों हम भी बन जाते हैं. नहीं क्योंकि टेरेरिस्ट लोगों का कोई पक्ष नहीं होता. मैं जब छोटा था तब डाकुओं कि बड़ी फिल्में आती थी. सुनील दत्त जैसे एक्टर घोड़े पर बैठकर टीका लगाकर आते थे और दिखाते थे कि उसके साथ कुछ गलत हुआ इसलिए वो डाकू बन गया. इन सबको देखकर मैं भी दोनाली वाली बंदूक लेकर आ गया था और साफा बांधकर, टीका लगाकर शीशे के सामने खड़े होकर कहता था कि तेरे को मार डालूंगा अगर उस समय मुझे कोई भड़का देता तो मैं भी डाकू बन जाता.''

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